मसीहा श्रीनिवास बनाम नफरती संघी चिंटु तेजस्वी सूर्या
महामारी में मसीहा बन चुके बी वी श्रीनिवास भी कर्नाटक से हैं और महामारी में नफरत का कारोबार फैला रहे तेजस्वी सूर्या भी कर्नाटक से हैं. श्रीनिवास युवा कांग्रेस के अध्यक्ष हैं जो अब तक 1000 वॉलंटिरयर के साथ हजारों लोगों की जान बचा चुके हैं. तेजस्वी सूर्या बेंगलुरु दक्षिण से सांसद हैं, भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, वे कहीं ज्यादा लोगों की मदद कर सकते थे, लेकिन वे जान जोखिम में डालकर कोविड वॉर रूम में काम कर रहे लोगों के बीच हिंदू-मुसलमान की छंटनी कर रहे हैं.
इनकी पार्टी के अध्यक्ष देश को बता रहे हैं कि वे बंगाल चुनाव हार गए हैं इसलिए बंगाल का हिंदू खतरे में है. युवा मोर्चा का अध्यक्ष बता रहा है कि बेंगलुरु के कोविड वॉर रूम में काम कर रहे 206 लोगों में 17 मुस्लिम नाम हैं, इसलिए वे ‘आतंकी’ हैं.
नफरत की फैक्ट्री में पनप रहे तेजस्वी सूर्या नाम के इस चूजे के दफ्तर से एक वीडियो जारी किया गया और कहा गया कि वॉर रूम में ‘आतंकी’ काम कर रहे हैं. वीडियो में वे अधिकारियों से 17 मुस्लिमों के नाम लेकर पूछ रहे हैं कि इनकी नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है? जब एक कर्मचारी ने कहा कि वे एक एजेंसी से हैं तो बीजेपी के एक विधायक रवि सुब्रमण्या ने सवाल किया कि ‘क्या तुम लोगों को मदरसे से नियुक्त करते हो या कॉर्पोरेशन से?’
अधिकारियों ने बीबीसी को बताया है कि वॉर रूम में कुल 206 लोग काम करते हैं जो कि कॉल सेंटर के तौर पर काम करते हुए कोविड मरीज़ों को बेड और ज़रूरी चीज़ें दिलाते हैं.
कर्मचारियों का कहना है कि बेड दिलाना उनका काम नहीं है. ये फैसला सीनियर डॉक्टर लेते हैं और वे सभी कर्मचारी सीनियर डॉक्टरों के निर्देश पर काम करते हैं. टाइम्स आफ इंडिया लिख रहा है कि ये मामला सामने आने के बाद वॉर रूम काम कर रहे मुस्लिम लड़के डर के मारे ड्यूटी पर नहीं आए और कोविड हेल्पलाइन का काम प्रभावित हुआ है.
तेजस्वी सूर्या और कुछ बीजेपी नेताओं का दावा है कि मरीजों को बेड दिलाने के नाम पर कोई घोटाला चल रहा है. वॉर रूम में पैसे लेकर बेड बेचे जा रहे हैं. तेजस्वी सूर्या के मुताबिक, अगर ये मान लिया जाए कि बेड देने में घोटाला हो रहा है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
इसके लिए कर्नाटक की बीजेपी सरकार, बीजेपी का सीएम, बीजेपी सांसद, बीजेपी विधायक जिम्मेदार नहीं हैं, सिर्फ निचले स्तर पर काम कर रहे कुछ मुस्लिम लड़के जिम्मेदार हैं?
सीएम येदियुरप्पा ने इस मामले में जांच बिठा दी. सिटी क्राइम ब्रांच ने शहर के सभी जोनल वॉर रूम में छापेमारी की और 4 लोगों को गिरफ़्तार किया. इनके नाम नेत्रावती, रोहित कुमार, रेहान और सतीश हैं. पुलिस को पता चला कि ये लोग मरीजों से 20 हज़ार से लेकर 40 हज़ार रुपये तक लेते थे.
सवाल है कि अगर वॉर रूम में मुस्लिम घोटाला कर रहे थे तो हिंदुओं की गिरफ्तारी क्यों हुई? बीबीसी की रिपोर्ट कहती है कि जिन लोगों का नाम वीडियो में लिया जा रहा है, गिरफ्तार लोगों में उनमें से किसी का नाम नहीं है.
तेजस्वी सूर्या ने ऐसा क्यों किया? क्योंकि कुछ दिन पहले खबरें छप रही थीं कि युवा कांग्रेस के लड़के लोगों की मदद कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी की युवा इकाई गायब है. खबर में पूछा गया था कि तेजस्वी सूर्या कहां गायब हैं? उम्मीद है मीडिया को जवाब मिल गया होगा. तेजस्वी सूर्या हिंदू मुस्लिम विभाजन की टूलकिट तैयार कर रहे थे. अब वे हाजिर हैं.
सबक ये है कि कौन कहां से इससे फर्क नहीं पड़ता. कौन किस विचार का है, इससे बहुत फर्क पड़ता है. ‘सत्य के प्रयोग’ करने वाले गांधी जिस धरती पर पैदा हुए थे, ‘झूठ का प्रयोग’ करने वाले नफरती हिंदुत्व के पोस्टर बॉय भी वहीं पैदा हुए हैं.
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जिस राहुल गांधी का सरकार में बैठे अहंकारी ‘पप्पू’ कहकर हमेशा मजाक उड़ाते हैं, उन्हीं राहुल गांधी के निर्देश पर अमल करके श्रीनिवास बी वी महामारी में मसीहा बन गए. श्रीनिवास से एनडीटीवी की नगमा ने पूछा कि आप महामारी में मसीहा बनकर उभरे हैं, ये सब कैसे कर पा रहे हैं?
श्रीनिवास ने बताया, मार्च के पहले हफ्ते में हमारे संगठन की बैठक हुई थी. तभी राहुल गांधी ने कहा था कि महामारी के चलते बड़ा संकट आने वाला है. आप लोग तैयारी रखें. तभी इस बारे में एक रिजोलयूशन पास हुआ. इसके बाद हमने अपने संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ तैयारी शुरू कर दी थी.
हमने वॉट्सएप ग्रुप बनाए. सोशल मीडिया पर नेटवर्क बनाया. जब तक जरूरत की चीजें बाजार में उपलब्ध थीं, तब तक बाजार से खरीदा. जब बाजार में कमी हुई तो नोडल अधिकारियों से मदद ली और जरूरत की चीजें लोगों तक पहुंचाई.
भारत में महामारी आने से पहले राहुल गांधी, मनमोहन सिंह, मेडिकल एसोसिएशन और तमाम एक्सपर्ट ने समय समय पर अपनी ओर से सही सलाह दी थी और अब भी दे रहे हैं. लेकिन अहंकार में डूबी सरकार ने न तब किसी की सुनी, न अब किसी की सुन रही है. परंपरा रही है कि संकट के समय सभी पार्टियां और सरकारें एकजुट हो जाती हैं, लेकिन इस बार वह परंपरा टूट गई है.
संकट के समय ही नेतृत्व की परीक्षा होती है. 56 इंच का अहंकार त्यागना होता है. कुशल सेनापति वह नहीं होता जो ये प्रचार करे कि वह 18 घंटे काम करता है. कुशल नेतृत्व वह होता है जो अपनी शक्ति को सही ढंग से संगठित करे, सही नेतृत्व करे और कम से कम नुकसान में बाजी जीत ले!
बात राहुल गांधी या किसी दूसरे नेता की नहीं है. बात उस नेतृत्व और जिम्मेदारी की है कि आप सही समय पर सही निर्णय लेते हैं या सत्तालोभ में अंधे होकर साल के 365 दिन रैलियां करते रहते हैं?
श्रीनिवास आगे चलकर अच्छे नेता बनेंगे, देश का भला करेंगे या दिन भर झूठ बोल-बोलकर देश को चूना लगाएंगे, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. लेकिन इस समय जब लोग सड़कों पर मर रहे हैं और सरकार गायब है, जब सत्ताधारी पार्टी सिर्फ सत्ता विस्तार करने में जुटी है, तब बिना किसी अहम पद और सीमित संसाधनों में हजारों लोगों की जान बचाकर श्रीनिवास ने एक उदाहरण पेश किया है.
बाद में इस काम के लिए और भी तमाम लोग सामने आए. मानवता की सेवा कर रहे ये सभी भले लोग सम्मान के पात्र हैं.
- कृष्ण कांत
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