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ये बचाएंगे

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निजाम ने खरीद लिए कुछ सियार
कि ये बचाएंगे
ऊंंची आवाज में जब हुआंं हुआंं करेंगे
तो भय से दुबक जाएगा आवाम

निजाम ने खरीद लिए कुछ खबरनवीस
कि ये बचाएंगे
जब हरा हरा दिखाएंगे सब ओर
तो जन सावन का अंंधा बना ही रहेगा

निजाम ने खरीद लिए कुछ मठाधीश
कि ये बचाएंगे
जब कहेंगे अपने अनुयायियों से
कि निजाम आपके लिए चिंतित बहुत है
तो यकीन ही करते रहेंगे अनुयायी

निजाम ने खरीद लिए कुछ मदारी
कि ये बचाएंगे
जब चौक चौक लगाएंगे मजमा
निजाम की तारीफों का राग गाएंगे
तो तारीफ में लोग पगला ही जाएंगे

निजाम ने खरीद लिए कुछ सफेदपोश
कि ये बचाएंगे
जब झक सफ़ेद वस्त्रों से दिखाएंगे शुचिता के संदर्भ
और जनता इसे ही शुचिता समझ
वाह वाह करती रहेगी

किसी दिन फिर
देखेगा हाकिम
कि बदलने लगा है हवाओं का अनुकूलन
बंगले के पंछियों में बेचैनी है
परजीवीयों में घबराहट है,
वह गहरे रंग के पर्दे हटाएगा
बाहर झांकेगा
देखेगा
तल्ख हवाएं अब जलने लगी हैं

वह खबरनवीसों को ढूंढेगा
अखबार सब जल रहे होंगे
आग में आग बन रहे होंगे
भाग रहे होंगे सब खरीदे हुए खबरनवीस
सियार पिट रहे होंगे
मठाधीश मठों में बैठ
मौनव्रत धारण कर लेने की
अपनी अभिनय क्षमता का परीक्षण कर रहे होंगे
मजमे उलट दिए जाएंगे सब
सफेदपोश हवाओं का रुख देख
पाला बदलने की रणनीति में मश्गूल होंगे

हाकिम बन्द कमरों में चिल्लायेगा
तेज कर देगा एसी की ठंडक
बार बार पेशानी से पसीना पोछेगा

हवाओं से फैलती आग किसी भी पल
हाकिम के गुरुर को राख कर देगी

  • वीरेंदर भाटिया

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