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हम भारत के लोग हिन्दुस्तानी या शूद्रिस्तानी ?

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हम भारत के लोग हिन्दुस्तानी या शूद्रिस्तानी ?
हम भारत के लोग हिन्दुस्तानी या शूद्रिस्तानी ?

बहुचर्चित कश्मीर फाईल्स जैसी फ्लॉप साम्प्रदायिक फिल्म के फ्लॉप निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने देश में ब्राह्मणों के लिए अलग देश की मांग कर देश विभाजन की एक और नई नींव रख दी है. इस सन्दर्भ में यह उल्लेखनीय है धर्म आधारित दो अलग देश की मांग संघी सावरकर ने सबसे पहले किया था, जिसके परिणामस्वरूप विशाल भारत दो भागों में बंटकर पाकिस्तान और उसके बाद बंगलादेश का निर्माण हुआ. इस विभाजन में हुई पीड़ाओं को नजरअंदाज भी कर दें तब भी इस विभाजन की पीड़ा को झुठलाया नहीं जा सकता.

अब जब संघी पिठ्ठू विवेक अग्निहोत्री ने भारत विभाजन कर ब्राह्मणों के लिए एक अलग देश का मांग किया है तब संघ उसके माध्यम से एक बार फिर भारत विभाजन की मांग को दुहराया है. पहला विभाजन चाहे जितना भी बुरा और तकलीफ़देह रहा हो, पर इस बार का विभाजन निश्चय ही सुखद संदेश लेकर आयेगा. इस नये देश में ब्राह्मण और ब्राह्मणवादियों को समेट देना चाहिए ताकि एक स्वतंत्र देश में शुद्रों का स्वतंत्र अस्तित्व कायम रह सके और खुली वायु में सांस ले सके.

दरअसल, संघियों का अखण्डता भारत टुकडों में विभाजित भारत की संकल्पना है, जिसका ठोस रूपांतरण हम 1947 और फिर 1971 में देख चुके हैं. अब इसी परिप्रेक्ष्य में ब्राह्मणों और शुद्रिस्तान की की परिकल्पना भी संघियों ने पेश कर दिया है तब यह अगला विभाजन बिल्कुल इस तरह होना चाहिए कि ब्राह्मण और ब्राह्मणवादियों से मुक्त शुद्रिस्तान अपना स्वतंत्र विकास कर सके. शूद्र शिवशंकर सिंह यादव अपने इस लेख में ब्राह्मणों से मुक्त शुद्रिस्तान की अवधारणा पर बल दिया है. पाठकों के सामने उनके विचार यहां प्रस्तुत हैं –

पिछले साल दशहरे के मौके पर मोहन भागवत का बचकाना दुर्भाग्यपूर्ण बयान कि भारत हिन्दू राष्ट्र हैं, लगता है भारत का संविधान पढ़ा ही नहीं है या जानबूझकर शरारती, खुराफाती ऐसे बयान दिये होंगे. इसके बाद से बहुत से धर्मी पाखंडियों के द्वारा भी ऐसे ही अनर्गल बातें कहने सुनने को मिलती रहती हैं. अभी अभी कश्मीर फाइल फिल्म रिलीज होने के बाद, सोसल मीडिया पर देखने सुनने को मिल रहा है कि ब्राह्मणों के लिए अलग देश होना चाहिए. बेशक ! आप लोगों का ही तो पूरे देश पर, हर तरह से शासन प्रशासन है, कौन रोक रहा है ?

संविधान की प्रस्तावना की पहली शुरुआत लाईन ‘हम भारत के लोग’ सब कुछ बयां कर देती है. ‘लोग’ का तात्पर्य ही हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और जो भी अन्य धार्मिक या अधार्मिक सभी समुदाय के लोगों से है. भागवत के बयान पर सिख समुदाय के लोगों ने उस समय जबरदस्त तीखी टिप्पणी की थी और दूसरे समुदाय के लोगों नें भी काफी आक्रोश जाहिर किया था. इसी तरह आज के माहौल में भी दूसरे पाखंडियों के वक्तव्यों पर भी सोशल मीडिया पर लोग अपनी भड़ास निकालते रहते हैं.

मोहन भागवत तो समता-समानता और बन्धुत्व आधारित संविधान के विपरित, हिंदू धर्म की आत्मा – जातियों में ऊंच-नीच और उनमें सामाजिक असमानता के कारण – भारत के 85% शूद्रों को धार्मिक भावनाओं से ख़ुद ही व्यवहार से हिन्दू नहीं समझते हैं. सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ से, चुनाव के दौरान मुसलमान और पाकिस्तान का डर दिखाकर शूद्रों को भी हिन्दू बनाने लग जाते है. सच मानिए तो किसी भी अवधारणा से शूद्र हिन्दू हैं भी नहीं.

शूद्र को तो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य इन तीनों का सेवा करना ही धर्म है. सेवा करनेवाला और सेवा लेनेवाला दोनों हिंदू कैसे हो सकता है ?शोषित होने वाला और शोषण करनेवाला, दोनों हिंदू कैसे हो सकता है ? यही नहीं, एक इन्सान दूसरे इन्सान से छूत-अछूत जैसा व्यवहार करे, फिर दोनों का धर्म एक कैसे हो सकता है ? यदि कुछ लोग इसे ही धर्म मानते हैं तो उन्हें धर्म की अवधारणा को पहले समझना होगा.

आप किसी भी हिन्दू से चाहें वह बच्चा हो या जवान, नर हो या नारी, धार्मिक पुजारी हो या शंकराचार्य, एक सवाल पूछिए कि आप हिन्दू धर्म में क्यों हो ? और यदि हो तो इसका पालन कैसे करते हो ? किसी से भी एक सही और समान उत्तर मिलना नामुमकिन है. लेकिन यही सवाल किसी भी मुसलमान से पूछिए, सभी का एक, सही और सटीक उत्तर होगा – मुझे मोहम्मद पैगंबर साहब में आस्था है और उनकेे बताए हुए धार्मिक पुस्तक कुरान के अनुसार अपना जीवन यापन करता हूं.

इसी तरह विश्व के सभी धर्मों का एक धर्म गुरु और एक धार्मिक पुस्तक होती है, जो सभी के लिए सामान्य रूप से मान्य होती है. लेकिन वही हिंदू धर्म का क्या है ? कौन है ? कुछ भी, किसी को पता नहीं, फिर भी गर्व महसूस करते हैं.

जरा अतीत का अवलोकन करते हैं जिसका आज भी कुछ झलक दिखाई देती है. इन तथाकथित हिन्दुओं को शूद्रों की परछाई से परहेज़, सवर्णों की बस्ती से अलग या थोड़ी दूरी पर, हवा की दिशा के विपरित (ताकि हवा शूद्रों से सम्पर्क होते हुए सवर्ण बस्ती में न घुसने पाए), शूद्रों के लिए अपमान भरा, क्रूरतापूर्ण, अमानवीय सामाजिक, रहन-सहन व्यवस्था, जिस पर आज के वैज्ञानिक युग में तथाकथित पढ़े-लिखे विद्वान सवर्ण हिन्दू जानते हुए भी अंधा, गूंगा, बहरा बना हुआ है.

मोहन भागवत को आदर्श मानने वाले लोगों की सोच, सही दिशा में एक दम सही है, क्योंकि (हम भारत के लोग) यह शब्द भी आप को और आपके भक्तों को हर समय कचोटता रहता है, इसलिए मैं भी आपके पवित्र हिन्दू राष्ट्र और हिन्दुस्तान जहां पर इन शूद्रों की परछाई भी नहीं दिखाई देगी, ऐसी भावना का मैं सम्मान और समर्थन करता हूं. इसके साथ ही शूद्रों के लिए भारत तो है ही, लेकिन यदि आप लोगों को ऐतराज होगा तो हम लोग भी आप लोगों से सामाजिक व्यवस्था से बहुत दूर शुद्रिस्तान में रहकर संतोष कर लेंगे.

आपके हिन्दू शास्त्रों और प्रकृति का संयोग देखिए, आप लोगों का सौभाग्य भी है कि भारत का उत्तरीय भाग, जिसमें आपने जम्मू और लद्दाख अभी अभी बनाया है, आप लोगों का गौरव कारगिल, गंगोत्री, पवित्र शिवलिंग, मानसरोवर और यहां तक कि ऋषि-मुनी, साधू-सन्तों के लिए पूरा हिमालय पर्वत भी आप लोगों का स्वागत करेगा. सबसे ख़ुशी की बात यह होगी कि आपके हिन्दुस्तान में गंगा माई पवित्र बनीं रहेंगी. उसके बाद की गंगा यदि अपवित्र होती है तो शूद्रों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि शुद्रिस्तान में वह माई नहीं, एक नदी बन जाएगी.

15% पवित्र ज़मीन हिन्दुस्तान के लिए आसानी से मिल जाएगी. बाक़ी सब तो आप के पोथी, पतरे, दिशा नक्षत्र के अनुकूल ही है. थोड़ॆ ख़तरे का अनुमान सिर्फ पगड़ी वाले सरदारों से हो सकता है, वह कोई बड़ी समस्या नहीं है. शूद्रिस्तान बनते ही उस समस्या का समाधान भी हो जाएगा. इसलिए मोहन भागवत जी हिन्दुस्तान के साथ-साथ शुद्रिस्तान बनवाकर सदा के लिए पवित्र हो जाईए.

यदि आपको पगड़ी और दाढ़ी से नफ़रत है तो इन्हें भी खलिस्तान दे दीजिए क्योंकि, जहां तक मेरा अनुमान है कि ये खुद भी आपके हिन्दुस्तान में नहीं रहना चाहेंगे अन्यथा इनके लिए भी शुद्रिस्तान का दिल बहुत बड़ा होगा, इसे वे सहर्ष स्वीकार भी कर लेगें.

रही बात मुसलमानों की तो ये पक्के धर्म निरपेक्ष, देशभक्त हैं. जब मुस्लिम धर्म के नाम पर पाकिस्तान को नहीं स्वीकारा तो आज भी मुझे संदेह है, लेकिन उनकी भी राय लेना अच्छा रहेगा क्योंकि, हिन्दुस्तान में तो आप अपने मुस्लिम दामादों के अलावा किसी और को लेंगे भी नहीं.

जहां तक ईसाइयों की बात है तो आप को पवित्र बनाएं रखने के लिए, शूद्र लोग ही ईसाई धर्म और मुस्लिम धर्म अपना लिए हैं. इनको भी अपनें लोगों के साथ शुद्रिस्तान में रहने में कोई दिक्कत नहीं होगी
इसलिए आपको और आपके भक्तों को हिन्दू राष्ट्र यानि हिन्दुस्तान की शुभकामना और हार्दिक सुवेच्छा. साथ-साथ शूद्रों के लिए भी !

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