Home कविताएं तुम्हें सब कुछ चाहिए आदमी के सिवा…

तुम्हें सब कुछ चाहिए आदमी के सिवा…

0 second read
0
0
137

कुछ अस्पतालों में मरे
कुछ चलती ट्रेन के नीचे
और कुछ जो खुले में थे
जब तुम्हारे बमबर्षक कलाबाज़ियां खाते हुए
सारे बमों के माता पिता को
उनके छोटे-छोटे शरीरों को निशाना बना रहे थे
बमों के माता पिता उन बच्चों के नैसर्गिक
अभिभावक नहीं थे
और आपने सापेक्षता का सिद्धांत तो
नवीं कक्षा में पढ़ा ही होगा
चालीस हज़ार फ़ुट की ऊंचाई से
कैसा और कितना बड़ा दिखता होगा आदमी
और आदमी का बच्चा
तुम्हारी हथेली पर रेंगते हुए चींटी की तरह
कितना पसारोगे संवेदनाओं की चादर को
सीमा हर चीज़ की होती है
असीम बस आसमान है
और वह निस्पृह है
कलियों को काटना
बीज की भ्रूणहत्या
सबसे आसान तरीक़ा है उजाड़ पाने का
तुम्हें तेल चाहिए
पानी चाहिए
कोयला चाहिए
लोहा चाहिए
सब कुछ चाहिए आदमी के सिवा
और, ख़ासकर बच्चों के सिवा
मैं समझता हूं दर्द तुम्हारा
बच्चे खेलते हैं
फटे हुए बमों की खाल से फ़ुटबॉल बनाकर
बच्चे हंसते हैं फ़ोर्ब्स पत्रिका पर छपे हुए
दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों की
तस्वीर वाली जिल्द को मोड़ कर
बारिश के पानी में बहने वाली नाव बनाकर
जब डरते हैं बच्चे तो तुम्हारे सामने
हमारी तरह नहीं झुकते
अपनी मां की गोद ढूंढते हैं
ऐसे में डरना लाज़िमी है तुम्हारा बच्चों से
तुम हर उस शै से डरते हो
जो तुमसे नहीं डरता
मैं चाहता हूं तुम्हारा ये डर बना रहे ताकि
एक दिन तुम्हारे बंकर की छत पर
सुनाई पड़े तुम्हें भारी बूटों की आवाज़
तुम समझ लोगे कुछ बच्चे जो बच गए थे
बड़े हो गए हैं आज
और इस बार तुम्हारे डर का निशाना
तुम ख़ुद होगे
एक औंस की एक अदद गोली.

  • सुब्रतो चटर्जी

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • विष्णु नागर की दो कविताएं

    1. अफवाह यह अफवाह है कि नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं अमित शाह गृहमंत्री आरएसएस हि…
  • मी लॉर्ड

    चौपाया बनने के दिन हैं पूंछ उठा कर मादा गिनने के दिन गए अच्छा है कि मादा के अपमान से बाहर …
  • मां डरती है…

    मां बेटी को फोन करने से डरती है न जाने क्या मुंह से निकल जाए और ‘खुफ़िया एजेंसी’ सुन ले बाप…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

अवध का एक गायक और एक नवाब

उर्दू के विख्यात लेखक अब्दुल हलीम शरर की एक किताब ‘गुज़िश्ता लखनऊ’ है, जो हिंदी…