Home गेस्ट ब्लॉग युगांडा में ‘नरबली’ प्रथा के खिलाफ कानून पारित

युगांडा में ‘नरबली’ प्रथा के खिलाफ कानून पारित

2 second read
0
0
865

युगांडा में 'नरबली' प्रथा के खिलाफ कानून पारित

युगांडा देश में हाल ही में ‘नरबली’ प्रथा के खिलाफ कानून पारित हुआ है. उल्लेखनीय है कि इस कानून का प्रारूप बनाने के लिए युगांडा के सांसद बर्नार्ड अटिक्यू द्वारा महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (शहीद डॉ. नरेंद्र दाभोलकर द्वारा वर्ष 1989 में स्थापित) नामक संगठन की सहायता ली गई. विदित हो ये वही दाभोलकर है, जिनकी हत्या आज सत्तारूढ़ दक्षिणपंथी ताकतों ने 20 अगस्त, 2013 को पुणे में गोली मारकर कर दी थी.

यह संगठन महाराष्ट्र राज्य में अंधविश्वास उन्मूलन का कार्य कर रहा है तथा अन्य राज्यों में काम कर रहे बुद्धिवादी संघठनों और व्यक्तियों के साथ तालमेल रखते हुए अंधविश्वास उन्मूलन का देशव्यापी कार्य करने के लिए प्रयास कर रहा है. इसी संगठन द्वारा 9 अगस्त, 2019 को मुंबई में आयोजित आंतराष्ट्रीय तर्कशील सम्मेलन में देश के विविध राज्यों और विदेशों से आये हुए प्रतिनिधियों ने भाग लिया था.

युगांडा के सांसद बर्नार्ड अटिक्यू ‘युगांडन पार्लियामेंटरी फोरम फॉर चिल्ड्रन्स’ के अध्यक्ष हैं. वे और फोरम के आठ सदस्य नरबली की कुप्रथा का उन्मूलन करने के लिए प्रयासरत थे. इस विषय पर अधिक जानकारी पाने के लिए जब उन्होंने खोज शुरू की, तब उन्हें यह पता चला कि भारत देश के महाराष्ट्र राज्य में नरबली और जादू-टोना के खिलाफ कानून पारित हुआ है और इसमें महाराष्ट्र के अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति नामक संगठन का काफी योगदान रहा है.

तब, उन्होंने महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रधान सचिव माधव बावगे से फोन पर संपर्क किया. बाद में समिति के कार्याध्यक्ष अविनाश पाटिल ने महाराष्ट्र में कानून पारित करने के लिए डॉ. नरेंद्र दाभोलकर के नेतृत्व में किया हुआ निरंतर संघर्ष, सरकार को प्रस्तुत किया हुआ कानून का प्रारूप, पारित किया गया कानून, कानून के अंतर्गत दायर अपराध आदि जानकारी दी.

बर्नार्ड के सचिव एनी एक्या ने संगठन के आंतराष्ट्रीय समन्वयक प्रो. डॉ. सुदेश घोड़ेराव के साथ लगभग चार साल संवाद साधते हुए महाराष्ट्र के कानून का प्रारूप, निर्माण का इतिहास, कानूनी दिक्कतें, संसदीय प्रणाली तक का सफर, कानून के महत्वपूर्ण शब्दों के अर्थ-व्याख्या, हत्या और नरबली में फर्क आदि विविध पहलुओं पर मार्गदर्शन लिया. संगठन के कानून विभाग की कार्यवाह एडवोकेट मनीषा महाजन द्वारा बनाये गये सभी कानूनी पहलुओं की जानकारी देने वाला एक नोट फोरम को प्रेषित किया गया था.

इस वर्ष 4 मई को बर्नार्ड द्वारा ‘दी प्रिवेंशन अँड प्रोहिबिशन ऑफ हयूमन सेक्रिफ़ाइस’ इस कानून का प्रारूप युगांडा सरकार को प्रस्तुत किया, जो 21 मई को पारित हुआ. यह कानून पारित हो जाने पर बर्नार्ड ने महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रति आभार प्रकट किया है.

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र की तर्ज पर कर्नाटक राज्य में भी जादू-टोना विरोधी कानून पारित हुआ है. उस समय भी इस संगठन ने सहायता की थी. अन्य राज्यों में भी यह कानून पारित करा लेने के लिए वहां के बुद्धिवादी संगठनों के साथ महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति द्वारा संपर्क किया जा रहा है. सारे देश के लिए भी ऐसा कानून लागू हो इसके लिए महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति प्रयासरत है.

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

नारेबाज भाजपा के नारे, केवल समस्याओं से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए है !

भाजपा के 2 सबसे बड़े नारे हैं – एक, बटेंगे तो कटेंगे. दूसरा, खुद प्रधानमंत्री का दिय…