Home कविताएं आभाषी अमीरी

आभाषी अमीरी

0 second read
0
0
42
आभाषी अमीरी
आभाषी अमीरी

गरीबी है कहां
गरीबी का मूल्य
पांच किलो अनाज
मनरेगा
किसान योजना में
छह हजार रुपए
खैरात के लंगर
पांच रुपए थाली
सरकारी आयोजनों में
सामूहिक विवाह
गरीबों को यह सब
अपनी अमीरी लगती है

गरीबी है कहां
मंदिर मस्जिद
नफरत गाय गोबर
तीरथ व्रत त्योहार
सांप्रदायिकता
कच्ची दारू भांग
जुआ सट्टा
अखंड भारत का नक्शा
यह सब उसे
अपनी अमीरी लगती है

गरीबी है कहां
गरीबों को खुद
दिखाई नही दे रही है
मुझे आपको
दिखने न दिखने का
उतना कोई मोल नहीं

खस्ताहालों का यह
आभाषी अमीरी होने का
आभाषी श्रेष्ठ नागरिक होने का
आभाषी अडानी अंबानी
जैसे महसूसने का समय है

दिमाग में ऐसा वैसा कर
भर दिया गया है
कुछ ऐसा ही कुछ वैसा ही
सोच आभाषी बना दी गई है
वास्तविक स्थिति बदल दी गई है

  • बुद्धिलाल पाल
    24.02.2023

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लॉग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • श्वान

    चिता की अग्नि से सर्द मौसम में गर्मी ले रहे श्वान को पाप-पुण्य (भला-बुरा) स्वच्छता-गंदगी क…
  • सुब्रतो चटर्जी की पांच कविताएं

    1. मेरा आना मेरा आना एक बहस का आग़ाज़ था और ये बहस बेमानी नहीं थी मेरे आने से टूट गए कई वि…
  • सुब्रतो चटर्जी की दो कविताएं

    1. बुझी चिमनी बुझी चिमनी की कालिख़ बंट रही है जिसे लेना है अंजुरी भर ले जाओ इकहत्तर लाशों …
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

अगर सांप्रदायिकता के खिलाफ़ हम लड़ रहे हैं तो किसी तबके पर एहसान नहीं कर रहे

अफगानिस्तान का उदाहरण लेकर मित्रों का इरादा यह बताने का था कि मुस्लिम बहुल देशों में अन्य …