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गृहयुद्ध की चपेट में जाता देश

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केन्द्र की मोदी सरकार ने अब तक इतिहास में देश की जनता को जितना ज्यादा भ्रमित करने और दिवास्वप्न में डाल रखा है. संभवतः इतना कारगर कोई दूसरा न हुआ होगा. इसके सबसे बड़े पहरूआ बन कर जिन ताकतों ने मोदी को सक्षम बनाया वह है भ्रष्ट दलाल मीडिया और दलाल चुनाव आयोग. इसने सेना को भी मोहरा बनाकर अपना राजनैतिक ऐजेंडा सेट कर लिया है. मीडिया पर पानी की तरह बेहिसाब धन खर्च करके अपना पक्का दलाल बना चुके मोदी ने अपने तीन साल के पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी के राज्य सरकारों ने 2000 करोड़ रूपये की विशाल धनराशि जो जनता के टैक्स का ही पैसा होता है, केवल बधाई विज्ञापनों पर लूटा डाला.

यही वजह है कि मीडिया अपनी दलाली की अब तक की सबसे बड़ी पराकाष्ठा पर पहुंच चुकी है. इतना ही नहीं मोदी अपनी आयोजित सभा में भी भीड़ जुटाने के लिए जनता का पैसा और प्रशासन का बेहिसाब इस्तेमाल कर रहा है. मोदी के 47 हजार रूपये की खाने की थाली और 10 लाख रूपये की सूट और डेढ़ लाख की पेन (कलम) तो खैर भारत के ‘‘फकीरों’’ की शान ही बन गई है.

मोदी सरकार ने देश को साफ तौर पर दो भाग में बांट दिया है. एक वह भाग है जिसमें अंबानी-अदानी सरीखें काॅरपोरेट घराने हैं तो वहीं दूसरी ओर विशुद्ध ब्राह्मणवादी हिदुत्व की तख्ती उठाये दलितों, आदिवासियों पर हमलावर होते दंगाई. ये दंगाई आम तौर पर मुसलमानों को निशाना बना कर हमला करते हैं और खाली वक्त में दलितों-आदिवासियों का धन-दौलत और इज्जत लूटते हैं. इस देश के दूसरे भाग में दलित-गरीब और आदिवासी रहते हैं. जिनके जीवित रखने का एक मात्र उद्देश्य यह मानना है कि वह काॅरपोरेट घरानों और ब्राह्मणवादी हिंदुत्ववादी ताकतों की सेवा में खुद के धन-दौलत और इज्जतों की बलि चढ़ाते रहे.

साम्प्रदायिक उन्माद सर चढ़ कर बोल रहा है. देश भर में आये दिन दलितों-मुसलमानों को निशाना बना कर ब्राह्मणवादी हिन्दुत्व का जयकारा लगाया जा रहा है. मंहगाई दिन दूनी-रात चैगुनी बढ़ती जा रही है. बेराजगारी का आलम यह हो रहा है कि रोजगार प्राप्त लोगों का भी रोजगार कब चला जायेगा, गारंटी नहीं. विरोध के किसी भी स्वर को हिंसक तरीके से दबाया जा रहा है.

ऐसे में यह सवाल भी मौजूं बन जाता है कि नरेन्द्र मोदी की ब्राह्मणवादी हिन्दुत्व के एजेंडे पर चलने वाली सरकार आखिर देश को किस अंधकूप में धकेलने पर आमादा है ? क्या यह देश को गृहयुद्ध में धकेलने की तैयारी है ?

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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One Comment

  1. S. Chatterjee

    May 31, 2017 at 7:12 am

    A realistic documentary in the making. I wish it all success.

    Reply

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