कहा जाता है दुराचारियों के हाथ बहुत लंबे होते हैं. विनेश फोगाट प्रकरण ने इसे सही साबित कर दिया. पेरिस ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर गोल्डेन मेडल के ओर बढ़ते विनेश फोगाट के कदम को पीछे खींच लिया गया. वजह बताया गया 100 ग्राम वजन का अधिक होना. लेकिन विनेश फोगाट को ओलंपिक से ‘अयोग्य’ बतलाना इसमें सीधे-सीधे भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, बृजभूषण सिंह और कुश्ती संघ की सीधी मिलीभगत है. ऐसा क्यों था, इसके लिए सोशल मीडिया (फेसबुक) पर एक पोस्ट में खुलकर निर्लज्जता से लिखा गया –
‘ये मेडल (विनेश फोगाट) देश के लिए बोझ बनता…मेरा दिल बिलकुल भी नहीं टूटा…तमाम जूनियर पहलवानों का हक़ मार इस मुक़ाम को पाया था इस लड़की ने….जो जस करहि सो तस फल चाखा….वही अब आंदोलन पर बैठ जाये ….कोई खिलाडी खेल से बड़ा नहीं…कोई उपलब्धि देश से बड़ी नहीं… कोई दुःख नहीं….और बिलकुल चरम से नीचे पटका है विधाता ने…अहंकार का अंत….बाकी आप लोग हमको गालियां दे सकते हैं…’
विनेश फोगाट के पेरिस ओलंपिक में अयोग्य घोषित करने के बाद इस पोस्ट का निहितार्थ स्पष्ट है. विनेश फोगाट का गोल्डेन मेडल बृजभूषण सिंह, नरेन्द्र मोदी जैसे दुराचारियों के मूंह पर करारा तमाचा था. इसलिए जानबूझकर कर विनेश फोगाट को फाईनल से ठीक पहले अयोग्य घोषित किया गया या करवाया गया, वरना महज 100 ग्राम कम करवाया जाना कोई मुश्किल काम नहीं था.
विनेश फोगाट के ससुर राजपाल राठी ने भी भारत सरकार और रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) पर आरोप लगाया है. उन्होंने इसे एक षडयंत्र बताया है. उन्होंने इसमें भाजपा नेता और पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brijbhushan Sharan Singh) की मिलीभगत का भी आरोप लगाया है. उन्होंने टीवी चैनल ABP से बातचीत में कहा है कि विनेश के साथ राजनीतिक साजिश की जा रही है. 100 ग्राम वजन तो 10 मिनट में कम हो सकता है. ये एक षडयंत्र है.
उन्होंने कहा कि इसमें सरकार मिली हुई है. और 100 परसेंट इसमें बृजभूषण शरण सिंह और WFI की भी मिलीभगत हुई है. उन्होंने आगे बताया कि बाल कटाने से भी 100 ग्राम वजन कम हो जाता है. राठी ने बताया कि फोगाट को सपोर्ट करने के लिए जो लोग उनके साथ गए थे, उन्हें भीतर नहीं जाने दिया गया. बकौल राठी, विनेश ने कई बार कहा है कि उनके साथ साजिश की जा सकती है और अब वो साबित हो गया है. फोगाट को जिस तरह महज 100 ग्राम वजन अधिक होने के बिना पल पेरिस ओलंपिक से अयोग्य घोषित किया गया, वह भारत सरकार की साजिश के बिना संभव नहीं है.
रविन्द्र पटवाल लिखते हैं – ‘विनेश फोगाट ने किसे हराया है ? क्या उसने चार बार की विश्व चैंपियन को हराया है, जिसका रिकॉर्ड अब तक 82-0 रहा था, या उसने उनके दर्प को आज धूल चटाई है, जिसने उसे तिल तिल खून के आंसू रोने के लिए मजबूर किया हुआ था. बहुत कम लोगों को टोक्यो ओलंपिक की कहानी पता होगी, क्योंकि वहीं से इस अपमान और जिल्लत की कहानी शुरू हुई थी.
‘एक वर्ष से अधिक समय तक सत्ता की चौखट पर अपने लिए इंसाफ मांगने वाली लड़की ने जब दुबारा से ट्रायल देना शुरू किया था तो तमाम किस्म की फब्तियां कसी गई थीं. जब प्रशिक्षण और वेट कैटेगिरी से एडजस्ट कर इसने किसी तरह क्वालीफाई किया था, तभी लग रहा था कि इस खामोश रहने वाली लड़की ने कुछ तो ठान रखा है. लेकिन यह तो उसने असंभव को संभव कर दिखाया है. हमारे लिए तो भारत का गोल्ड मेडल विनेश फोगाट ही है.’
राम अयोध्या सिंह लिखते हैं – ‘कुश्ती के खेल में 100 ग्राम वजन का कोई मतलब नहीं होता. इतना वजन तो कभी भी बढ़ सकता है, और जिसे घंटों में घटाया भी जा सकता है. कुश्ती जब देर रात सवा एक बजे होनी है, तो प्रतियोगी का वजन सुबह लेने की क्या जरूरत थी. यह 100 ग्राम वजन का बढ़ना महज एक बहाना है. इतना ऊंच-नीच वजन तो चलता है.
‘सच तो यही लग रहा है कि किसी षड्यंत्र के तहत विनेश फोगाट को प्रतियोगिता से बाहर किया गया है. वजन तो प्रतियोगिता में भाग लेने के पहले ही लिया जाता है, और उसी वजन के आधार पर उसने फाइनल तक का सफर तय भी किया है. अब 100 ग्राम ज्यादा वजन का बहाना बनाकर उसे प्रतियोगिता से वंचित करना षडयंत्र के सिवा और कुछ भी नहीं है.’
भारतीय बॉक्सर विजेंद्र सिंह कहते हैं – ‘जब भी कभी ओलंपिक में वजन मापा जाता है तो खिलाड़ी को एक-दो घंटे का वक्त दिया जाता है कि आपका वजन कम कर लीजिए. यहां तक कि हम लोग तो इतने ट्रेंड होते हैं कि रात भर में 1 किलो तक भी चाहें तो कम कर सकते हैं. मैने तीन ओलंपिक्स देखे हैं, लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. ये तो सीधा सीधा भारत को गोल्ड रोकने का षडयंत्र है. पूरे हिंदुस्तान को विनेश के साथ खड़े होना चाहिए. विनेश को वक्त दिया जाना चाहिए था.’
सरला माहेश्वरी लिखती हैं – ‘जो इतिहास रच दिया तुमने उसे कोई क्या मिटाएगा विनेश ! आज तो बस एक आंकड़ा लिखा जाएगा, जो कल मिट भी जाएगा, उसकी जगह दूसरा लिखा जाएगा. पर तुमने जो लिखा है वो तो अमिट है. वो हमेशा रोशन रहेगा. इतिहास पुरस्कारों का नहीं संघर्षों और सच्चाई का होता है.
वहीं, प्रसिद्ध दार्शनिक सुब्रतो चटर्जी इस परिघटना का विश्लेषण करते हुए कहते हैं – ‘विनेश फोगाट ने 14 सालों से अविजित विश्व चैंपियन को हराया है. ज़ाहिर है कि आज वो ढलान पर है. विनेश की असल परीक्षा फ़ाइनल में है, रजत पदक लाने पर भी वह देश के लिए गौरव की बात होगी और क्रिमिनल लोगों की सरकार के मुंह पर जूते होते. यह देश का दुर्भाग्य है कि हमें एक ऐसा नरपिशाच नराधम मिला है जो अपनी मुंह बोली बेटी को भी उसके रेपिस्ट से नहीं बचा सकता है.’
आगे वे लिखते हैं – ‘फ़ासिस्ट किस हद तक साज़िश कर सकते हैं ये तो आपको विनेश फोगाट के निकाले जाने के बाद मालूम हो ही गया होगा. अब समय है कि हसीना के साथ साथ हीरासन की भी विदाई हो. मत भूलिए कि यह वही फ़्रांस है जिसने हीरासन की राफाएल घूसख़ोरी को सालों तक दबाए रखा है और वहीं ओलिंपिक हो रहे हैं. आज तक किसी खिलाड़ी का वजन फ़ाइनल में पहुंचने के बाद नहीं चेक हुआ. 50-100 ग्राम वजन तो बाथरूम से लौटने के बाद भी कम हो जाता है. ओलिंपिक के आयोजकों पर थू है !’
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