सीपीआई (माओवादी) की संगठित ताकतों को खत्म करने का दिवास्वप्न पाले भाजपाई गुंडा से मौजूदा केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने अमित शाह ने आदिवासियों को मारने का अभियान शुरु कर दिया है. गृहमंत्री बने इस संघी गुंडा अमित शाह का मानना है कि सीपीआई (माओवादी) को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका है आदिवासियों को ही मार डाला जाये. इसीलिए इस गुंडा ने गृहमंत्री का पद धारण करने के साथ ही आदिवासियों को मिटाने के लिए छत्तीसगढ़ में ड्रोन से बम और हेलीकॉप्टर से गोलीबारी लगातार करवा रहा है.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर और सुकमा जिले के बॉर्डर पर मौजूद जंगलों में एक बार फिर हवाई बमबारी कर गुंडा अमित शाह का यह ‘आदिवासी मिटाओ अभियान’ अब उसके गले की हड्डी बनता जा रहा है. अमित शाह के इस हवाई हमले अभियान के खिलाफ न केवल छत्तीसगढ़ की जनता सड़कों पर विरोध प्रदर्शन में उतर आई है अपितु देशभर में इस घटना के खिलाफ आम जनता और बुद्धिजीवियों की तीखी प्रतिक्रिया देखने में आ रही है. यहां तक की छत्तीसगढ़ के विधायक और प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा का भी तीखा बयान सामने आया है.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर और सुकमा जिले के बॉर्डर पर मौजूद जंगलों में हवाई बमबारी का आरोप स्थानीय ग्रामीणों और सीपीआई (माओवादी) ने लगाया है. वहीं अब ड्रोन और बम हमले के विरोध में बड़ी तादाद में ग्रामीण धरना प्रदर्शन पर बैठ गए हैं. इससे घबराये बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने इस इलाके में किसी तरह की ड्रोन से बमबारी और हवाई हमले की बात से साफ इनकार किया है और गांव में जो ड्रोन के अवशेष मिले हैं, उसे जल्द ही जब्त कर जांच करने की बात कह रहे हैं.
वहीं, इस मामले में इस विधानसभा क्षेत्र के विधायक और प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार को ड्रोन से हमले करने की कोई जानकारी नहीं मिली है और अगर ऐसा हो रहा है तो यह गलत है और इस तरह उनके क्ष्रेत्र में गलत होने नहीं दिया जाएगा.
विदित हो कि छत्तीसगढ़ में जल-जंगल-जमीन पर अवैध कब्जा कर उस जमीन पर बसे लाखों आदिवासियों को उजाड़ कर फेंकने की कोशिश केन्द्र सरकार दशकों से कर रही है, ताकि वहां के संसाधनों पर कब्जा कर कॉरपोरेट घरानों को दी जा सके. खुद को अपने ही जल-जंगल-जमीन से बेदखल होता देख स्थानीय निवासियों ने विरोध का झंडा बुलंद कर दिया, जिसका दमन करने के लिए पहले तो केन्द्र सरकार ने भयानक क्रूर दमन चलाया, बात बनते नहीं देख अब वह ड्रोन से बमबारी और हेलीकॉप्टर से गोलीबारी कर आदिवासियों को खत्म करने की घृणास्पद कोशिश में लग गया है.
देश का गृहमंत्री पागल गुंडा अमित शाह ने विगत दिनों अपने बस्तर दौरे के दौरान आदिवासियों के प्रतिरोध के खात्मे की तैयारी अंतिम चरण में होने का दावा किया था. उसके इस बयान के बाद से लगातार बस्तर के अंदरूनी इलाकों में ड्रोन से हमले किये जा रहे हैं. सुकमा और बीजापुर जिले के सरहद पर आदिवासियों और देश के मेहनतकशों का रहनुमा सीपीआई (माओवादी) के स्पष्ट आरोप और चेतावनी के बाद अब ग्रामीणों ने भी हवाई बमबारी करने का आरोप लगाया है और साक्ष्य के तौर पर ग्रामीणों ने बम के अवशेष को दिखाते हुए विरोध जताया है. (बमों का अवशेष उपर तस्वीर में देखें.)
ग्रामीणों ने बताया कि 2021 से अब तक दक्षिण बस्तर के जंगलों में 4 बार हवाई बमबारी की गई है. इस साल 4 महीने के भीतर दो बार ड्रोन से बमबारी की गई है, ऐसे में आदिवासी किसान भयभीत हैं, बमबारी के दौरान कुछ ग्रामीण खेतों और कुछ महुआ बीनने का काम कर रहे थे.
ड्रोन से बमबारी के बाद हेलीकॉप्टर से भी फायरिंग की गई. ग्रामीण हवाई हमले से बचने के लिए अपने घर की तरफ भागने लगे. इस दौरान गिरने से कई लोग घायल हो गये हैं, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनका जीवन यापन खेती बाड़ी और वनोपज पर निर्भर है, इसके लिए उन्हें जंगल में हर रोज जाना पड़ता है. बमबारी के दौरान मौके पर भगदड़ मच गया, जिसमें कई ग्रामीण घायल हो गये हैं.
जब्बागट्टा गांव में रहने वाले कलमू जोगा ने बताया कि जब ड्रोन से बम गिराया गया उस वक्त वह महुआ बीन रहा था. जैसे ही बमबारी हुई वह घर की तरफ भागने की कोशिश कर रहा था. भीषण बमबारी और फायरिंग के बीच वह अपने आप को बचाने की कोशिश में गिरकर घायल हो गया जिससे उसके सिर और कान में चोट आई है. ग्रामीणों का आरोप है कि शुक्रवार सुबह जिले के जब्बागट्टा, मीनागट्टा, कवरगट्टा, भट्टिगुड़ा गांव के मोरकोमेट्टा पहाड़ी में ड्रोन से हमला किया गया.
ग्रामीणों के अनुसार सुबह 6 बजकर 05 बजे पहली बमबारी की गई, फिर 5-5 मिनट के अंतराल में लगातार ड्रोन से बम गिराए गए. इसके बाद 3 हेलीकॉप्टर मौके पर पहुंचे और ताबड़तोड़ गोलीबारी की. ग्रामीणों का कहना है कि बीतें 3 सालों में 4 बार ड्रोन से अटैक किया गया है और ये हमले लगातार जारी हैं, इस तरह के हमले से सभी ग्रामीण डरे हुए हैं.
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि हमारे ही देश में सरकार हमारे ऊपर ड्रोन से बराबरी कर रही है, जिसके विरोध में चारों गांव के सैकड़ों ग्रामीण इकट्ठा होकर और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर इस बमबारी का विरोध जता रहे हैं. ग्रामीणों के पास ड्रोन से किए गए बमबारी के सबूत के तौर पर अवशेष भी मौजूद हैं.
ड्रोन से बमबारी और हेलीकॉप्टर से गोलीबारी का देशव्यापी विरोध
मौजूदा सरकार के आदिवासियों के संहार की इस कायराना हरकत के खिलाफ देशव्यापी विरोध के स्वर उठ रहे हैं. बिहार के भूमिहीन खेत मजदूर यूनियन के नेता रामचन्द्र सिंह ने सरकार के इस कायराना हमले की तीखी निंदा करते हुए कहा है कि अपने ही नागरिकों पर ड्रोन से बमबारी और हेलीकॉप्टर से गोलीबारी किस लोकतंत्र में होता है ? क्या भगत सिंह और गांधी इसी लोकतंत्र की परिकल्पना किये थे ?
इसके साथ ही सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासियों पर इस मौजूदा कार्रवाई के दोषी अधिकारियों को अविलंब दंडित किया जाये तथा केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को फौरन इस्तीफा देना चाहिए. इसके अतिरिक्त पांचवीं अनुसूची को धरातल पर लागू करते हुए भाड़े से सिपाहियों और सुरक्षाबलों को अविलंब आदिवासियों के इलाके से बाहर निकाला जाये.
वहीं, दूसरी ओर दिल्ली स्थित फोरम अगेंस्ट कारपोरेटाइजेशन एंड मिलिटराइजेशन ने इस कायराना कृत्य पर तीखे स्वर में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि देश की जनता पर बड़े पैमाने पर ड्रोन हमलों और लोगों के जीवन की घोर अवहेलना की निंदा करता है. इसके साथ ही यह फोरम भारत और विदेशों में सभी लोकतांत्रिक और प्रगतिशील ताकतों का आह्वान करता है कि वे हमारे लोगों पर छेड़े गए इस युद्ध का कड़ा विरोध करें और ऑपरेशन समाधान-प्रहार को समाप्त करने की मांग करें. फोरम ने अपनी मांग रखते हुए कहा है –
- बस्तर या देश के अन्य हिस्सों में ड्रोन या हेलीकॉप्टर से होने वाले हर तरह के हवाई हमले को तुरंत रोकें.
- सुप्रीम कोर्ट और एनएचआरसी को सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में लोकतांत्रिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की एक टीम द्वारा मामले की स्वतंत्र जांच शुरू करनी चाहिए.
- सरकार को मूलवासी बचाओ मंच के साथ बातचीत करनी चाहिए जो हवाई बमबारी, शिविरों, सड़कों और फर्जी मुठभेड़ों के खिलाफ चल रहे लोकतांत्रिक आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है.
- ऑपरेशन समाधान-प्रहार को तुरंत बंद करें.
‘तो यह तय समझिये कि हमारे देश में हिंसक और खूंखार क्रांति हुए बिना ना रहेगी’ -महात्मा गांधी
संभवतः मौजूदा हालात पर ही गांधी ने ‘रचनात्मक काम’ पुस्तक के ‘आर्थिक समानता’ अध्याय में लिखते हैं –
‘रचनात्मक काम का यह अंग अहिंसापूर्ण स्वराज्य की मुख्य चाभी है. आर्थिक समानता के लिए काम करने का मतलब है, पूंजी और मजदूरी के बीच के झगड़ों को हमेशा के लिए मिटा देना. इसका अर्थ यह होता है कि एक ओर से जिन मुट्ठी भर पैसे वाले लोगों के हाथ में राष्ट्र की संपत्ति का बड़ा भाग इकट्ठा हो गया है, उनकी संपत्ति को कम करना और दूसरी ओर से जो करोड़ों लोग अधपेट खाते और नंगे रहते हैं उनकी संपत्ति में वृद्धि करना.
जब तक मुट्ठी भर धनवानों और करोड़ों भूखे रहने वालों के बीच बेइंतेहा अंतर बना रहेगा, तब तक अहिंसा की बुनियाद पर चलने वाली राज व्यवस्था कायम नहीं हो सकती.
आजाद हिन्दुस्तान में देश के बड़े से बड़े धनिकों के हाथ में हुकूमत का जितना हिस्सा रहेगा उतना ही गरीबों के हाथ में भी होगा; और तब नई दिल्ली के महलों और उनकी बगल में बसी हुई गरीब बस्तियों के टूटे फूटे झोंपड़ों के बीच जो दर्दनाक फर्क जो आज नज़र आता है, वह एक दिन को भी नहीं टिकेगा.
अगर धनवान लोग अपने धन को और उसके कारण मिलने वाली सत्ता को खुद राजी खुशी से छोड़कर और सबके कल्याण के लिए सबके साथ मिलकर बरतने को तैयार ना होंगे तो यह तय समझिये कि हमारे देश में हिंसक और खूंखार क्रांति हुए बिना ना रहेगी.’
गांधी के सिद्धांतों पर स्थापित मौजूदा सत्ता के शासक गांधी को ही दरकिनार कर जब अपने ही नागरिकों पर ड्रोन से बमबारी और हेलीकॉप्टर से गोलीबारी कर रहा है तब गांधी की उक्ति को चरितार्थ होते भी देर नहीं लगेगी और ‘हिंसक और खूंखार क्रांति हुए बिना ना रहेगी.’
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जनता के सामने सारे रास्ते बंद मत करो, ऐसे ही माहौल में विद्रोह की जमीन तैयार होती है !
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