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राहुल गांधी को अपील क्यों करनी चाहिए ?

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राहुल गांधी को अपील क्यों करनी चाहिए ?
राहुल गांधी को अपील क्यों करनी चाहिए ?
मनीष सिंह

राहुल गांधी को अपील क्यों करनी चाहिए ? क्या निचली अदालत का फैसला ज्यूडिशियरी का फैसला नहीं है ? सजा कानूनन है, ठीक है. चोर बोलने से पूरे मोदी समाज की मान में हानि हुई तो है, तो एक विद्वान न्यायाधीश ने न्याय किया है. तो उस फैसले को राहुल सर माथे से लगा लें, तो दिक्कत क्या है ?

राहुल गांधी विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं, ऐसा देश के गृहमंत्री का कहना है. तमाम भक्त समाज भी यह कह रहा है. तो भाई, आप लोग भी जेल चले जाओ, खूब खेलो विक्टिम कार्ड, किसने रोका ?

दरअसल डर राहुल के विक्टिम कार्ड का नहीं है. EVM के रहते, राहुल चुनाव जीतने, या मोदी हारने नहीं जा रहे. तो पब्लिक सिम्पेथि राहुल को मिल भी जाये, तो भी अडानी एंड संस दुकानदारी पर कोई असर नहीं पड़ता.

असर पड़ता है, लेगेसी पर. नरेंद्र मोदी रेजीम की लेगेसी पर यह उतना ही बड़ा दाग होगा, जो इंदिरा की शानदार लेगेसी पर इमरजेंसी बन गई. अब इंदिरा के मुकाबले मोदी सरकार की उपलब्धियां तो लगभग शून्य है.

इस पर मुख्य विपक्षी नेता महज ‘चोर है’ बोल भर देने से जेल चला गया, तो इतिहास में उसका स्थान थूक के समुद्र के बीच होगा. सरकार, और उसके बाद खैरख्वाह इस थूक के दरिया से डरे हुए हैं. यह फैसला धब्बा है, ज्यूडिशियरी पर भी.

क्राइम और पनिशमेंट के तमाम प्राकृतिक सिद्धांतों को ताक पर रखकर गुजरात की अदालतें फैसले देती आयी हैं. ये मामला संजीव भट्ट को उम्रकैद का हो, बिलकिस बानो कांड के अपराधियों की मुक्ति. इस तरह के दर्जनों फैसले हैं, जिसने ज्यूडिशियरी की तटस्थता पर शको शुबहे के ग्रहण लगाए हैं.

उचित फैसले का जिम्मा, सिर्फ सुप्रीम कोर्ट का नहीं, सेशन और हाईकोर्ट के जज भी उतने ही बराबर के पंच परमेश्वर हैं. 100 अपराधी छूट जायें, मगर एक निर्दोष को सजा न हो, इस मूलमंत्र पर गुजरात की अदालतों के फैसले खरे उतरते नहीं प्रतीत होते.

निचली अदालतें, कंगारू कोर्ट न बने इसका स्वतः संज्ञान चीफ जस्टिस को लेना चाहिए. सिर्फ इस फैसले की ही नहीं, सम्बंधित जज की भी समीक्षा होनी चाहिये. उचित नजीर बनाई जानी चाहिए.

ऐसा नहीं होता, तो सरकार और ज्यूडिशियरी के बीच एक नेक्सस होने का संदेश जाएगा. संकट में दिखते लोकतंत्र के बीच, हमारी न्यापायलिका एक तानाशाह की गोद मे बैठ चुकी है, ऐसा सन्देश राहुल पर हुआ, फैसला दुनिया को दे चुका है.

अब वो जेल की सलाखों के पीछे गए, तो इतिहास बस यही लिखेगा, कि मोदी के गृह प्रदेश के किसी जज को राहुल की सुपारी दी गयी थी.

राहुल का जेल जाना, देश के लिए अच्छा है. वंश परम्परा से लाभान्वित रहे राहुल को, वंश परम्परा के कड़वे घूंट भी पीने चाहिए. इस समाज के पापों का शमन, किसी ईसा के सलीब पर चढ़ने से ही हो सकता है.

राहुल के नसीब से यह मौका आया है. अब उसे अपील कतई नहीं करनी चाहिए.

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