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आज कल राजा क्या खाता है ?

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आज कल राजा क्या खाता है ?

आज कल राजा क्या खाता है ?
मैंने राजा के रसोइए से पूछा.

वैसे तो राजा की रेसिपी गुप्त होती है
लेकिन आपको बता देता हूं
फिर इधर-उधर देखकर, फुसफुसा कर बोला
आजकल वह तथ्य और सत्य खाता है.
नाश्ते में तथ्य और खाने में सत्य.

मैं हैरान था कि ये भी कोई खाने की चीज़़ है.
लेकिन वो राजा है, कुछ भी खा सकता है.

तो क्या इसलिए देश में तथ्य और सत्य की कमी होती जा रही ?
रसोइए से मेरा अगला सवाल था.
फिर वो देश कैसे चलाता है ?

उसने फिर इधर उधर देखा और फुसफुसा कर बोला –
कहानियों से.

कहानियों से ??
कहानियों से कहीं देश चलता है ?
लेकिन चल तो रहा है.

मैं निरुत्तर था
मेरा अगला सवाल था कि ये कहानियां गढ़ी कहां जाती हैं ?
उसने अफसोस जताया कि
उसे नहीं पता.

मेरे दिमाग में फिर एक सवाल कौंधा
राजा के जूठन में जो सत्य और तथ्य निकलते हैं
उनका क्या होता है ?
उसने महल के पिछवाड़े इशारा किया
उन्हें यहीं फेंक दिया जाता है, सड़ने के लिए.

इसके बाद रात मुझे नींद नहीं आयी
झपकी लगी तो देखा
सामने वही जूठे तथ्य और जूठे सत्य खड़े थे.
राजा की लार अभी भी उनपर लिपटी थी,
मख्खियां उन पर भिनभिना रही थी,
वे दम तोड़ते प्रतीत हो रहे थे.

मेरी नींद खुल गयी
मैं पसीने से तरबतर
न जाने किस प्रेरणा से
मैंने रात के घने अंधेरों में ही
डरते डरते बचते बचाते
उन सड़ते हुए तथ्य और सत्य को इकठ्ठा किया.
घर लाकर उन्हें धुला, साफ किया.

सत्य को तथ्य से अलग किया
और तथ्य को जोड़कर सत्य बनाया.

सुबह पूरे राज्य में
टीवी वाले गला फाड़कर चिल्ला रहे थे
राज्य से तथ्य और सत्य की चोरी हुई है !
यह किसी आतंकवादी गिरोह की चाल है !

ब्रेकिंग न्यूज़ में पाक का हाथ बताया जाने लगा
एक टीवी वाला चिल्ला रहा था –
‘कौन है जो देश से सत्य और तथ्य को चुराकर
उसका कत्ल करना चाहते हैं
और देश में झूठ को खोटे सिक्के की तरह फैलाना चाहते हैं.

राजा ने आनन फानन में अपने ख़ुफ़िया तंत्र के
‘विशेष प्रशिक्षित’ भेड़ियों को इस चोरी के पीछे लगा दिया.

राजा ने ऐलान किया कि
पिछले राजा ने सत्य और तथ्य को अकेला छोड़ दिया था.
लेकिन अब हम इसकी रक्षा करेंगे.
और इसके लिए एक सेना बनाएंगे.

यह सब देख-सुन मेरे पास मौजूद तथ्य और सत्य
बेहद डर गए
और भूमिगत हो गए.

भूमिगत होते हुए, उन्होंने मेरे कान में धीमे से कहा
अगर झूठ के लिए राजा को सेना की ज़रूरत है
तो सत्य के लिए भी सेना की ज़रूरत होगी.
क्या तुम मेरे लिए एक सेना तैयार कर सकते हो ??

  • मनीष आज़ाद

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