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हिंदुस्तान का सबसे सक्सेसफुल प्राइमिनिस्टर कौन है ?

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हिंदुस्तान का सबसे सक्सेसफुल प्राइमिनिस्टर कौन है ?
हिंदुस्तान का सबसे सक्सेसफुल प्राइमिनिस्टर कौन है ?

इकॉनमिक्स के लिहाज से हिंदुस्तान का सबसे सक्सेसफुल प्राइमिनिस्टर कौन था ? अंदाजा लगाइए.

जवाहरलाल नेहरू ने 1947 में भारत की कमान सम्हाली. कुल बजट आया – 176 करोड़.

1964 में उनकी मौत हुई.

आखिरी बजट – 2050 करोड़

वृद्धि- 10 गुना

हर प्रधानमंत्री का एंट्री और एग्जिट ईयर आपको मालूम है. गूगल कीजिए, आपको इन दोनों वर्षों के बजट का साइज भी इंटरनेट पर मिलेगा.

तुलना कीजिए. हर नामचीन प्रधानमंत्री के एंट्री और एग्जिट ईयर की वृद्धि तीन चार गुने से ज्यादा नहीं.

(इन्फ्लेशन और गोल्ड वेल्यू, डॉलर की कीमत जैसे डाइवर्जरी तर्क लेकर नही आयें. पहले बता दूं कि इन्फ्लेशन वगैरह बढ़ने से दिखने वाले रुपये का मूल्य/मात्रा बढ़ेगी, बजट बड़ा दिखेगा. तो इसका फायदा.. बाद में आने वाले पीएम को ज्यादा मिलना है, पहले वाले पीएम को नहीं).

मनमोहन ने शुरुआत – 4.50 लाख करोड़
समाप्त किया- 17 लाख करोड़

साढ़े तीन गुना.

आपमें से बहुतों की रुचि होगी कि वर्तमान पीएम की बात भी बता दें.

2014 का बता दिया- 17 लाख करोड़
आज है 41 लाख करोड़ के लगभग

उपलब्धि- ढाई गुना…!

मगर इसमें एक नया पेंच है.

पहले केंद्र बजट अलग होता था, स्टेट बजट अलग. दोनों अलग अलग टैक्स कलेक्ट करते थे. तो नेहरू के 176 या 2050 करोड़, या मनमोहन का 17 लाख करोड़ केवल केंद्र सरकार का बजट था.

जीएसटी के बाद से केंद्र के बजट में एक तरह से राज्यों का पैसा भी जुड़ जाता है. सभी राज्यों का सारा बजट का पैसा हुआ लगभग 18 लाख करोड़.

ये मोदी जी के बजट के 41 लाख करोड़ में शामिल है. अगर ईमानदारी से उनकी पूर्व के प्रधानमंत्रियों ले साथ तुलना करनी है, तो राज्यों का पैसा हटा दीजिए.

असली वृद्धि मिलेगी
6-8 लाख करोड़ !

याने 0.5 या 0.6 गुना
और दस साल खप गए जी.

तो सवाल था कि इकॉनमिक्स के लिहाज से हिंदुस्तान का सबसे सक्सेसफुल प्राइमिनिस्टर कौन था ?

तो मैनें तस्वीर लगाई है. लेकिन पर मुझे पता है, आपके दिमाग में कौन सी तस्वीर उभर रही है. वो…सबसे घटिया परफार्मेंस वाले की है, मितरों.

  • मनीष सिंह

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