एक अजब खबर आई है
गिद्ध कम होते जा रहे हैं !
अनुमान लगाया जा रहा है कि वे
आदमी में तब्दील होते जा रहे हैं !
इस समाचार से गिद्धात्माओं में
नई आशाएं आई हैं, खुशियां छाई हैं !
झपटने के ‘पंजे’ अब और बड़े होंगे
नोच खाने के ‘जबड़े’ और ‘चोंच’
अब और कड़े होंगे !
बहुत दूर से ‘लक्ष्य’ को देख लेने के लिए
आंखों में हाई पावर ‘लेंस’ जड़े होंगे !
विनाश-बारूद, विवेक के ऊपर पड़े होंगे
इतनी साज-सज्जा जब हो जाएगी, तब
हर तरफ कब्रिस्तान-श्मशान हरे होंगे
फिर तो अपने भी दिन जश्न से भरे होंगे !
उधर गिद्धों से भी जटायुता जा रही है
इधर मनुष्य से भी मनुष्यता लजा रही है
और भी कई मामलों में आदमी के इरादे
गिद्ध जैसे नेक हो रहे हैं, हम एक हो रहे हैं !
वह दिन दूर नहीं जब शेष विश्व में भी
आदम-गिद्धों पर अमर नोवल-साहित्य
रचे जाएंगे और अपने देश के
कालजयी साहित्यकार ‘गिद्धपीठ’ पाएंगे
सबसे शातिर ‘गिद्धराज’ भी, ‘गिद्ध-रत्न’ से
अलंकृत किए जाएंगे !
अगर आदमी को आदमी की तरह नहीं
गिद्ध की तरह ही जीना है
तो हम बधाई स्वीकार करें !
अपनी नस्ल विलुप्त होने का
बस थोड़ा और इंतजार करें !
सब कुछ के बाद भी विश्वास है
अंततः सद्बुद्धि आएगी !
हमें बचाएगी !
- निवास चन्द्र ठाकुर
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