अगर हर बीमारी का इलाज योगा से हो सकता है तो फिर पतंजलि वाला रामदेव दवा क्यों बनाता है ? स्पष्ट है कि योगा-वोगा सब बकवास है. भरे पेट वालों की चोंचलेबाजी है. बीमारी में आपको एलोपैथी दवा की ही जरूरत होती है इसीलिये तो आयुर्वेद को सबसे श्रेष्ठ बताने वाला वो नेपाली बालकृष्णा विदेश में जाकर चुपचाप एलोपैथी से इलाज करवाता है. योगा सिर्फ कसरत का एक प्रकार मात्र है, जो आपके शरीर से एक्स्ट्रा कैलोरी बर्न करता है. ये जो बेवकूफ भक्त लोग समझते है कि पतंजलि वाले लाला रामदेव ने योग को पॉपुलर किया है, उन्हें नेहरू जी की ये फोटो देखनी चाहिए शीर्षसन वाली. उस समय रामदेव पैदा भी नहीं हुआ था शायद जब नेहरू जी शीर्षसन करते थे – पं. किशन गोलछा जैन
जस्टिस (रि.) मार्कण्डेय काटजू
आज 21 जून को अन्तराष्ट्रीय योग दिवस है. मैं इसे एक नौटंकी और नाटक मानता हूं. जब 50 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं (ग्लोबल हंगर इंडेक्स देंखे), हमारी 50 प्रतिशत महिलाएं एनिमियां से पीड़ित हैं और रिकार्ड बेरोजगारी है. खाद्य पदार्थों, ईंधन, गैस सिलेंडर आदि की आसमान छूती कीमतें, किसानों का संकट (लगभग 4,00,000 भारतीय किसानों ने पिछले 25 वर्षों में आत्महत्या की है) और जनता के लिए उचित स्वास्थ्य सेवा लगभग नगण्य है. इस परिस्थिति में लोगों को योग करने के लिए कहना उतना ही बेतुका और बेहूदा है, जितना कि क्वीन मैरी एंटोनेट का उन लोगों को कहना कि जिनके पास रोटी नहीं है, वह केक खाएं.
भारत में लोग योग नहीं बल्कि भोजन, नौकरी, आश्रय, उचित स्वास्थ्य देखभाल, अच्छी शिक्षा और अन्य आवश्यकताएं चाहते हैं. किसी भूखे या बेरोजगार पुरूष या महिला को योग करने के लिए कहना एक क्रूर चाल और भटकाव है. ऐसा कहा जाता है कि योग अच्छा स्वास्थ्य और शांत मन देता है लेकिन क्या यह किसी गरीब, भूखे और बेरोजगार पुरूष या महिला को यह देगा ? क्या यह हमारे कुपोषित लोगों और एनीमिक महिलाओं को देगा ?
बहुत से लोग मुझसे पूछते हैं कि क्या मैं स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, दिवाली, होली, फादर्स डे, मदर्स डे, बाल दिवस आदि के खिलाफ हूं ? सिर्फ योग दिवस के खिलाफ ही क्यों ? मैं योग या ऊपर वर्णित अन्य किसी चीजों के खिलाफ नहीं हूं. मैं जिस चीज के खिलाफ हूं, वह है राजनीतिक ऐजेंडे के लिए उनका अपहरण करना. रोमन सम्राट कहा करते थे – अगर आप लोगों को रोटी नहीं दे सकते तो उन्हें सर्कस दें.
आज के भारतीय सम्राटों (जिनकी बेशर्मी से सहायता हमारी अधिकांश बिकी हुई और चाटुकार गोदी मीडिया करती है) कहते हैं, ‘अगर आप गरीबी, बेरोजगारी, भूख, मूल्य वृद्धि, स्वास्थ्य देखभाल, किसान संकट आदि की भारी समस्याओं को हल नहीं कर सकते हैं तो भारतीय लोगों का ध्यान भटकाने के लिए स्टंट और नौटंकी जैसे विकास, योग दिवस, राम मंदिर, स्वच्छता अभियान, सीएए, अनुच्छेद 370 का निरसन आदि करें.’
Read Also –
जो जितना भ्रष्ट होता है, वह उतनी ही देर पूजा करता है
बाबा रामदेव का ‘वैचारिक आतंकवाद’
ईवीएम और हत्याओं के सहारे कॉरपोरेट घरानों की कठपुतली बनी देश का लोकतंत्र
धार्मिक नशे की उन्माद में मरता देश
देश का साइंटिफिक टेम्पर खत्म कर पाखंडियों ने पीढ़ियों को तबाह कर दिया
[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]