सरकार ने यातायात नियमों के नाम पर एक तुगलकी कानून को अमलीजामा पहनाने का फरमान जारी किया है. मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2016 के प्रावधानों के अनुसार किशोरों द्वारा किए जाने वाले अपराध के लिए अभिभावक व वाहन के मालिक को दोषी माना जायेगा. इस स्थिति में 25 हजार रूपये का जुर्माना और 3 साल का जेल देने का प्रावधान बनाया गया है. आरोपी किशोर पर जेजे एक्ट के तहत मुकदमा चलेगा और गाड़ी का पंजीकरण रद्द कर दिया जायेगा.
ऐसे तुगलकी कानून पुलिस के हाथों लोगों को लूटने-खसोटने के एक नये औजार के रूप में देखा जा रहा है.
इस नये कानूनों को लागू करने के पक्ष में तर्क है कि हर साल देश में 5 लाख सड़क हादसे होते हैं, जिसमें 1.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है. इसी कारण मोटर वाहन अधिनियम को और सख्त बनाया गया है.
अभी तक लागू कानूनों को ठीक तरीके से अगर लागू किया जाये तो नये कानून बनाने की कोई जरूरत ही नहीं होगी. सभी जानते हैं कि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण ज्यादातर सड़क हादसे होते हैं. इससे भी ज्यादा सड़कों पर बने गड्ढे इन हादसों के जिम्मेदार होते हैं, जिसका सीधा कारण भ्रष्टाचार है.
उपरोक्त मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2016 संसद में पास हो चुका है, और राज्यसभा में पास होना बांकी है. विदित हो कि पेश की जा रही विधेयक परिवहन उद्योग से जुड़े विभिन्न संगठनों के विरोधों को नजरअंदाज किया गया है, जिसका परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार के नये आयाम तैयार होंगे और देश की जनता इस लूटरी व्यवस्था में लूटती रहेगी.
इसका एक दूसरा भयावह परिणाम भी निकलेगा और वह यह होगा कि आम जनता और प्रशासन के बीच बेवजह का टकराव पैदा होगा, जिसका उत्तरदायी भी यही तुगलकी विधेयक होगा.