सौमित्र रॉय
हिन्डेनबर्ग की रिपोर्ट आ चुकी है. इस बार पहले वाली गलती नहीं दोहराई गई. जैसा कि मैंने (आगे) अदानी सेठ के घपले को मंजूरी देने वाले एनसीएलटी का जिक्र किया है. वैसे ही, हिन्डेनबर्ग ने इस बार सीधे सेबी की छाती पर वार किया है. इसी के साथ हिन्डेनबर्ग की पिछली रिपोर्ट को हवा में उड़ाने वाली मोदी सत्ता और न्यायपालिका तक, सभी को कटघरे में खड़ा किया गया है. हमें कार्यपालिका और न्यायपालिका दोनों से जवाबदेही चाहिए.
हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट हर महीने आनी चाहिए, ताकि भारत के कायर समाज को यह पता लगे कि जिस मोदी सत्ता को वे तेल लगा रहे हैं, वह कितनी बड़ी चोर है. अदानी ऑनलाइन ने मुंबई की रेडियस एस्टेट को खरीदा है. यह कंपनी दिवालिया हो चुकी है. फिर अदानी सेठ ने कंपनी क्यों खरीदी ? क्योंकि उसे यह सौदा 96% सस्ते में पड़ा.
कभी आपने देश में ऐसी सेल देखी है, जहां 96% की छूट मिले ? अगर हो तो आप कहेंगे कि जरूर माल खोटा होगा. माल खोटा नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी सत्ता का पूरा सिस्टम अदानी सेठ के लिए खोटा हो चुका है. मिसाल के लिए एनसीएलटी. इसी संस्था ने अदानी गुडहोम्स को रेडियस एस्टेट खरीदने की अनुमति दी. रेडियस पर 2834 करोड़ का लोन बकाया था. सत्ता की मेहरबानी से अदानी सेठ ने इसका सिर्फ 4% चुकाया.
जिन देनदारों को चूना लगा, उसमें आईसीआईसीआई लोमबार्ड, एचडीएफसी, यस बैंक भी शामिल है. रोज़ के इन घोटालों से बैंकों की नींव क्यों, कैसे और कितनी हिल चुकी है, यह आरबीआई की हालिया रिपोर्ट में पढ़िए.
अदानी सेठ को सौदा सिर्फ 76 करोड़ का पड़ा. सिर्फ उसी की बोली मंजूर हुई बाकी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। अब आपको इससे क्या फर्क पड़ता है ? क्या आपके खीसे से पैसा गया ? क्या आप रातों–रात हिंदू से मुसलमान हो गए ? क्या आपकी तरक्की रुकी ? क्या अब्दुल ने पंक्चर बनाना छोड़ दिया ? नहीं, लेकिन जिस 1700 करोड़ का नुकसान हुआ, उसकी भरपाई नरेंद्र मोदी सत्ता नहीं, आपको करना है.
भारत के 80 करोड़ गरीब लोगों को 5 किलो मुफ्त अनाज मिल रहा है. अवाम इस अभूतपूर्व विकास पर लहालोट है. आरबीआई, मोदी सत्ता भारत की जीडीपी पर निहाल है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन भारत में 85% बेरोजगारी बताता है तो सत्ता सुलग जाती है. कारण जानना चाहेंगे ?
असल में मोदी सत्ता के दोस्त भारत के 13 परिवार देश की 30% जीडीपी के बराबर दौलत कमाए बैठे हैं. ये 5000 करोड़ शादी में फूंक देते हैं, बदले में सत्ता और अवाम को जूठन परोसते हैं. ये ओलिंपिक में हमारे खिलाड़ियों की ब्रांडिंग करते हैं, लेकिन खेल में कोई योगदान नहीं देते. इनमें से अंबानी की दौलत अकेले 10% जीडीपी के बराबर है.
अंबानी रूस से सस्ता तेल मंगवाकर बेचता है और भारत के जाहिल 500 रुपए लीटर तेल खरीदने का दम भरते हैं. आर्थिक उदारीकरण के 30 साल बाद हम आबादी के 0.1% लोगों को दौलतमंद बना पाए हैं, जो हमसे कम टैक्स देते हैं. भारत में इतनी असमानता अंग्रेजों के ज़माने में भी नहीं थी. हमारी संसद में अंबानी–अदानी का नाम लेना अपराध है.
इतनी सी बात अगर आप समझ गए होते तो भारत आज बांग्लादेश होता. लेकिन, हमारा समाज बदबू, सड़न और गंदगी के बीच रहते हुए बहुत बीमार हो चुका है. मूर्खता का कैंसर अब लाइलाज है. यह मुझे गंदी गाली देने से ठीक नहीं होगा. इसके लिए सबके पिछवाड़े पर हिंडेनबर्ग का डंडा चाहिए.
- नरेंद्र मोदी और अमित शाह, ये दोनों ही कैबिनेट की नियुक्ति समिति के 2 सदस्य थे. मार्च 2022 को इसी कमेटी ने माधवी पुरी बुच को सेबी का मुखिया बनाया, सब–कुछ जानते हुए. पहली बार नौकरशाह की जगह एक प्राइवेट मेंबर को कुर्सी थमा दी.
- एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के सीएम, मुंबई के धारावी प्रोजेक्ट में अदानी सेठ को फायदा दिलाने के लिए इंडेक्सेशन का नियम हटाया. शिंदे पर इसके लिए दबाव किसने डाला ?
- पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सेबी प्रमुख के इस झूठ को झट से मान लिया कि अदानी सेठ बेकसूर है, किसका दबाव था ?
- राहुल गांधी ने संसद में कहा कि लोकतंत्र चक्रव्यूह में फंसा है. लेकिन, शरद पवार जैसा नेता अपने फायदे के लिए अदानी सेठ के चक्रव्यूह फंसता है.
अब सिर्फ सेबी प्रमुख के इस्तीफे से बात नहीं बनेगी. बात तब बनेगी, जब–
- अदानी की सारी कंपनियां शेयर बाजार से बाहर हों.
- पीएम नरेंद्र मोदी फौरन इस्तीफा दें.
- पूरे घोटाले की जांच जेपीसी करे.
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