हिमांशु कुमार
तथ्य-1. मोनिजा अहसन लिखती हैं – मेरी भांजी दिल्ली के एक प्रसिद्ध स्कूल (नाम लिखने से बचना चाहूंगी) में क्लास 3 की छात्रा है. पिछले कुछ दिनों से स्कूल से आकर वो काफी खामोश सी रहने लगी. बिना बात के रोना, स्कूल जाने के नाम से बहाने करना. मेरी बहन को उसका ये व्यवहार कुछ अजीब सा लगा. उसने जानने की कोशिश की, पर उसने बताया नहीं.
ऐसे ही कुछ दिन बीते, एक दिन वो स्कूल से आई तो उसकी ड्रेस में मिट्टी लगी हुई थी. मेरी बहन के पूछने पर उसने बताया की खेलते हुए गिर गयी. इसी बीच एक दिन वो स्कूल से रोनी सूरत बना के आई और अपनी ममी (मेरी बहन) से पूछा कि, ‘ममी क्या मुस्लिम बुरे लोग होते हैं ? वो सबको मारते हैं…? वो कुछ भी खाते हैं…?’
तभी पास में मेरे जीजा जी भी थे, उन्होंने पूछा तो उसने रोते हुए सारी बताई कि उसके क्लास की 3 से 4 लड़कियां पिछले कुछ दिनों से उसे लगातार मुस्लिम होने पर परेशान कर रही. कभी ग्राउंड में खेलते हुए उसे धक्का देती, तो कभी बस में उसे सीट पर से धकेल देती, तो कभी बाकी बच्चों को बोलती की इससे बात मत किया करो.
ये सब जानने के बाद अगले दिन मेरी बहन और जीजू स्कूल पहुंचे और उन्होंने उन बच्चों के खिलाफ कंप्लेन की. खैर, स्कूल मैनेजमेंट तगड़ा था. उन्होंने तुरंत एक्शन लिया और उन बच्चों के पेरेंट्स को बुलवाया. खैर, पेरेंट्स बिल्कुल ढीठ थे, और इस तरह की सारी बात से इंकार कर रहे थे. पर स्कूल की तरफ से प्रेशराइज करने पर उन बच्चों ने मेरी भांजी से माफी मांगी और आगे से ऐसा नहीं करने का आश्वासन दिया.
पर अहम सवाल ये है की 7-8 साल के इन मासूम बच्चों के दिमाग को इस हद तक गंदा किसने किया ? इतनी गंदगी एक कौम को लेकर इनके दिमाग में किसने भरी ? और क्या माफी मांग लेने से ये बच्चे ऐसी हरकत दुबारा अपने जीवन में नहीं करेंगे…? क्या उनके मां पिता बराबर के दोषी नहीं ? अब ये आप पर है कि आप अपने बच्चों को इस गंदगी से बचा पाते हैं या यूं ही उन्हें बढती सांप्रदायिकता के हवाले कर चैन की नींद सोते हैं ?
तथ्य-2. यह भयानक वीडियो है. भारत की भयानक स्थिति का आईना है. हिंदू टीचर मुस्लिम बच्चे को खड़ा करके क्लास के हिंदू बच्चों से उन्हें पीटने को कह रही है और उन्हें उकसा रही है कि जोर से मारो. वह गाली देती है और कहती है मैंने तो सारे मुसलमानों से कह दिया है कि अपने बच्चों को यहां से ले जाओ. यह वीडियो वायरल करने से इस टीचर पर कोई कार्यवाही होना मुश्किल है.
उत्तर प्रदेश में जिस तरह की सांप्रदायिक सरकार है हो सकता है वह इस टीचर को इस नफरत भरे व्यवहार की वजह से कोई पुरस्कार दे दे. घटना मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर के खुब्बापुर गांव की कल की है. यानी चंद्रयान के चंद्रमा पर पहुंचने के 2 दिन बाद की. स्कूल का नाम नेहा पब्लिक स्कूल है. कुर्सी पर बैठी हुई टीचर का नाम तृप्ता त्यागी है. इस वीडियो को देखकर मुझे खुद के हिंदू होने पर शर्म आ रही है. हम इस देश के करोड़ों मुसलमान को क्या संदेश दे रहे हैं ? ऐसे ही टूटते हैं दिल, ऐसे ही टूटते हैं समाज, ऐसे ही टूटते हैं देश.
आप किसी भी प्राइमरी स्कूल से लेकर डिग्री कॉलेज मेडिकल कॉलेज इंजीनियरिंग कॉलेज या मैनेजमेंट के संस्थानों में सर्वे करके आ जाइए, आप वहां पढ़ने वाले बच्चों से लेकर युवाओं तक, टीचरों से लेकर प्रोफेसर तक, प्रिंसिपल डीन तक बात कर लीजिए, सभी लोग जातिवादी और हिंदू मुसलमान की बात करने वाले सांप्रदायिक मिलेंगे. आपको मुश्किल से कोई एक या दो व्यक्ति जातिवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ धर्मनिरपेक्षता और समानता की बात करने वाला मिलेगा.
वह भी अगर वह खुद जातिवाद और सांप्रदायिकता से पीड़ित होगा तभी ऐसी बातें करेगा या वह किसी कम्युनिस्ट पार्टी या अंबेडकरवादी संगठन की छात्र इकाई का सदस्य होगा. धर्मनिरपेक्षता और जातिविहीन समानता हमारे समाज की मुख्य धारा ही नहीं है. हम एक घनघोर जातिवादी और सांप्रदायिक समाज हैं. भारत के हर सवर्ण हिंदू के सिर में सांप्रदायिकता और जातिवाद की गंदगी भरी हुई है, वह बजबजा रही है. वरना मजाक है कि इस देश पर गुंडे शासन करें, न्यायपालिका ध्वस्त हो जाए, चुनाव आयोग ध्वस्त हो जाए, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ध्वस्त हो जाए ! यह सब भारतीय जनता के सहयोग से किया गया है.
हमारे देश में जब दलित और मुसलमान या आदिवासियों को पीटा जाता है तो सवर्ण हिंदू खुश होते हैं, ताली बजाते हैं, सरकार को समर्थन देते हैं. बीजेपी ने बहुत चतुराई से दलित और ओबीसी को भी गर्व करने वाले कुछ राजा महाराजा पकड़ा दिए हैं. वह भी सवर्ण हिंदुओं की लात खाकर मुसलमान को पीटने का मजा ले रहा है बीजेपी ने बहुत चालाकी से भारतीय समाज की नब्ज पकड़ी है और इसलिए वह बार-बार चुनाव जीतती है.
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