Home गेस्ट ब्लॉग राईट ऑफ : मोदी सबसे बड़ा चोर है

राईट ऑफ : मोदी सबसे बड़ा चोर है

6 second read
0
0
704

राईट ऑफ : मोदी सबसे बड़ा चोर है

गिरीश मालवीय

मोदी सरकार ने पिछले पांच साल में अपने पूंजीपति मित्रों के लगभग 8 लाख करोड़ रूपये राइट ऑफ़ कर दिए हैं जबकि मनमोहन सरकार के पूरे 10 सालों के कार्यकाल में मात्र 2 लाख 20 हजार करोड़ ही राइट ऑफ़ किया गया था. यह जानकारी एक आरटीआई में सामने आयी है.

मोदी सरकार के कार्यकाल में बड़े पैमाने पर पूंजीपतियों के लोन राइट ऑफ किए गए हैं. मोदी सरकार में 2015-2019 के दौरान 7.94 लाख करोड़ रुपए के बैंक लोन राइट ऑफ किए गए हैं. यह मनमोहन सरकार के 2004-2014 के 10 साल के कार्यकाल के मुकाबले 3 गुना ज्यादा है.

पुणे के कारोबारी प्रफुल शारदा की ओर से दाखिल RTI के जवाब में कहा गया है कि यूपीए सरकार के 10 साल के कार्यकाल में विभिन्न बैंकों ने 2,20,328 करोड़ रुपए के लोन राइट ऑफ किए हैं जबकि मोदी के प्रधानमंत्री रहते 2015-2019 के कार्यकाल में 7,94,354 करोड़ रुपए के लोन राइट ऑफ किए गए हैं.

मीडिया में आज लगभग यह खबर आज गायब ही कर दी गई है कि मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के शुरुआती चार साल में पिछली यूपीए सरकार के मुकाबले तीन गुना ज्यादा के लोन माफ किए हैं. आरबीआई से मिली जानकारी के अनुसार, 2015 से 2019 तक 7.94 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ किए गए थे, जबकि उससे पहले यूपीए सरकार के 10 साल (2004-2014) में 2,20,328 करोड़ रुपये के लोन माफ हुए थे.

कुछ मित्रों का कहना है कि यह लोन माफ नहीं किया गया है बल्कि इसे राइट ऑफ किया गया है. आइये एक बार इन तकनीकी शब्दों की जादूगरी को समझ लेते हैं. दरअसल किसी भी कर्ज में जब लगातार तीन महीने तक किश्त नहीं चुकायी जाती है तो वो फंसा कर्ज यानी एनपीए में तब्दील हो जाता है. जब एनपीए की वसूली की कोई उम्मीद नहीं होती है तो वो डूबा कर्ज बन जाता है, वो रकम बट्टे खाते में डाल दी जाती है. तकनीकी भाषा में इसे ‘राइट ऑफ’ कहा जाता है.

आरबीआई के मुताबिक लोन को राइट ऑफ करने के लिए बैंक एक प्रोविजन तैयार करते हैं. इस प्रोविजन में राशि डाली जाती है. इसी का सहारा लेकर लोन को राइट ऑफ किया जाता है. बाद में यदि कर्ज की वसूली हो जाती है तो वसूली की गई राशि को इस कर्ज के विरुद्ध एडजस्ट कर दिया जाता है. ‘राइट ऑफ’ एक टेक्निकल एंट्री है, इसमें बैंक को कोई नुकसान नहीं होता है. इसका मतलब ये नहीं है कि बैंक ने उन संपत्तियों को छोड़ दिया, राइट ऑफ के बाद भी बैंक कर्ज वसूली की प्रक्रिया जारी रखते हैं.

लेकिन बड़ा सवाल यहांं ये उठता है कि राइट ऑफ किये गए लोन की वसूली आखिर होती कितनी है ?

इसी लोन की बात कर लेते हैं एनडीए सरकार के दौरान राइट ऑफ किए गए 7 लाख 94 हजार 354 करोड़ रुपए में से मात्र 82 हजार, 571 करोड़ रुपए की रिकवरी की गई है, यांनी स्पष्ट है कि बचा हुआ 7 लाख 11 हजार करोड़ रुपये डूब गया है.

यानी कुल राइट ऑफ लोन का 12% ही वसूल कर पाए हैं. यह फिगर भी तब है जब इसमें प्राइवेट बैंकों के राइट ऑफ की गई रकम का आंकड़ा शामिल हैं. यदि आप पीएसयू बैंकों की रकम की वसूली को देखे तो मात्र कुल लोन राशि का सात से दस प्रतिशत ही वसूली हो पाती है.

बैंकों ने अब वार्षिक आधार पर बैड लोन को राइट ऑफ घोषित करना शुरू कर दिया है. जबकि आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि हर साल आप लोन को राइट ऑफ नहीं कर सकते हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि आप ऐसे लोन को हर तिमाही में या हर साल क्लियर नहीं कर सकते हैं, ये पांच या दस साल में की जाने वाली प्रक्रिया है. इसके अलावा राइट ऑफ की जाने वाली रकम भी छोटी होनी चाहिए.
इसके अलावा किसी भी ऋण को बट्टे खाते में डालने की घोषणा करने से पहले बैंक वसूली के सभी उपाय नहीं आजमाता है. इसके बजाय वह ‘राइट ऑफ’ का आसान रास्ता अपनाता है.

एक और महत्वपूर्ण बात जो आपको और हमको समझना चाहिए कि राइट ऑफ की गई रकम की भरपाई के लिए बैंक अपने बाकी कमाई के जरियों पर निर्भर रहता है. जैसे कि बाकी लोन्स पर आ रहा ब्याज, सेविंग वगैरह पर दिया जा रहा ब्याज कम करना आदि. इसलिए ही आप देखेंगे कि बैंकों द्वारा लगातार सेविंग्स की ब्याज दरों को कम किया जा रहा है.

मोदी सरकार में हो यह रहा है कि बड़े कारोबारियों के साल दर साल कर्ज को बट्टे खाते में डाला जा रहा है और उसकी वसूली के लिए बैंकों के री-केपेटलाइजेशन के नाम पर आम जनता पर टैक्स बढ़ा कर वसूली जा रही है.

Read Also –

 

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…