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विश्व कारोबारी रैंकिंग: एक बार फिर केजरीवाल के सामने बौने साबित हुए मोदी

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दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली में बिजली और पानी की सुगमता के साथ शिक्षा एवं स्वास्थ्य की समस्याओं को लेकर चुनाव लड़ी थी. प्रचंड बहुमत से दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी ने शानदार और सधे तरीके से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते हुए जहां बिजली-पानी की समस्याओं को फौरन हल किया तो वहीं शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी शानदार मुकाम बनाया, इसके बावजूद की केन्द्र की मोदी सरकार हर कदम पर रोड़े अटकाने का काम किया.

आज जब दिल्ली के शानदार प्रगति की विश्व बैंक जैसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने सराहना की, तो केन्द्र की प्रतिक्रियावादी मोदी सरकार अपनी पीठ थपथपाने लगी- विदित हो कि केन्द्र की मोदी सरकार अपना पिछला उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव श्मसान और कब्रिस्तान को लेकर लड़ी थी, और यही सबसे पसंदीदा मुद्दा भी है. यही कारण है कि भाजपा और उसके नेता-कार्यकर्ता देशभर में दंगे-फसाद और विरोध करने पर हत्या-बलात्कार कर रही है.

यही कारण है कि एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी और देश के वास्तविक हालातों के मद्देनजर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के सामने बौने साबित हो गए. देश के प्रधानमंत्री को यह आईना विश्व बैंक ने दिखाया है. विश्व बैंक की अपनी एक रिपोर्ट में कारोबार करने में सुगमता के आधार पर भारत को विश्व कारोबारी रैंक में 30 अंकों के इजाफे के साथ 100वें स्थान पर जगह मिली है. भारत इससे पहले 130वें स्थान पर था- बेशक यह हमारे लिए गर्व करने की बात है और यह हमारे देश के लिए पहला मौका भी है, जिसमें हमारे देश ने विश्व रैंकिंग में बेहतर किया है.

विश्व कारोबारी रैंकिंग में भारी सुधार की खबर आने के साथ ही देश के भाजपा और उसके ट्रोल्स मोदी को इसका श्रेय देने लगे जबकि रैंकिंग में यह सुधार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की शानदार जनोपक्षीनीतियां के ही कारण सम्भव हो पाया है. इस बात का जिक्र करना भाजपाईयों ने उचित नहीं समझा और न ही उन्होंने अरविन्द केजरीवाल के हर नीतियों के खिलाफ अनैतिक तरीके से लगाये गये अडंगा, जिसे एलजी के साथ-साथ भाजपा केन्द्रीय स्तर पर करती थी, आलोचना नहीं की, उल्टे अपना पीठ थपथपाने लगी.

भारत विश्व कारोबार रैंकिंग में बेहतर क्यों कर सका, इसे बेहतर तरीके से जानने के लिए इस रैंकिंग के मानक और सैंपल को समझना जरूरी है. विश्व बैंक की रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा हुआ है कि ‘कारोबार में सुगमता’ की लिस्ट को कारोबार में सुगमता के आधार पर बनाया गया है. मुंबई में तो कारोबार की सुगमता तो पहले भी थी, परन्तु इस बार दिल्ली में कारोबार की सुगमता की वजह से रैंकिंग में भारत का बेहतर होना संभव हो पाया है.

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘जहां पहले दिल्ली में कारोबारियों को बिजली कनेक्शन लेने में 138 दिन लग जाते थे, वहीं अब मात्र 45 दिनों में यह कनेक्शन उपलब्ध करावाया जाता है.’’ इसमें दिल्ली टैक्स अदायगी, व्यापार का विस्तार और कॉन्ट्रैक्ट के लागू होने जैसे मानक भी महत्वपूर्ण हैं. इसके अलावे दिल्ली में बिजली के मूल्य मुंबई से भी बेहद सस्ते दरों पर उपलब्ध कराया जाता है. मुंबई में 1 यूनिट बिजली 25 यूएस सेंट पर उपलब्ध करवाई जाती है तो वहीं दिल्ली में यह 16 यूस सेंट पर दिल्ली सरकार उपलब्ध करवाती है.

विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘विश्व स्तरीय संगठन ओईसीडी से भी तेज गति से बिजली कनेक्शन दिल्ली सरकार दिल्ली में उपलब्ध करवाती है – जिस कारण भारत इस मानक पर भी 29वें नम्बर पर पहुंचने में कामयाब रहा है.

केवल इतना ही नहीं, विश्व बैंक के ही इस रिपोर्ट के अनुसार मुंबई के अपेक्षा दिल्ली में काम करना ज्यादा फायदेमंद भी बताया है. इसके अनुसार ‘‘दिल्ली के किसी सुपरमार्केट में एक कैशियर को कम से कम 14 हजार रूपये मिलते हैं जबकि इसी तरह के काम करने वाले एक साल के अनुभवी कैशियर को 8,650 रूपये ही मिलते हैं अर्थात्, दिल्ली में 60 प्रतिशत अधिक वेतन पाते हैं.

विश्व बैंक की यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के सामने बौना साबित करता है, उम्मीद की जानी चाहिए कि इससे मोदी सरकार सबक लेगी और दिल्ली के मुख्यमंत्री सहित देश की जनता के हितों के बारे में सोचेगी, बजाय इसके कि वह अपने विरोधियों को फांसी पर लटकाये.

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