कृष्णन अय्यर
मोदी और नीति आयोग ने किसान, मजदूरों की जमीन लूटने के लिए नया ‘जमीन मालिकाना कानून’ लाने की घोषणा की है. जो कहते थे कि किसानों की जमीन नहीं बिकेगी, वो जरा नया कानून पढ़ लें –
- हर राज्य में एक ‘लैंड ऑथोरिटी’ और ‘टाइटल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर’ (TRO) बनाया जाएगा.
- TRO का काम होगा ‘आनुमानिक मालिक’ यानी Presumptive Owner और अन्य दावेदारों के बीच जमीन का मालिकाना तय करना (यानी आपकी जमीन का कोई भी दावेदार हो सकता है).
- लैंड ऑथोरिटी एक लिस्ट प्रकाशित करेगी जिसमें हर दावेदार का क्लेम होगा. (बस एक क्लेम डालना है, और आप भी दावेदार).
- अगर ‘लैंड ऑथोरिटी’ दावेदारों का फैसला नहीं कर पाती तो वो खुद के ‘लैंड डिस्प्यूट रेजोल्यूशन ऑफिसर’ (LDRO) को केस सुपुर्द कर देगी. LDRO का फैसला सर्वमान्य होगा.
- अगर TRO और LDRO के फैसले से किसी को आपत्ति है तो उसे कोर्ट नहीं बल्कि ‘लैंड टाइटलिंग अपीलेट ट्रिब्यूनल’ (LTAT) में जाना पड़ेगा.
- ये ट्रिब्यूनल 3 साल के अंदर फैसला करेगा. 3 साल के अंदर ट्रिब्यूनल ने जिसे जमीन दे दी, जमीन का मालिक वही होगा. (मोदी भी 3 सालों तक ही PM रहेगा).
- कोर्ट में 3 सालों तक धक्के खाते रहिए. सुनवाई हुई तो हुई, वरना गई भैंस पानी में.
आपको याद होगा कि मैंने बताया था कि देश का मानचित्र अब उद्योगपति बनाएंगे. ये जमीन कानून उसी कड़ी में है. साथ में किसान बिल भी जोड़ लीजिए. यानी किसान की जमीन तो गई. मोदी अब मानसिक संतुलन खो चुका है. देश के जंगली जानवर भी अम्बानी को बेच रहा है. 2023 खत्म होते-होते पूरा देश बेच देगा.
भारत में 18 करोड़ भारतीयों के पास जमीन का मालिकाना है. अब इस कानून का मतलब और असली उद्देश्य समझ लीजिए.
- नया ‘जमीन मालिकाना कानून’ एक तरह की ‘जमीन की CAA, NRC’ है. आपको धमकाया जा रहा है कि आपकी जमीन आपकी नहीं है, ठीक वैसे ही जैसे CAA में धमकाया गया कि आपकी नागरिकता आपकी नहीं है.
- हर किसान, मजदूर, गरीब की जिम्मेदारी रहेगी कि वो सबित करे कि जमीन उसकी है. मुसलमान, SC, ST, और अन्य माइनॉरिटी की जमीन निशाने पर है. नागरिकता, जमीन मालिकाना साबित करने में परिवार बरबाद हो जाएंगे.
कैसे जाएगी गरीबों की जमीन ?
- मान लीजिए, एक गांव से प्रवासी मजदूर दूसरे राज्य में काम पर गए है. गांव में इन मजदूरो के किसी भी रिश्तेदार से परिवार की पूरी जमीन पर दावे का केस करवा दिया.
- नए कानून में 3 साल में फैसले का प्रावधान है. मजदूर के परिवार को 3 साल तो दूर की बात 30 साल तक केस का पता भी नहीं चलेगा. रिश्तेदार को कुछ पैसे मिल जाएंगे और जमीन ‘हमारे दो’ के कब्जे में.
- भारत में असंख्य जमीन जायदाद के मामले हैं. ऐसे ज्यादातर परिवार गरीब हैं और कोर्ट में मामला होने के बावजूद अपनी जमीन पर खेती करते हैं और पारिवारिक मकानों में रहते हैं. फैसला जब होगा तब होगा.
- मोदी की नजर इन जमीनों पर है जिसमें कई दावेदार है. किसी एक दावेदार को खरीद कर पूरी जमीन उद्योगपतिओ को कानूनी रूप से सौंप देना है.
भारत में जमीन का मालिकाना ‘ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 1882’ और ‘सिविल प्रोसीजर कोड 1908’ के तहत होता है. इन दोनों कानूनों को खत्म किया जाएगा ताकि देश की जमीन पर कब्जा किया जा सके. नया जमीन मालिकाना कानून आपके घर के सामने खड़ी ‘JCB’ होगी. मोदी जब चाहेगा आपको बेघर कर सकता है. अगले सत्र में ये कानून शायद पास हो सकता है.
दूसरे शब्दों में इसे इस प्रकार समझ सकते हैं –
- मोदी ने नया ‘जमीन मालिकाना कानून’ लाने की घोषणा की है. इस कानून के तहत देश के 18 करोड़ जमीन मालिकों को अपना मालिकाना साबित करना जरूरी होगा.
- ये कानून ‘जमीन की CAA/NRC’ है. जैसे नागरिकता साबित करनी है, वैसे ही जमीन का मालिकाना साबित करना है. एक जैसे नियम हैं.
- आपकी जमीन पर कोई भी दूसरा व्यक्ति दावा कर सकता है, और वो दावा मान्य होगा. और 3 साल के अंदर फैसला आएगा कि जमीन का मालिक कौन है. यानी मोदी के लोग तय करेंगे.
- इस कानून के लागू होते ही आपका मालिकाना ‘ऑटोमैटिक टेम्पोरारी’ रूप से अवैध हो जाएगा. मालिकाना साबित होने के बाद सरकार आपको नए कागज देगी. मालिकाना साबित करने की पूरी प्रक्रिया झोल है.
- 18 करोड़ जनता वापस लाइन पर खड़ी हो जाएगी. जमीन, मकान, दुकान, खेत सब वापस रजिस्टर्ड करवाना जरूरी होगा.
- मालिकाना के नए कागज सब ‘डीमैट एकाउंट’ में रखने की योजना है ताकि सरकार के पास एक बटन पर पूरा डेटाबेस हो. लैंड रेवेन्यू डिपार्टमेंट लगभग खत्म कर दिया जाएगा.
- प्राइवेट कंपनियां जमीन के नक्शे बना कर सरकार को देगी. वो नक्शे ही मान्य होंगे. माइनॉरिटी और विरोधियों की जमीन का मालिकाना नकार दिया जाएगा.
- जिन जमीनों को नकारा जाएगा उन्हें सरकार ‘शत्रु सम्पत्ति कानून’, ‘जमीन अधिग्रहण कानून’ या अन्य कानूनों के तहत अधिग्रहण कर सकती है. ऐसे कानूनों में मुआवजा मिलना/नहीं मिलना सरकार की मर्जी पर है.
- अधिग्रहण की हुई जमीन सरकार किसी को भी किसी भी शर्त पर दे सकती है. चूंकि जमीन सिविल मैटर है तो सरकार के खिलाफ फैसला आने में 50 साल भी लग सकते हैं.
इस कानून में बस एक पेंच है : हर राज्य की विधानसभा से इस कानून की मंजूरी आवश्यक है वरना कानून लागू नहीं होगा इसीलिए मोदी हर राज्य में सरकार बनाना चाहता है. पुडुचेरी उसी कड़ी का हिस्सा मात्र है.
PSU बेचने के लिए जमीन मालिकाना कानून आवश्यक है. ये नेहरुजी का फंसाया हुआ पेंच है. PSU को बेचने से PSU की जमीन नही बिकती ये बात 99.99% जनता को मालूम नहीं है.
एक बात साफ समझ लीजिए
नोटबन्दी, CAA/NRC, कृषि कानून, जमीन मालिकाना कानून ये सब क्रोनोलॉजी है. महामारी अगर नहीं आती तो देश में गृहयुद्ध जैसे हालात बन चुके होते. जल, जंगल, जमीन, पैसा, व्यापार सब कुछ आपसे छीनने का एक बड़ा अभियान चल रहा है. हिन्दू-मुस्लिम सब इसके दायरे में आते हैं. मुसलमानों का कुछ नहीं बिगड़ेगा पर हिन्दू बरबाद हो जाएगा, ये तय है.
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