गिरिश मालवीय
एशियाड और विश्व कुश्ती चैंपियनशिप जीतने वाली महिला पहलवान विनेश फोगाट ने साथी पहलवानों के साथ दिल्ली के जंतर मंतर पर पहुंचकर एक चौंकाने वाले खुलासा करते हुए कहा कि भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह कई वर्षों से महिला पहलवानों का यौन शोषण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि –
‘मैं डर-डर कर यहां तक पहुंची हूं. पता नहीं अध्यक्ष जी ने खुद कितनी लड़कियों का यौन शोषण किया है. आज यहां पर जो लड़कियां बैठी हैं. मैं आज यहां कह रही हूं मुझे पता नहीं कि कल मैं जिंदा रहूंगी भी या नहीं.’
रियो ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने भी विनेश फोगाट का साथ देते हुए कहा –
‘जो विनेश ने बताया वो सही है. कैसे हुआ. कब हुआ, सब बताएंगे. जब एक खिलाड़ी एक दिन भी छोड़ता है तो उसे बहुत ज्यादा नुकसान होता है. पूरे फेडरेशन को हटा देना चाहिए ताकि नए पहलवानों का भविष्य सुरक्षित रहे. एक नया संघ अस्तित्व में आना चाहिए. निचले स्तर से गंदगी फैली हुई है. हम पीएम और गृह मंत्री से बात करेंगे और पूरे मसले पर जानकारी देंगे. कुछ मामलों में जांच होनी चाहिए.’
ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया ने भी कहा कि –
‘यहां की लड़कियां सम्मानित परिवारों से हैं. अगर हमारी बहन-बेटियां यहां सुरक्षित नहीं हैं तो हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते. हम मांग करते हैं कि महासंघ को बदला जाए.’
अगर आप अपनी महिला साथी खिलाडियों के यौन शोषण का आरोप लगा रहे हैं तो आप मात्र एक इस्तीफे से कैसे संतुष्ट हो जाएंगे ? आपका उद्देश्य क्या है ?
इस विषय में जो मीडिया रिपोर्टिंग की जा रही है उसे कल से बेहद ध्यान से देख रहा हूं. जंतर मंतर पर बैठे खिलाडियों के धरना प्रदर्शन को कवर करते हुए ये बात बार-बार बताई जा रही है कि खिलाड़ी सरकार के खिलाफ नहीं हैं. वो सिर्फ कुश्ती संघ के अध्यक्ष के खिलाफ धरने पर बैठे हैं. उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न, जान से मारने की धमकी समेत जैसे आरोप लगाए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि जैसे ही वे इस्तीफा देंगे धरना प्रदर्शन खत्म कर दिया जायेगा, गोया उन्हे यौन शोषण से कोई दिक्कत नही उनके लिए मात्र एक इस्तीफा ही काफी है.
दरअसल पिछले अक्टूबर से ही बृज भूषण शरण सिंह बागी तेवर अपनाए हुए हैं. अक्टूबर माह में उन्होंने अपनी ही पार्टी की उत्तर प्रदेश सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा था कि बाढ़ के प्रति इतना खराब इंतजाम नहीं देखा, लोग भगवान भरोसे हैं. इसके बाद उन्होंने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर राज ठाकरे की अयोध्या यात्रा का विरोध किया.
फिर उन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती की कि उन्होंने रामदेव के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया. बाराबंकी स्थित एक आयोजन में सांसद सिंह ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि ‘खुद और बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए शुद्ध दूध और घी का होना बहुत जरूरी है. भैंस-गाय पालेंगे तभी शुद्ध दूध और घी मिलेगा, नहीं तो रामदेव का नकली घी खाना पड़ेगा.’
कार्यक्रम में उन्होंने आरोप लगाया कि, ‘रामदेव ही नहीं हैं, रामदेव के चेले बैठे हैं. हर कस्बे में बैठे हैं. कानपुर में बनी हुई मिठाई गोरखपुर तक सप्लाई होती है. 100 रुपया किलो सवेरे-सवेरे रख दी जाती है. ये भी रामदेव के पट्ठे हैं. ये नकली पनीर जो बन रहा है, ये रामदेव के पट्ठे हैं. रामदेव जो डुप्लीकेट खाद्यान्न है, उसके राजा हैं. दूध से बने हुए नकली खाद्य पदार्थ, जो भी बना रहे हैं, इसके सम्राट हैं, राजा हैं, रामदेव.’
ब्रज भूषण सिंह यही नहीं रुके उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव गोंडा की धरती पर जन्म लेने वाले महर्षि पतंजलि के नाम पर अरबों खरबों का व्यापार कर रहे हैं, मसाले से लेकर अंडरवियर और बनियान तक बेच रहे हैं. पतंजलि का नाम लेना उन्हें बंद करना होगा.
रामदेव को यह बयान बहुत नागवार गुजरा. बाबा जी के तरफ उन्हें कानूनी नोटिस भेजा गया. नोटिस में 3 दिन के भीतर विज्ञापन, मीडिया या अन्य किसी माध्यम से माफी मांगने को कहा गया. इस नोटिस को हंसी में उड़ाते हुए उन्होंने कहा कि ‘मेरे गांव रामदेव नाम का बनिया घी बेचता है. मैंने उसके घी को नकली बताया था.’
बाद में बृज भूषण सिंह ने बयान दिया कि ‘बाबा रामदेव व मेरे बीच कोई लड़ाई नहीं है. देश, किसान, धर्म, संत, महात्माओं के हित में कोई भी कोर्ट रामदेव के मामले में मुझे जेल भेजती है तो मैं जेल चला जाऊंगा, जमानत नहीं कराऊंगा. मुझे देश की न्याय व्यवस्था और संविधान पर पूरा भरोसा है.’
ठीक ऐसा ही बयान उन्होंने अभी भी दिया है कि अगर महिला रेसलर के आरोप में सच्चाई होगी तो वे फांसी के तख्ते पर खड़े होने को तैयार हैं. यहां आपको याद दिला दूं कि बृजभूषण सिंह ने रेसलर्स के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा है कि ‘इस विवाद के पीछे एक व्यापारी का हाथ है.’
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया की Sexual Harrassment Committee की मेंबर हैं साक्षी मलिक (विनेश फोगाट के साथ मिलकर साक्षी मलिक ने बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न का इल्ज़ाम लगाया). इसके अलावा WFI की Athlete Committee के मेंबर है बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक.
इतना सब कुछ होता रहा. कमिटी में रहते हुए इन दोनों ने कोई कार्यवाई अपने स्तर पर क्यों नहीं की ? क्यों उसी वक्त महिला खिलाड़ियों की शिकायत पर संज्ञान नही लिया ? अगर अध्यक्ष होने के नाते ब्रज भूषण सिंह दोषी है तो इनका दोष भी क्या कम है ? इन पर भी कार्यवाही की जाए.
साफ़ दिख रहा है कि अंदरखाने में मामला कुछ और है. यह भी सच है कि धरने पर बैठे हुए हरियाणा के पहलवान देश में चल रही कुश्ती प्रतियोगिता में भाग नहीं लेते हैं और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सीधे चयन के लिए दबाव बनाते हैं.
धरने पर बैठे खिलाडियों को जिस तरह से मीडिया कवरेज दिया जा रहा है और जैसे सरकार को इस विवाद से बचाया जा रहा है, उससे ये स्पष्ट नज़र आ रहा है जैसे ही बृज भूषण सिंह की बलि मिल जाएगी तुरंत ही सारी बातें भुला दी जाएगी. ये बात लिखकर के कहीं रख लीजिए.
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