बूंद-बूंद पानी को तरस रहे फरीदाबाद के मजदूरों ने दिन भर 12-12 घंटे पसीना बहाकर, महीने में बा-मुश्किल ₹10,000/ कमाने वाले, उसमें से ₹3000/ हर महीने टैंकर से पानी ख़रीदने में खर्च करने को मज़बूर, आज़ाद नगर, सेक्टर 24, फ़रीदाबाद के मज़दूरों ने 2 जुलाई को, ‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा’ के बैनर तले एक शानदार मोर्चा निकाला. 500 से भी ज्यादा मज़दूरों के इस आक्रोश मार्च में बड़ी तादाद में महिलाएं अपने बच्चों के साथ शरीक़ हुईं.
तेज़ लू और उमस वाली बेचैन करने वाली गर्मी की परवाह ना कर, आज़ाद नगर मज़दूर बस्ती के लोग, हाथों में लाल झंडे लिए और गले में तख्तियां लटकाए, सुबह 10.30 बजे पैदल ही अपने घरों से निकल पड़े और यह मोर्चा 11.30 बजे, सेक्टर 8 स्थित, मूलचंद शर्मा, कैबिनेट मंत्री, परिवहन एवं उच्च सिक्षा, हरियाणा सरकार के दफ़्तर पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया.
मंत्री जी अनुपस्थित थे. उनके बड़े भाई श्री टिप्पर चंद शर्मा ने आक्रोशित महिलाओं के उग्र तेवर को भांपने में बिलकुल देर नहीं की और मंत्री जी के निजी सचिव को ज्ञापन स्वीकार करने के लिए भेजने की बजाए, विनम्रता की प्रतिमूर्ति बन हाथ जोड़कर स्वयं प्रकट हो गए – ‘आपकी बस्ती में हर रोज़ पानी उपलब्ध कराना हमारी ज़िम्मेदारी है. पानी 5 दिन बाद आएगा, किसने बोला ? उस अधिकारी का नाम बताया जाए. आप अंजान और मासूम मत बनिये, आपको सब मालूम है’.
आन्दोलनकारी महिलाएं यूं बहलने के मूड में बिलकुल नहीं थीं. तब उन्होंने जल विभाग के सम्बंधित अधिकारियों को फोन किए और भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच सभा में घोषणा की – ‘आज़ाद नगर में, हर रोज़, कम से कम एक घंटा पानी सप्लाई ज़रूर होगी. तीन बंद पड़े ट्यूब वेल को तत्काल चालू किया जाएगा और उनमें से कोई भी ट्यूब वेल अगर चालू होने की स्थिति में नहीं हुआ तो उसकी जगह नया ट्यूब वेल लगाया जाएगा. अब तो तालियां बजा दो !!’
क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा के अध्यक्ष कॉमरेड नरेश इवन महासचिव कॉमरेड सत्यवीर सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज़ाद नगर के मेहनतक़श लोग, अपने विधायक-मंत्री को, जो उन्हें भूल चुके हैं, ये बताने आए हैं कि भाजपा की डबल नहीं बल्कि ट्रिपल इंजन सरकार में, आज़ाद नगर और 60 मज़दूर बस्तियों में रहने वाले, 15 लाख मज़दूर, बूंद-बूंद पानी को मोहताज़ हैं, वे 9 साल पूरे होने की किस बात की गौरव रैलियां निकाल रहे हैं?
केंद्र, हरियाणा और नगर निगम में बैठे भाजपाईयों और उनके निकम्मे प्रशासन की संवेदनहीनता का ये आलम है कि लोग टैंकरों से पानी ख़रीद रहे हैं और तीन ट्यूब वेल ठप्प पड़े हैं. वे ठप्प ना पड़े होते तो जल-माफ़िया, हर रोज़ करोड़ों रुपये इन भूखे ग़रीबों की जेबों से कैसे निकालता ! फ़रीदाबाद को ‘उद्योग नगरी’ बनाने वाले ये 15 लाख मज़दूर अगर इकट्ठे होकर, अपने हक़ों के लिए लड़ना नहीं सीखे तो अपनी झोपड़ियों में प्यासे ही मर जाने वाले हैं.
मौजूदा भाजपा सरकार से ज्यादा मज़दूर-विरोधी, जन-विरोधी और सरमाएदारों की खिदमतगार सरकार आज तक नहीं आई. मंत्री जी की ओर से हुई घोषणाओं की रिकॉर्डिंग की गई है और पानी की समुचित आपूर्ति होने तक ये संघर्ष ज़ारी रहेगा.
मोर्चे में शरीक़ मज़दूर तख्तियां लिए हुए थे – ‘आज़ाद नगर को पानी 5 दिन में मिलेगा’- खट्टर सरकार शर्म करो’, ‘हरियाणा सरकार, पानी दो या इस्तीफा दो’, ‘डबल इंजन की सरकार- मज़दूरों पर दोहरी मार’, आज़ाद नगर में पानी नहीं, मोदी-खट्टर शर्म करो’, ‘पानी का करो इंतज़ाम- वर्ना होगी नीद हराम’, ‘पानी का इंतज़ाम करो- हिन्दू मुस्लिम में बांटना बंद करो’, ‘मज़दूर भी इंसान हैं- घरों से निकलो साबित करो’, ‘मिलकर लड़ना नहीं सीखे तो आगे पछताना होगा’, ‘अंधी बहरी ये सरकार- नहीं चुनेंगे अबकी बार’, ‘मज़दूर बस्तियों में पानी नहीं- स्मार्ट सिटी की लफ्फाज़ी बंद करो’, ‘मज़दूर बस्तियों में पानी दे नहीं सकते- अमृत काल की बकवास बंद करो’.
सभा को, पूर्व पार्षद जगदीश जी तथा युवा छात्र नेता सनी बादल ने भी संबोधित किया. नगर निगम जल-घर पर मोर्चा, अधिशासी अभियंता कार्यालय पर प्रतिनिधिमंडल और मंत्री जी के दफ़्तर पर हुए कार्यक्रम को क़ामयाब बनाने में, आज़ाद नगर की युवा टीम, मुकेश, चंदन, हैदर अली, वीर सेन, महेश, नरेश, विनोद, बबलू और क्रांति ने बहुत मेहनत की. हरियाणा के मुख्यमंत्री के नाम दिए ज्ञापन में, क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा ने मांग की हैं –
- फ़रीदाबाद प्रशासन एवं हरियाणा सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता पर आज़ाद नगर तथा सभी मज़दूर बस्तियों में, रोज़ पर्याप्त जल-आपूर्ति की व्यवस्था करे. आज़ाद नगर में कम से कम 2 ट्यूब वेल लगाए जाएं. साथ ही सेक्टर 25 स्थित जल-घर में पर्याप्त जल भंडारण की व्यवस्था तत्काल की जाए.
- फ़रीदाबाद प्रशासन और हरियाणा सरकार ये स्वीकार करें कि मज़दूर भी इंसान हैं. मूलभूत नागरिक सुविधाओं, यहां तक कि जीवनावश्यक पानी-आपूर्ति के मामले में भी अमीर-ग़रीब में भेदभाव करना अन्यायपूर्ण व असंवैधानिक है. मज़दूर भी, हर वस्तु पर, समान दर से जीएसटी देते हैं.
- पानी के अवैध कारोबार पर सख्ती से रोक लगे. जल-माफ़िया के सामने प्रशासन इतना लाचार क्यों नज़र आता है ? यदि लोगों को पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है तो कोल्ड ड्रिंक कंपनियों पर रोक लगे क्योंकि ये कंपनियां अपने निजी मुनाफ़े के लिए, प्रचंड मात्रा में पानी बर्बाद करती हैं. जल-माफ़िया और नगर निगम मिलीभगत की जांच हो और कसूरवारों को दंडित किया जाए.
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