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यूक्रेन युद्ध का क्या परिणाम होगा – तीसरा विश्वयुद्ध या जलेंस्की वध ?

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यूक्रेन युद्ध का क्या परिणाम होगा - तीसरा विश्वयुद्ध या जलेंस्की वध ?
यूक्रेन युद्ध का क्या परिणाम होगा – तीसरा विश्वयुद्ध या जलेंस्की वध ?

लोग सोचते हैं यूक्रेन युद्ध का क्या परिणाम होगा ? क्या यह विश्वयुद्ध में परिणत हो जायेगा या रूस पराजित हो जायेगा ? सच्चाई यह है कि ऐसा कुछ भी होने नहीं जा रहा है. यूक्रेन युद्ध का ऐसा कोई भी परिणाम नहीं निकलने जा रहा है जो रूस को पराजित कर दें या तीसरा विश्वयुद्ध छिड़ जाये. अगर विश्वयुद्ध छिड़ना होता तो अब तक शुरू हो चुका होता. जैसा कि आइंस्टीन कह चुके हैं तीसरे विश्वयुद्ध के बाद चौथा विश्वयुद्ध ईंट-पत्थरों से लड़ा जायेगा, यानी मानवता का विनाश हो जायेगा. मानवता के विनाश का यह कलंक अमेरिकी साम्राज्यवाद कभी भी अपने सिर पर लेने की गलती नहीं करेगा.

इस मौजूदा यूक्रेन युद्ध के परिणाम को समझने के लिए भारतीय धार्मिक ग्रंथ में वर्णित एक कहानी बेहद समीचीन है. भारतीय हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हिन्दुओं के सबसे महान तीन ईश्वर माने गये हैं – ब्रह्मा, विष्णु और महेश. कहा जाता है कि संहार का देवता महेश यानी शंकर या भोलेनाथ को माना जाता है, तो वहीं विष्णु को पालक माना जाता है. एक बार की बात है संहार के देवता शंकर और पालक विष्णु के बीच जबरदस्त जंग छिड़ गया था. वजह था ब्रह्मा के एक पुत्र प्रजापति की पुत्री सती, जो पहले संहार के देवता शंकर की प्रेमिका बनी और फिर वह उनकी पत्नी बन गयी थी, की हृदयविदारक मौत.

कहा जाता है कि प्रजापति के घर पर एक यज्ञ का आयोजन किया गया था, जिसमें शंकर की पत्नी सती को निमंत्रित नहीं किया गया था, लेकिन सती अपने पिता के घर यज्ञ में शामिल होने जाने के लिए तैयार हो गई. शंकर ने अपनी पत्नी को काफी समझाया लेकिन फिर भी सती अपने पिता के घर चली गई. इसका परिणाम यह हुआ कि सती के पिता ने सती और उनके पति शंकर का वहां काफी अपमान किया, जिस कारण सती ने वहीं पर आत्मदाह कर अपना प्राण त्याग दिया.

सती की मौत की खबर जंगल में आग की तरह फैलते हुए जब शंकर यानी शिव के पास पहुंचा तो अपनी पत्नी की अपमान और मौत की खबर ने उन्हें हिला दिया और तत्क्षण अपने सेनापति को हुक्म दिया कि प्रजापति का सर काट दो. शिव के सेनापति हुक्म की तामीली की लिए फौरन निकल गये. प्रजापति को जब इस हुक्म के लिए निकले शिव के सेनापति का खबर मिला तो प्रजापति भयाक्रांत को उठे और फौरन अपने इष्ट देव विष्णु को पुकारा. कहा जाता है कि विष्णु ने प्रजापति को वरदान दिया था कि वह हर परिस्थिति में प्रजापति के प्राण की रक्षा करेगा. जैसा कि शिखंडी जलेंस्की को अमेरिकी साम्राज्यवाद ने वरदान दिया था. अपने भक्त की पुकार सुनकर विष्णु फौरन दौड़ते आये और शिव के सेनापति को बंदी बना लिया.

शिव को जब विष्णु द्वारा अपने सेनापति के बंदी बना लिये जाने का खबर मिला तो वह क्रोधित हो उठे और अपने दूसरे सेनापति को भेजा. लेकिन विष्णु ने उनके दूसरे सेनापति को भी बंदी बना लिया. इससे बौखलाये शिव खुद ही अपना त्रिशूल उठाकर दौड़ पड़े. शिव को आते देख विष्णु के होश फाख्ते हो गये और उनके बंदी बनाये सेनापतियों को छोड़ दिया और भाग खड़े हुए. लेकिन प्रजापति द्वारा पुनः पुकारे जाने के बाद विष्णु फिर आये और शिव के साथ युद्ध करने लगे. लेकिन शिव के तेवर को देखकर फिर वह भाग खड़े हुए.

शिव के क्रोध से आतंकित प्रजापति ने फिर से अपने संरक्षक विष्णु को पुकारा. विष्णु को तो आना ही था, तो आये. प्रजापति ने प्राण बचाने का वचन निभाने को कहा, जैसा की उसे वरदान दिया गया था. प्रजापति ने कहा कि उनके पास सुदर्शन चक्र है. वह शिव के खिलाफ उसका प्रयोग करें. विष्णु ने भी ऐसा ही किया. शिव ने अपना त्रिकालदर्शी त्रिशूल चला दिया. अब शिव के त्रिशुल और विष्णु के सुदर्शन चक्र में घमासान युद्ध होने लगा. इससे विशाल पैमाने पर ऊर्जा का विस्तार होने लगा. समस्त जीव-जन्तु मरने लगे. लेकिन शिव किसी भी कीमत पर प्रजपति का सिर काटने पर आमदा थे. इस कारण विष्णु उनके गुस्से को भांपकर अपना सुदर्शन चक्र वापस लेकर भाग खड़े हुए.

इस तरह अपने सुदर्शन को लेकर भागते देख प्रजापति विष्णु से कहता है कि प्रभु आप यह क्या कर रहे हैं ? यह शिव तो उसकी हत्या कर देगा. आप अपने वचन से मुकर नहीं सकते. तब विष्णु ने प्रजापति को टका-सा जवाब देते हुए साफ-साफ कहा – ‘रे मूर्ख प्रजापति, तेरी मूर्खता के कारण हम इस सृष्टि का विनाश नहीं कर सकते. अगर हमारे अस्त्र-शस्त्र आपस में टकरायेंगे तो उससे इतनी ऊर्जा निकलेगी कि इस सृष्टि का ही विनाश हो जायेगा और हम तुम्हारी मूर्खता के लिए इस सृष्टि का विनाश नहीं कर सकते.’ यह कहते हुए विष्णु भाग खड़े हुए. फलतः शिव ने आकर तत्क्षण उसका सिर काट दिया.

निश्चित तौर पर विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली परमाणु शक्ति सम्पन्न देश रूस के खिलाफ अमेरिकी साम्राज्यवादी और उसके गिरोह नाटो यूक्रेन के शिखंडी जलेंस्की की मूर्खता के लिए रूस के क्रोध से निकली आग में समूची पृथ्वी को झोंक नहीं सकता. सती की मौत की ही तरह रूस भी यूक्रेन को तबाह कर मानेगा क्योंकि इसी में रूस का भविष्य सुनिश्चित है. और रूस कभी भी अपने भविष्य को नष्ट नहीं होने दे सकता. ऐसे में एक वक्त आयेगा जब अमेरिका और नाटो गिरोह जलेंस्की और यूक्रेन को उसके हाल पर छोड़कर भाग खड़ा होना होगा अन्यथा उसे समूची पृथ्वी को तबाह करने का कलंक एक मूर्ख शिखंडी जलेंस्की के कारण अपने सर पर लेना होगा.

निश्चय ही अमेरिका यह नहीं चाहेगा क्योंकि रूस पहले ही दिन से यह स्पष्ट कर दिया है कि हम उस दुनिया का क्या करेंगे जिसमें रूस ही न हो. हम इस पृथ्वी को ही उड़ा देंगे. जैसा कि हम सभी जानते हैं तकरीबन 7 हजार परमाणु बमों के जखीरे पर बैठा रूस इस पृथ्वी को एक बार ही नहीं बल्कि सैकड़ों बार विस्फोट से उड़ा सकता है. जिसकी जिम्मेदारी भी अमेरिका की होगी. यही कारण है कि न तो तीसरा विश्व युद्ध होने जा रहा है और न ही रुस हारने जा रहा है, अपितु, जलेंस्की का वध होगा और यूक्रेन रुस के कब्जे में जायेगा. यह निश्चित है.

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