Home ब्लॉग किसानों की लंबे संघर्ष की तैयारी, मुक्केबाज स्वीटी बुरा ने किसानों को समर्पित किया अपना एशियाई चैंपियनशिप का पदक

किसानों की लंबे संघर्ष की तैयारी, मुक्केबाज स्वीटी बुरा ने किसानों को समर्पित किया अपना एशियाई चैंपियनशिप का पदक

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कल शाहजहांपुर बॉर्डर पर आये भयंकर तूफान के कारण बड़े पैमाने पर किसानों के टेंट, मंच, लंगर एवं अन्य सामान का नुकसान हुआ है. किसानों के टेंट पुरी तरह उखड़ गए. जब किसानों ने स्थिति पर काबू पाने की कोशिश की तो उन्हें गंभीर चोटें भी आई. संयुक्त किसान मोर्चा समाज कल्याण के संगठनों और आम जन से निवेदन करता है कि शाहजहांपुर बॉर्डर पर हर संभव मदद पहुंचाई जाए ताकि वहां पर धरना दे रहे किसानों को कोई भी दिक्कत ना हो.

आज अपने मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ शब्द किसानों और कृषि के बारे में कहे। प्रधानमंत्री तीन कृषि कानूनों और सभी फसलों पर सभी किसानों को उचित एमएसपी की गारंटी के सवाल पर चुप रहे। सरकार के नुमाइंदे सांकेतिक रूप में एक-दो फसलों के बारे में बात कर रिकॉर्ड व ऐतिहासिक बता कर मीडिया में सुर्खियां बटोर लेते है परंतु असल मायनों में सभी फसलों और सभी किसानों की बात नहीं करते। संयुक्त किसान मोर्चा समझता है कि तीनों कृषि कानून सम्पूर्ण देश के किसान और आमजन के खिलाफ है और संपूर्ण देश के किसानों को प्रभावित करेंगे ।आज प्रधानमंत्री ने सिर्फ सरसों की खरीद के बारे में बात कर फिर वह रवैया दोहराया है जिसमें सरकार किसानों की मांग पर सुने बगैर अपने मन की ही बात करती है। हम सरकार से अपील करते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में देश के किसानों की उचित मांगों पर विचार करना चाहिए।

भारतीय मुक्केबाज स्वीटी बूरा ने हाल ही में एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता है। उन्होंने घोषणा की है कि उनका यह पदक किसानों को समर्पित है एवं शहीद किसानों को श्रद्धांजलि है। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की है कि जल्द से जल्द किसानों से बातचीत कर उनकी मांगे मानी जाएं।

किसानों का लगातार दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचना जारी है। आज रोहतक से किसानों का बड़ा जत्था अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में टिकरी बॉर्डर पर पहुंचा। ठीक इसी तरह सिंघु बॉर्डर पर भी आज सैकड़ों की संख्या में किसान धरने पर पहुंचे।

तीन कृषि कानूनो के खिलाफ देश के किसानों की लंबी लड़ाई चल रही है। पंजाब का इस लड़ाई का अहम योगदान है। पिछले साल सितम्बर से पंजाब में मोर्चे लगने लग गए थे। आज पंजाब में आंदोलन शुरू हुए 8 महीने हो गए है। पंजाब के किसानों के संघर्ष का परिणाम है कि राज्य में किसी भी टोल प्लाजा पर टैक्स नहीं लिया जा रहा है। पंजाब के किसान ना सिर्फ सरकारों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे है, बल्कि देश के बड़े कॉरपोरेट्स घरानों के खिलाफ भी बड़ी जंग छेड़े हुए है। किसानों ने हर मौसम में अपने आप को मजबूत रखते हुए सरकार व कॉर्पोरेट के खिलाफ डटकर लड़ाई लड़ी है। पंजाब में 100 से ज्यादा जगहों – टोल प्लाजा, शॉपिंग मॉल, पेट्रोल पंप एवं अन्य स्थानों पर किसानों के शांतमयी धरने चल रहे हैं। यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक किसानों की मांगे पूरी नहीं हो जाती।

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को 6 महीने पूरे हो गए। जब किसान पिछले नवंबर में दिल्ली कूच के लिए आए थे तब उनके पास 6 महीने की तैयारियां थी। अब संघर्ष तेज और लंबा होता जा रहा है, इसको ध्यान में रखते हुए किसानों और संयुक्त किसान मोर्चा ने यहां पर उचित प्रबंध भी कर लिए हैं। सिंघु बॉर्डर पर गोल्डन हट पर पहले पानी लंगर और रहने की पूरी सुविधा थी। अब यहां पर सैकड़ों किलो दूध की सेवा रोज हो रही है। साथ ही अन्य समाज कल्याण के संगठनों ने भी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के लिए रहने, खाने , मेडिकल और अन्य जरूरी सेवाओं के इंतजाम किए हुए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा तमाम संगठनों एवं सहयोगियों का अभिनंदन करता है जिन्होंने किसान आंदोलन का किसी भी रूप में समर्थन किया है व किसानों को सुविधाएं प्रदान की है। किसानों का यह आंदोलन एक लंबी लड़ाई है। केंद्र सरकार इन कानूनों को वापस न लेते हुए, किसानों को अन्य मुद्दों में उलझा कर उनके सब्र की परीक्षा ले रही है परंतु किसानों के लगातार जोश ने सरकार को मजबूर किया हुआ है। आने वाले समय में यह लड़ाई ओर भी मजबूत होगी और सरकार को झुकना पड़ेगा।

राजस्थान के बिजोलिया किसान आंदोलन के मुख्य नेता विजय सिंह पथिक का आज स्मृति दिवस है विजय सिंह पथिक एक प्रगतिशील किसान नेता होने के साथ-साथ एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जन आंदोलनों के माध्यम से किसानों, ग्रामीणों समेत समाज के हर वर्ग को जागरूक किया। विजय सिंह पथिक ने बौद्धिक विकास के लिए अनेक पत्रिकाओं व अखबार का संपादन भी किया। वे राजस्थान व मध्य प्रदेश के किसानों के आदर्श हैं। संयुक्त किसान मोर्चा आज उनकी स्मृति दिवस पर श्रद्धांजलि भेंट करता है और उन्हें नमन देता है।

किसान आंदोलन के दिल्ली की सीमाओं पर 6 महीने पूरे होने पर और साथ ही केंद्र की शोषणकारी मोदी सरकार के सत्ता में 7 साल पूरे होने पर आज विरोध दिवस मनाया गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस दिन पूरे देशवासियों को अपने घरों, दुकानों, वाहनों और सोशल मीडिया पर काले झंडे लगाने और मोदी सरकार के पुतले जलाने का आह्वान किया था। आज संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान को पूरे देश से भरपूर समर्थन मिला है। एक तरफ जहां देश के नागरिकों ने केंद्र की जुल्मी सरकार के खिलाफ अपना रोष प्रकट किया है वहीं दूसरी तरफ देश के अन्नदाता का भरपूर समर्थन किया हैं।

आज दिनभर पूरे देश से किसान आंदोलन के समर्थन में और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की खबरें आती रही। महाराष्ट्र के नंदुरबार, नांदेड़, अमरावती, मुंबई, नागपुर, सांगली, परभणी, थाने, बीड़, सोलापुर, बुलढाणा, कोल्हापुर, नासिक, औरंगाबाद, सतारा, पालघर, जलगांव में किसानों और आम नागरिकों ने घर पर काले झंडे लगाकर और मोदी सरकार के पुतले जलाकर विरोध प्रदर्शन किया
। बिहार के बेगूसराय, अरवल, वैशाली, पूर्णिया, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी , दरभंगा, सीतामढ़ी ,सिवान ,जहानाबाद, आरा ,भोजपुर, पटना समेत अन्य जगहों पर किसानों के समर्थन में लोगों ने घरों में काले झंडे लगाए और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट किया। उत्तर प्रदेश में बरेली सीतापुर, बनारस, बलिया, मथुरा समेत कई जगह पर किसानों ने मोदी सरकार के पुतले जलाकर और काले झंडे लगाकर विरोध प्रदर्शन किया. तमिलनाडु में शिवगगई, कल्लकुर्ची, कतुलुर, धर्मपुरी तंजौर, तिरुनेलवेली कोयंबटूर समेत कई जगह पर किसान मोर्चा को समर्थन किया गया और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। राजस्थान के झुंझुनू, भरतपुर , श्री गंगानगर, हनुमानगढ़ समेत कई जगह पर विरोध प्रदर्शन हुए। आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम और तेलंगाना में हैदराबाद समेत कई जगह किसानों ने विरोध प्रकट किया। उत्तराखंड के तराई क्षेत्र और हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में नागरिकों ने संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान को सफल बनाया। पंजाब के हर जिले में किसानों का भरपूर समर्थन मिला और पहले की तरह घर घर में काले झंडे लगे और बाइक रैली व छोटी बैठकों करके और मोदी सरकार के पुतले जलाकर विरोध किया गया। हरियाणा के अंदर झज्जर सोनीपत, गुड़गांव , भिवानी , रेवाड़ी , बहादुरगढ़, रोहतक, हिसार समेत पूरे हरियाणा के किसानों ने आंदोलन के 6 महीने पूरे होने पर मोदी सरकार के पुतले जलाए व घरों में काले झंडे लगाए और प्रण लिया कि जब तक किसानों की मांगे पूरी नहीं होती यह आंदोलन चलता रहेगा। उड़ीसा के रायगड़ा, पश्चिमी बंगाल के कोलकाता, जम्मू कश्मीर के अनंतनाग, त्रिपुरा, आसाम में भी किसानों के प्रदर्शन हुए।

दिल्ली मोर्चो पर आज बुद्ध पूर्णिमा मनाई गई और लोगों को शांतमयी विरोध करने का आह्वान किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा का विश्वास है कि किसानों का यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहते हुए ही जीता जा सकता है।

आज दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर आज का विरोध दिवस मनाया और मोदी सरकार को चेतावनी दी कि जब तक किसानों की मांगे पूरी नहीं होती तब तक किसान वापस नहीं जाएंगे। सरकार चाहे जितना बदनाम करें, पुलिस बल का प्रयोग करें पर किसान डटे रहेंगे।

आज सिंघु बॉर्डर पर दिन की शुरुआत बुद्ध पूर्णिमा मनाकर हुई। इसके बाद किसानों ने अपनी अपनी ट्रॉलियां में, कच्चे मकानों में और अन्य वाहनों पर काले झंडे लगाए। इसके बाद किसानों ने अलग-अलग जगह पर मोदी सरकार के पुतले जलाए और नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया। टिकरी बॉर्डर पर आज हजारों की संख्या में किसानों ने पहुंचकर मोर्चे को मजबूत किया। टिकरी बॉर्डर पर आसपास के नागरिकों ने भी पहुंचकर किसानों का समर्थन किया और हरसंभव मदद का भरोसा दिया। गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों का लगातार आना जारी है। आज 6 महीने पूरा होने पर आंदोलन को मजबूत करने का किसानों ने संकल्प लिया। वही शाहजहांपुर बॉर्डर पर आज राजस्थान व हरियाणा के किसानों ने इकट्ठे होकर मोर्चे को मजबूत करने का फैसला किया और आने वाले दिनों में और किसानों को साथ में जोड़ने का फैसला किया।

किसानों का यह आंदोलन चाहे 6 महीने का हो गया हो परंतु किसानों का हौसला बरकरार है और वे लगातार लड़ते रहेंगे। सरकार इसे जितना खींचना चाहे वह कर सकती है, परंतु इसमें सरकार का ही राजनैतिक नुकसान है। किसान को यह समझ आ चुका है कि यह कानून किसानी पर बहुत गहरा हमला है इसलिए किसानों को भी मजबूती से लड़ना है।

स्वतंत्रता सेनानी और कर्नाटक के सामाजिक कार्यकर्ता HR दोरासामी का आज 104 साल की उम्र में निधन हो गया। दोरासामी जी ने देश के स्वाधीनता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। वे देश के आजाद होने के बाद भी सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर सरकारों के खिलाफ लड़ते रहे। वे देश की एक मुख्य जनतांत्रिक आवाज थी। सयुंक्त किसान मोर्चा उनके निधन पर शोक व्यक्त करता है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

दैनिक ट्रिब्यून के सोनीपत में वरिष्ठ पत्रकार श्री पुरुषोत्तम जी का आज निधन हो गया वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और आज उन्होंने आखिरी सांस ली। पुरुषोत्तम जी लगातार किसान आंदोलन को कवर कर रहे। वे सिंघु बॉर्डर पर किसानों की आवाज को मीडिया के माध्यम से लोगों के सामने ला रहे थे। संयुक्त किसान मोर्चा उनके निधन पर शोक व्यक्त करता है।

*जारीकर्ता* – बलवीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हनन मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उग्राहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहाड़
*सयुंक्त किसान मोर्चा

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