Home कविताएं कठफोड़वा

कठफोड़वा

0 second read
0
0
561
कठफोड़वा

कठफोड़वा की चोंच का एक प्रहार
और अनार की छाती से
बहता रक्त
पूरब में फैलता
मां के कलछुल से
ढलकेगा
सोना मूंग की गरम दाल
अभी थोड़ी देर बाद
कठुआए हुए जीभ
लपकेंगे हवा की दिशा में
रहट धीरे धीरे पानी खींचता था
खेत चुस्कियां लेकर पीते थे पानी
अब एक सोया हुआ दानव
अचानक जागता है
और सुरसा की तरह निगल जाता है पानी
उं उं उं उं उं उं उं उं उं ….
रोते हुए
चरम सुख का शीत्कार
बहेलिया के गुलेल के
बीचोंबीच
गिद्ध बचे हैं
लालसर
भांगर में उथले हैं
रक्तिम पट्टियां गले में बांधे
ऐसे में खबर आई है कि
रामधुन जब गुजर रहा था
उस भूताहा पेड़ के नीचे से
किसी ने उसे खींच लिया उपर
गला पकड़ कर
वेताल के प्रश्न का जवाब नहीं था
उसके पास
कितने पेट होते हैं
एक पेट के अंदर

  • सुब्रतो चटर्जी

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…