तुम मेरी अरदास हो
पाठ हो
पूजा हो
होमो हवन हो
यज्ञ हो
मेरे ललाट पर चमकता
रोली अक्षत हो
चंदन हो
इसी तरह थामे रहना मुझे
जैसे प्रकाश थामे रहता है आकाश
और नदी थामी रहती है आकाश
हवा थामे रहती है आकाश
एक दिन
इस छायापथ पर
मेरा सर तुम्हारी गोद में होगा
और ढल जाएगा दिन
मेरा ढलना हमेशा असामयिक होगी
तुम्हारे लिए
और लड़ जाओगी तुम यम से
मेरे लिए
फिर कभी नहीं कहूंगा तुम्हें
मिलने को
और कभी नहीं पूछोगी तुम
क्यों आऊं
फिर कुछ सोच कर
वापिस बुला लोगी
कई बार लौटा हूं मैं
तुम्हारे लोबान की पुकार सुन कर
हर बार यह संभव न होगा
शायद
संभाल कर रखो मुझे
जलद के पत्ते पर ठहरे
पानी की तरह
जैसे मैं संभाल कर रखता हूं तुम्हें
चमकते पारे की तरह
शीशे की ओट में
और देखता रहता हूं पूरा जुलूस
तुम्हारे आईने में
ऊंगलियों के पोर पर
महसूसते हुए
इक नग़्मई मौसम
- सुब्रतो चटर्जी
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