युद्ध की बात करने से पहले
परिंदों के पंख में पलते
उजले-धुले, नीले
आसमान को देखो !
देखो –
पेड़ों के तन-मन में
लहराते हरियर समुद्र को !!
युद्ध की बात करने से पहले
बादलों को पुकारती
खेतों की उर्वर मिट्टी को देखो !
देखो –
धान की बाली में
मोतियों-सी चमकती
ओस की बूंदों को !!
युद्ध की बात करने से पहले
गमला गढ़ते
कुम्हार के चेहरे में खिले
फूल को देखो !
देखो –
पालना बनाते बढ़ई की
आँखों में खेलते
शिशु की अठखेलियों को
युद्ध की बात करने से पहले
पतंग उड़ाते, बांंटी खेलते
बच्चों की हथेलियों में धड़कते
आसमान और मैदान के
विस्तार को देखो !
देखो –
रंगोली पारती
व्रत-उपवास रखतीं
बहनों के सपनों में झिलमिलाते
दूधिया संसार को !!
युद्ध की बात करने से पहले
डायरी के पन्नों में दर्ज
अपने मित्रों, परिजनों की
जन्म तारीखों को देखो !
देखो-
उम्र की गुलाबी किताब में
बड़े जतन से छुपा रखे
प्रेम पत्रों को !!
युद्ध की बात करने से पहले
देख सको तो
युद्धों में मिली
बैसाखियों को देखो !
देखो –
युगों-युगों से भिन्ज कर भारी हो रहे
आंंचल, चुनरी और दुपट्टे को !
- रजत कृष्णा
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