जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी शेष पॉल वेद और कश्मीरी कार्यकर्त्ता अमजद अयूब मिर्जा ने दावा किया है कि पाकिस्तानी सेना के 600 कमांडो सीमा पार कर भारत के जम्मू में घुस चुके हैं. ये कमांडो पाकिस्तान के स्पेशल सर्विस ग्रुप के हैं, जो भारत में एक के बाद गंभीर हमलों को अंजाम दे रहे हैं. मिर्जा ने एक्स पर एक पोस्ट में दावा किया है कि पाकिस्तानी एसएसजी के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल आदिल रहमानी, मुजफ्फराबाद से आक्रामक योजना बना रहे हैं. मिर्जा ने दावा किया है कि करीब 600 एसएसजी कमांडों ने कुपवाड़ा क्षेत्र और जम्मू-कश्मीर की अन्य जगहों में घुसपैठ किया है.
कहा जाता है कि केन्द्र में ‘मजबूत’ 56 ईंची मोदी सरकार विराजमान है और जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ जारी है, आखिर कैसे यह मुमकिन है ? दरअसल केन्द्र की मोदी सरकार एक कायर सरकार है, जिसके पास कोई रणनीति नहीं है. उसका एक मात्र एजेंडा देश में राजे-रजवाड़ों का शासन कायम करना है, जिसे इस देश से 70 साल पहले उखाड़ फेंका गया था और रही-सही कसर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूरी कर दी थी.
भारत का सबसे संवेदनशील राज्य जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद मोदी सरकार ने देश भर में विजयी शंखनाद फूंका था, मानो कोई अनोखा कार्य सम्पादित कर दिया हो. देश के तमाम बुद्धिजीवियों और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं ने एक स्वर से इसका विरोध किया था और इसके गंभीर खतरे की ओर इशारा किया था, लेकिन राजे-रजवाड़ों का शासन कायम करने की जूनून में मोदी सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी, अब उसका परिणाम सामने है.
कहना न होगा, केन्द्र की मोदी सरकार ने चुनावी जीत हासिल करने के लिए पुलवामा जैसे हमलों को अंजाम दिया था, जिसमें देश के 40 सैनिकों के चिथड़ें उड़ गये थे. इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कारगिल में भी पाकिस्तानी सैनिकों को घुसपैठ कराया था, और फिर चुनाव में देशभक्ति को भुनाने के लिए ‘युद्ध’ किया था, जिसमें देश के हजारों सैनिकों की जानें चली गई थी. एक बार फिर कायर मोदी सरकार देश के सामने ‘युद्ध’ जैसे हालात पैदा कर चुकी है.
बता दूं कि धारा 370 हटने के बाद जिस कदर जम्मू-कश्मीर की स्थित दिन-व-दिन बिगड़ती जा रही है, उसमें भारत के प्रधानमंत्री मोदी कश्मीर का न केवल दौरा करने से भाग गये अपितु 2024 के 18वीं लोकसभा चुनाव में कश्मीर के तीन सीटों से अपना उम्मीदवार तक खड़ा करने का हिम्मत नहीं जुटा पाया. यह हालत कश्मीर की ही क्यों की जायें, देश के मणिपुर में साल भर से चले आ रहे दंगा को नियंत्रित करने, लोगों की हिफाजत के लिए कोई कार्य करने के बजाय मणिपुर को यूं भूल गये मानों मणिपुर भारत का हिस्सा ही नहीं है.
गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की मौतों के बाद भी मोदी सरकार के मूंह से चू तक नहीं निकला. और जब आवाज निकली भी तो ‘न कोई घुसा है…’ का गाना गा दिया. ऐसे नाकारे कायर नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में अगर कश्मीर में 600 पाकिस्तानी सैनिक घुस आये तो आश्चर्य कैसा ?
इतना ही नहीं, भारत के सबसे शांत राज्य पंजाब में जानबूझकर मोदी सरकार और उसके गैंग्स ने खालिस्तानी समर्थकों को जिन्दा किया और फिर आतंकवाद का रोना-गाना शुरू कर दिया. दिल्ली के बॉर्डरों पर पूरे साल भर तक लाखों किसानों ने धरना दिया लेकिन मोदी को मालूम न हो सका कि इस देश के किसानों से भेंटकर उनसे बातें की जाये, उल्टे किसानों को रोकने के लिए सेना तक को उतार दिया और दिल्ली जाने वाली हर सड़कों को खोद डाला गया और बड़े-बड़े कंक्रीट के बोल्डर और कांटे बिछा दिये गये. कहना न होगा 700 से अधिक किसान शहीद हो गये.
सवाल है कि क्या भारत की मोदी सरकार अपनी डांवाडोल हो रही सरकार को स्थायित्व प्रदान करने के लिए क्या एक बार फिर कारगिल जैसा युद्ध करना चाह रही है ? जवाब है कोई शक नहीं. अडानी द्वारा जबरन छीने गये उस वक्त के सबसे लोकप्रिय टीवी चैनल गये ‘एनडीटीवी’ ने अपने एक खबर में राग अलापा है कि ‘पाकिस्तान की इस हरकत ने 1999 के कारगिल युद्ध जैसे संघर्ष की आशंका एक बार फिर पैदा कर दी है.’ निश्चित तौर पर अगर अडानी की एनडीटीवी ने इस आशंका को उठाया है तब पाकिस्तान के साथ युद्ध अवश्य होगा और हमारे देश के हजारों सैनिकों का कत्लेआम करवाया जायेगा.
कहना न होगा मारे जाने वाले सैनिक इस देश के किसानों-मजदूरों के बेटे हैं, जिसके खून से मोदी सरकार हाथ रंगेगी और अपनी सत्ता को स्थायित्व प्रदान करेगी. देश की जनता को मोदी सरकार के इस कायराना रंगत का विरोध करना चाहिए और सवाल पूछे जाने चाहिए कि धारा 370 हटने के बाद भी अगर कश्मीर में शांति बहाल नहीं हो पाई है तब क्यों नहीं एक बार फिर कश्मीरियों को उसका हक वापस लौटा देना चाहिए ? क्यों नहीं मोदी सरकार न तो कश्मीर का दौरा करती है और न हीं वहां अपना उम्मीदवार तक खड़ा कर पाने का साहस जुटा पाती है ? आखिर कश्मीर हीं नहीं देश भर में कितने सैनिकों की खून से अपना हाथ रंगेगी ताकि उसकी डगमगाती सत्ता को स्थिरता मिल सके ?
मोदी सरकार ने केवल देश के सैनिकों के खून से ही अपना हाथ नहीं रंगा है अपितु देश के करोड़ों किसानों, मजदूरों, युवाओं के खून से भी अपना हाथ रंग चुका है. केवल कारोना काल की ही बात की जाये तो मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण करोड़ों लोग तिल-तिल कर मारे गये, करोड़ों लोग सड़कों पर दर-बदर भटकते रहे. देश की जनता को अपनी मौत का हिसाब इस सरकार से मांगना चाहिए, वरना अभी करोड़ों मौतें होनी बाकी है.
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