पं. किशन गोलछा जैन, ज्योतिष, वास्तु और तंत्र-मंत्र-यन्त्र विशेषज्ञ
वुहान इंस्टीट्युट से यह वायरस कैसे फैला, इसे लेकर 2 आंकलन है, यथा –
1. वुहान के करीब एक मांस मंडी है और ज्यादातर प्राथमिक रोगी इस इलाके के आस-पास से थे, तो माना ये जा रहा है कि चमगादड़ के सूप वगैरह से यह वायरस मानव शरीर में चला गया और फिर फैलने लगा.
2. वुहान इंस्टीट्युट के 2 शोधार्थी भी कोरोना से ग्रस्त हुए थे, अत: यह सम्भावना भी है कि शोध के दौरान ये लोग इससे संक्रमित हो गये हो और फिर उनसे यह अन्य में फ़ैला हो.
इन दो के अलावा अब इसमें एक तीसरी सम्भावना भी है कि चाइना ने इस वायरस की पहचान करने वाले टाटा और मेलिंडा से चमगादड़ों को खरीदकर इसे वुहान लैब में एक जैविक हथियार के रूप में डेवलप किया हो, जिसका परिक्षण किया गया हो लेकिन वायरस संभावना से ज्यादा डेवलप हो गया हो और अब चाइना की पकड़ से परे हो. असल में कोरोना वायरस सार्स का ही एक वर्जन है.
नयी जानकारी के अनुसार कोरोना वायरस भारत के नागालैंड में टाटा इंस्टीट्युट ऑफ़ रिसर्च ने 2017 में तैयार किया था, जो उसने मेलिंडा फाउन्डेशन के साथ मिलकर चमगादड़ों की एक रिसर्च के समय तैयार किया था (रिसर्च का विषय था – चमगादड़ इबोला, सार्स, रैबीज आदि वायरस के वाहक कैसे है ? और चमगादड़ों की घनी आबादी के बावजूद नागालैंड में इन वायरस जनित रोगों का इतिहास क्यों नहीं रहा है ?)
2017 में नागालैंंड से वुहान इंस्टीट्युट यह वायरस चीन लेकर गया था और फिर वहां से यह पूरी दुनिया में फैला.
2019 में मेलिंडा फाउन्डेशन ने इस बारे में किये गये अध्ययनों को प्रकाशित किया भी किया था.
अब जब कोरोना पूरी दुनिया में फ़ैलकर तबाही मचा रहा है, तब कहीं जाकर मोदी सरकार की आंंखें खुली है और भारत सरकार ने अब इस पर जांंच बैठाई है कि बिना अनुमति के ये लोग (वुहान इंस्टिट्यूट वाले) भारत से चाइना चमगादड़ कैसे लेकर गये ?
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