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वीडियोकॉन बिकने की कहानी और बिकता देश

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वीडियोकॉन बिकने की कहानी और बिकता देश

Krishna Iyerकृष्ण अय्यर

वीडियोकॉन के धूत साहब ‘भूत’ बन गए यानी भूतपूर्व मालिक, पर वीडियोकॉन की कहानी में दो ट्विस्ट है. एक ट्विस्ट बताता हूं –

  1. मान लीजिए, मैंने बैंक में अपना घर गिरवी रख कर 46,000 रुपया का लोन लिया. अब मेरी हालत खराब हो गई तो मैंने बैंक को बोला कि 30,000 में मामला सेटल कर लो.
  2. बैंक नहीं माना और मुझे दिवालिया घोषित करने NCLT चला गया. मुझ पर 46,000 रुपया का दावा कर दिया.
  3. अब एक अग्रवाल साहब NCLT पहुंचे. उन्होंने बोला कि 46,000 रुपया के बदले 3000 दूंगा. 3000 रुपया में से 292 रुपया एडवांस ले लो, बाकी 2 साल बाद इंस्टॉलमेंट में दूंगा.
  4. मैंने बैंक को वापस बोला कि भाई मैं तो 30,000 रुपया देता. पहले भी ब्याज, मूल सब चुकाया है. तो 30,000 रुपया दूंगा तो लोन खत्म. तुम 30,000 के बदले 3000 का ऑफर कैसे मान सकते हो ?
  5. बैंक बोला – मेरे पास एक तड़ीपार गुंडे का फ़ोन आया, बोला कि तेरे 30,000 तू रख. मौज कर. तेरे को कुछ नहीं देना है. मुझे बोला कि तेरा जो दूसरा घर है, वो भी अग्रवाल साहब को बेच दे.(यही दूसरा ट्विस्ट है).
  6. मैं मरता क्या न करता. बोला जैसा बोले मालिक. बैंक भी मेरा 30,000 रुपया ठुकरा कर अग्रवाल साहब से 3000 रुपया लेकर सेटल कर दिया.

वीडियोकॉन 46,000 करोड़ रुपया का लोन 30,000 करोड़ रुपया में सेटल करने तैयार था. अनिल अग्रवाल ने उसी लोन के केवल 3000 करोड़ दिए..अग्रवाल साहब ने 292 करोड़ का पेमेंट किया, बाकी 2 साल बाद देने का बोले हैं. (ये NCLT में ऑफिशियली रिकॉर्डेड है).

बैंकों को 43,000 करोड़ का घाटा हुआ. 43,000 करोड़ का कितना हिस्सा चंदे में गया, किसी को नहीं मालूम. वीडियोकॉन चोर नहीं है. आज भी वीडियोकॉन 30,000 करोड़ देने को तैयार है.

विडियोकॉन बिकी है या BPCL का मालिकाना तय हुआ है ? पूरी गोदी मीडिया, बिज़नेस चैनल सब चुप्पी साधे है पर विडियोकॉन के लोन सेटलमेंट को थोड़ा-सा विस्तार से देखते ही शायद बात समझ आने लगती है. यही है विडियोकॉन का दूसरा ट्विस्ट.

इस दूसरे ट्विस्ट में भी 3 ट्विस्ट है.

विडियोकॉन के पास बहुत बड़ी तेल सम्पदा थी. Ravva ऑइल फील्ड का 25% मालिकाना विडियोकॉन का था. ये ऑइल फील्ड 14,232 बैरल क्रूड/ प्रतिदिन उत्पादन करती है.

  1. अब ट्विस्ट : Ravva ऑइल फील्ड में विडियोकॉन के नए मालिक अनिल अग्रवाल का भी 23% हिस्सा है. तो अब अनिल अग्रवाल का हिस्सा हो गया 25%+23% = 48%. (आपको लगा वाशिंग मशीन बनाने की कंपनी बिकी है. No Sir, ऑइल फील्ड बिकी है.)
  2. अभी ट्विस्ट बाकी है : इसी Ravva ऑइल फील्ड में ONGC का हिस्सा 40% है. यानी अब अनिल अग्रवाल ONGC से ज्यादा हिस्से के मालिक हैं. वैसे भी ONGC को कई ऑइल फील्ड बेचना है तो क्या Ravva में ONGC का हिस्सा भी अनिल अग्रवाल को बिकेगा ? (मेरे अनुमान को याद रखिएगा.)
  3. अरे रुकिए, फाइनल ट्विस्ट याद दिलाता हूं : अनिल अग्रवाल ने BPCL का 53% हिस्सा खरीदने की बोली लगाई है तो अनिल अग्रवाल के लिए Ravva ऑइल फील्ड एक स्ट्रेटेजिक निवेश है. ये BPCL खरीदने की तैयारी भी हो सकती है.

मैं 100% तो नहीं कह सकता पर मुझे लगता है BPCL का नया मालिक फाइनल हो चुका है. पूरे लोन सेटलमेंट को देख कर लगता है कि विडियोकॉन की नीयत खराब नहीं थी, बस ‘कैफ़े कॉफी डे’ के मालिक को जान गंवानी पड़ी थी, पर विडियोकॉन के मालिक ने शायद जिंदगी जीना उचित समझा.

बिकवाली की और एक नई लिस्ट आ गई है. अबकी बार रेल की सम्पत्ति बेचने की लिस्ट निकाली गई है. भारतीय रेल हरदम से स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में अग्रणी रहा है और भारत को बहुत सारे इंटरनेशनल मेडल रेल के खिलाड़ियों ने दिए हैं, जिन्होंने रेल का इंफ्रास्ट्रक्चर यूज़ कर सफलता पाई है, तो क्या क्या बिकेगा ?

  • रेल के 15 स्टेडियम बिकेंगे
  • दूसरे अनुसांगिक इंफ्रास्ट्रक्चर भी बिकेंगे
  • इन्हें रेल लैंड डेवलपमेंट ऑथोरिटी बेचेगी
  • कोलकाता का रेल स्पोर्ट्स स्टेडियम
  • रांची का हॉकी स्टेडियम
  • भुवनेश्वर, ओडिशा का रेल स्टेडियम
  • मालेगांव, असम का रेल स्टेडियम
  • मुंबई रेल इंडोर स्टेडियम
  • रायबरेली रेल कोच फैक्ट्री की जमीन
  • चेन्नई रेल की जमीन
  • कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री की जमीन
  • बाकी स्टेडियम के नाम शायद बाद में जारी होंगे…

इन स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर पर पी. टी. उषा, तीरंदाज दोला बनर्जी, धोनी जैसे खिलाड़ियों ने ट्रेनिंग पाई थी और भारत का नाम रोशन किया. ‘सेंट्रल विस्टा’ असल में एक कोड है देश उजाड़ने और देश का जर्रा-जर्रा बेच देने का कोड है, बाकी कब कौन खतरे में आ जाए और कब हम एक दूसरे के दुश्मन बन जाए, यही असली खेल है.

रेलयात्रा की करो तैयारी, अब आएगी ‘अडानी के स्टेशन’ पर छूकछूक गाड़ी.

इंडियन रेलवे स्टेशनस डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (IRSDC) और रेल लैंड डेवलपमेंट ऑथोरिटी (RLDA) के पास 123 रेल स्टेशन है. इन 123 रेल स्टेशन का ‘विकास’ किया जाना है. इस विकास के लिए 50,000 करोड़ की जरूरत है, ऐसा बताया गया है.

केंद्र या रेल विभाग के पास पैसे है नही तो उद्योगपतियों को बुलाया गया है, डेवलपमेंट के नाम पर अघोषित बिकवाली ? इस तथाकथित विकास के लिए अडानी समेत 9 कंपनियों को बुलाया गया है. बुलाया 9 को है पर कही ‘एक अडानी सब पर भारी’ वाली स्कीम लागू ना हो जाए. कुछ मुख्य स्टेशन के नाम जानिए –

  • छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस,
  • नागपुर, अजनी (महाराष्ट्र)
  • हबीबगंज, ग्वालियर (मध्यप्रदेश)
  • सफदरजंग, नई दिल्ली
  • अयोध्या, गोमतीनगर (उत्तरप्रदेश)
  • एर्नाकुलम (केरल)
  • अमृतसर (पंजाब)

छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस की कीमत 1642 करोड़ रखी गई है. अडानी रेलवे ट्रांसपोर्ट ने भी बोली लगाई है. (आएगा तो अडानी ही).

सारे 123 स्टेशन अडानी को मिलना मुश्किल है, पर कुछ लोगों की आशंका है कि मुख्य स्ट्रेटेजिक स्टेशन शायद अडानी की झोली में जाएंगे. पिछले 2 सालों में अडानी 6 एयरपोर्ट का मालिक बन चुका है. (अडानी के सिवा किसी को नहीं मिला).

50,000 करोड़ ÷ 123 स्टेशन = 406 करोड़ एवरेज में एक स्टेशन बिक रहा है. अडानी की रेल, अडानी का एयरपोर्ट, अडानी का पोर्ट, अडानी का तेल, अडानी की बिजली, अडानी की गैसपाइप…बाकी बड़े मालिक श्री अम्बानी है ही. एक छोटा रेल स्टेशन बनाने का आज का खर्च 1000 करोड़ से कम नहीं है. सरकारी जमीन का मूल्य 1₹ होता है. 2024 के फंड का जुगाड़ हो गया. जय सियाराम.

सरकारी कंपनियो के बाद अब सरकारी जमीनों का नम्बर लगा है. इन जमीनों को बेचने के लिए एक अलग सरकारी कंपनी बनाई जाएगी. बिकवाली की एक और लिस्ट बता रहा हूं.

BSNL, BEML, HMT, MTNL की लगभग 2000 एकड़ जमीन बेची जाएगी. इसका आनुमानिक मूल्य 50,000 करोड़ है. (ये सारी प्राइम प्रॉपर्टी है. जानकार कहते हैं 2 लाख करोड़ भी कम है.)

एयरपोर्ट ऑथोरिटी के पास हर राज्य में हजारों एकड़ बहुमूल्य जमीन है. इन सारी जमीनों को बेचा जाएगा. एयरपोर्ट के पास की जमीनों का मूल्य आप समझ सकते हैं. एयरपोर्ट की जमीन सुरक्षा से जुड़ा मामला है. पर एयरपोर्ट की जमीन बेचने पर नेहरुजी के बनाए कानून की बंदिश है तो तय ये हुआ कि कानून ही बदल दिया जाएगा, पर जमीन बिक कर रहेगी.

ऐसी 100 सरकारी कंपनियों की एक्स्ट्रा जमीन बेची जाएगी, जिससे 2.5 लाख करोड़ सरकार को मिले. यानी पैसे का टारगेट फिक्स है, अब ढूंढो जमीन. IOC, HPCL, GAIL की पाइपलाइन बेच कर 17,000 करोड़ की कमाई का प्लान. (पाइपलाइन बेच दोगे तो ये कंपनियां क्या करेगी ?)

पॉवर ग्रिड का नेटवर्क बेच कर 1.68 लाख करोड़ जुटाने का प्लान. (ग्रिड भी बेच दोगे ?) जहाज प्रोजेक्ट, 30 से ज्यादा, ये भी बिकेंगे. (नदी बेचने का कोई आईडिया नहीं है ?) इसके अलावा अलग-अलग सरकारी कंपनियों की एक्स्ट्रा जमीन और दूसरी सम्पत्ति भी बेच कर पैसे जुटाए जाने हैं.

मेरा सवाल बेचने से ज्यादा इन सम्पत्ति के खरीदारों पर है. इस वक्त देश की 97% जनता की कमाई घट चुकी है. 23 करोड़ जनता BPL बन चुकी है. 25 करोड़ लोगों का रोजगार खत्म हो चुका है. जो भी इन सम्पत्ति को खरीदेगा उसके पास इतना पैसा इस वक्त किधर से आएगा ? और इस राष्ट्रीय/वैश्विक संकट के बीच इन सम्पत्ति को बेचने का हक सरकार को किसने दिया ? ये देश नहीं जनता भी बिक रही है.

मई 2021 में 2 करोड़ नौकरियां गई, पर बात 2021 की क्यों ? बात तो 2014 से होनी चाहिए. बिना आंकड़ों के भी बेरोजगारी को समझा जा सकता है. शब्दों पर ध्यान दीजिए –

  1. Dream या स्वप्न
  2. Disruption या व्यवधान
  3. Destruction या विध्वंस
1. Dream या स्वप्न.
  • अच्छे दिन आएंगे, विश्वगुरु बन जाएंगे
  • 15 लाख मिलेगा, 2 करोड़ जॉब
  • अंतहीन थे स्वप्न..भारत था ही नहीं जैसे
  • गंगापुत्र ने शिव को विस्थापित कर दिया हर हर महादेव से..हिन्दू हृदय सम्राट
2. Disruption या व्यवधान..
  • नोटबंदी, GST
  • बैंक घोटालेबाजो को देश के बाहर भगाना
  • बैंक NPA, बैंक घोटाले, भ्रष्चार
  • योजना आयोग खत्म, संस्थाओं का खात्मा
  • दिवालिया कानून, NCLT
  • पेट्रोल डीजल के टैक्स की मार
  • व्याज दर का गलत प्रयोग
  •  ₹ सम्हालने में व्यर्थ, RBI पर हमला
  • फ़र्ज़ी आंकड़े, ब्लैक मनी का बढ़ जाना
  • लव जिहाद, मोब लीनचिंग, बच्चा पकड़वा
  • NRC, रोहंगिया, सांप्रदायिकता
  • 370, पाकिस्तान, व्यर्थ विदेशनीति
  • मीडिया का गुलाम बन जाना
3. Destruction या विध्वंस..
  • जीडीपी ध्वंस, देश की साख खत्म
  • छोटा व्यापारी खत्म, उद्योग खत्म
  • इंडस्ट्री, मैन्युफैक्चरिंग खत्म
  • घरेलू व्यापार और एक्सपोर्ट खत्म
  • निवेश, निवेशक और विश्वास खत्म
  • किसान और किसानी खत्म
  • नौकरी और रोजगार खत्म

युवाओं के स्वप्न लाश बन कर नदियों में तैर रहे हैं. वैसे 2014 के बाद युवाओं का सपना रोजगार, आत्मसम्मान था ही नहीं. जो सपना था वो पूरा हो चुका है. आगे उत्तरप्रदेश के चुनाव है. 2 करोड़ छोड़िए, 20 करोड़ रोजगार भी चले जाएं तो भी युवा आंदोलित नहीं होगा. नौकरी/रोजगार भारत मे कोई मुद्दा ही नहीं है.

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