यहां क्रांति की तैयारी चल रही है-
कोनों में दुबक कर,
वे जोर से गरजते हैं.
नारे की गरजना से,
थरथराने लगता है सामने वाला.
वे अपने मूंह में तोप फिट कर लिये हैं,
गरजने के लिए.
चुप रहो !
वे क्रांति की तैयारी कर रहे हैं.
देखते नहीं, वे अपना रायफल बंधक रख दिये हैं,
पत्नी के गहने जो खरीदने हैं.
अरे वो देखो, वे कहीं जा रहे हैं.
चुप, इतना भी नहीं समझता,
मंत्री जी की अगुवानी में हैं.
अपने बेटे को विदेश जो भेजना है !
कल तक गरीब थे
-तो रहा करे.
आज सम्पन्न हो गये हैं, और अब-
क्रांति के नायक वे ही हैं.
धीरे बोलो, वे क्रांति की तैयारी कर रहे हैं
( 2 )
अरे वो देखो !
सर पर बोझा लिये जा रहा है,
भुक्खड़ों-कंगालों की टोली.
अरे, ये तो धान का बोझा है…
फलां बाबू के खेत का है…
…बड़े ही गरीब आदमी हैं,
मात्र चौबीस हजार एकड़ ही जमीन है…
और ये नीच-पापी उस ‘गरीब आदमी’ को लूट लिया !!!
जुलुम हो गया…
…घोर कलयुग आ गया है.
अरे वो देखो,
उसके हाथ में-
तीर-घनुष है, भाले भी हैं.
बाप रे ! बन्दुकें भी चमचमा रही है.
हाय ! हाय !!
ये बहुत ही खतरनाक बात है
भुक्खड़ों-कंगालों के हाथों में इस चीज का होना…
( 3 )
अरे, वो देखो
वे पुलिस को बुला रहे हैं.
…खामोश !
वे क्रांति की तैयारी कर रहे हैं.
…अब वे पुलिस के साथ,
इन भुक्खड़ों-कंगालों की लाशें गिन रहे हैं.
…पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्या है ?
अरे, ये गोली लगने के बहुत पहले
भूख से मर चुके थे.
उसकी औरतें मर गई पुलिस बलात्कार में.
(बड़ी कमजोर होती है ये औरतें)
बचे-खुचे पुलिस हिरासत में मार दिये जायेंगे.
( 4 )
वे बहुत खुश थे.
उन्होंने तत्परता से आज एक
‘गरीब’ की रक्षा की.
‘भुक्खड़ों’ को मजा चखा दिया.
अब क्रांति की तैयारी अच्छी होगी.
अगले चुनाव में,
वोटों की फसल खूब कटेगी
- अभिजीत राय (2001)
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