आज मेरी कविता पढ़ लो
यह बहुत अल्पजीवी है
कल इस पर मूंगफली
और चटनी के साथ समोसे बिकेंगे
मैं इतना मशहूर हूं
कि आज हर प्रेमी के हाथ का गुलाब हूं
मैं ने आज तक जितने फूलों को छुआ
सब के सब फल हो गए
बावजूद इसके मैं एक कच्चा खिलाड़ी हूं
और बुजुर्गियत की इस लंबी उम्र में भी
मेरे पास पक्का शिकारी बनने का कोई गुर नहीं है
मोदी जी को दोष क्यों दूं
मैं जिस परिकल्पित समूह से हूं
उसकी बेवकूफियों के न जाने
कितने मजेदार किस्से मशहूर हैं
कभी मौका मिले तो जरुर सुनिए
और अपने दोस्तों के साथ खूब हंसिए
अच्छी सेहत के लिए हंसना भी जरूरी है
वह भी मेरी तरह भूखा फटेहाल है
लेकिन उसे मेरे साथ रहना मंजूर नहीं है
क्योंकि उसके मुकाबिल मेरी सीट थोड़ी छोटी है
कुर्ता भी उतना सुफेद नहीं है
बदन से पसीने की बदबू आती है
इसलिए उसे इस छोटी सी सीट पर
मेरे साथ बैठने में शर्म आती है
लेकिन हम दोनों का
एक ही काम है पत्थरबाजी का
और थाने में हम दोनों आज भी
कुख्यात नामजद मुजरिम हैं
और एक तुम हो जो कहती हो
आपका मेरी वाल पर आना
मुझे अच्छा लगा
यह क्या बेवकूफी है ?
- राम प्रसाद यादव
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