27 टन हथियार, इंडिया से इजराइल जा रहे थे, स्पेन ने जहाज रोक दिया. ‘बार्सिलोना डॉक वर्कर्स यूनियन’ का ऐलान – ‘कुछ भी ही जाए, हम, इजराइल को हथियार नहीं जाने देंगे.’
अभी हफ्ते भर पहले की एक बहुत अहम ख़बर है, जिसे मीडिया ने रिपोर्ट तो किया, लेकिन रहस्यपूर्ण तरीक़े से अचानक रिपोर्टिंग रुक गई. चंडीगढ़ ट्रिब्यून, एनडीटीवी, इंडियन एक्सप्रेस, हिंदुस्तान टाइम्स तथा दुनियाभर के अख़बारों ने 17 मई को एक बहुत ही महत्वपूर्ण ख़बर प्रकाशित की, लेकिन इंडियन पब्लिक, जिसे जानना बहुत ज़रूरी था, बिलकुल ही नहीं जान पाई. सोशल मीडिया से भी ये न्यूज़ ग़ायब रही, ये हैरान करने वाली बात है. खबर इस तरह है.
‘मेरियान डेनिका’ नाम का एक जहाज, चेन्नई पोर्ट से इजराइल के ‘हाइफ़ा पोर्ट’ के लिए रवाना हुआ. इंडिया से इजराइल जाने के लिए अरब सागर से लाल सागर होते हुए सीधा रास्ता है, लेकिन इस जहाज ने यह सीधा रास्ता ना लेकर, यूरोप का चक्कर लगाकर जाने वाला टेढ़ा रास्ता चुना. जैसे ही इस जहाज ने पिछले सप्ताह 17 मई को स्पेन के ‘पोर्ट बार्सिलोना’ पर लंगर डालना चाहा, तो वहां की पोर्ट अथॉरिटी ने माल चेक किया, तो पाया कि उसमें, 27 टन ख़तरनाक गोला बारूद, इंडिया से इजराइल जा रहा है.
स्पेन ने कहा, इजराइल के पास पहले से ही बहुत ज्यादा घातक हथियार हैं. मिडिल ईस्ट में हथियारों की नहीं शांति की ज़रूरत है. हम आपके इस अपराध में भागीदार नहीं हो सकते. आपके लिए हमारा पोर्ट उपलब्ध नहीं है. रिपोर्ट्स से यह भी पता चलता है कि 16 मई से 21 मई तक यह जहाज स्पेन के बार्सिलोना पोर्ट पर ही रहा.
इंडिया से हथियार सीधे अरब सागर तथा लाल सागर से ना जाकर बहुत लम्बे, खर्चीले रास्ते से क्यों जा रहे थे ? इसका यह जवाब मिला है कि मोदी सरकार, यह काम चोरी-छिपे करना चाहती थी. सारी दुनिया के इंसाफ पसंद लोग, इजराइल और अमेरिका-ब्रिटेन द्वारा गाज़ा में पिछले 7 महीने से किए जा रहे नरसंहार और बर्बरता से भयंकर तपे हुए हैं. दूसरी ओर, अरब देशों में करोड़ों भारतीय काम करते हैं. अरबी शेखों से भी झप्पी डालनी है, ज़ायनवादी फ़ासिस्ट ख़ूनी भेड़िए, इजराइल की मदद भी करनी है !! सोचा होगा, मीडिया और पब्लिक तो चुनाव में लगी हुई है, किसी को मालूम नहीं पड़ेगा. मोदी सरकार की वही, आपदा में अवसर वाली क्रूर नीति !!
एक ओर डर भी कोई कम गंभीर नहीं है. यमन के लड़ाकू हौदी समूह ने इंसाफ की बाजू में खड़े होने, नरसंहार कर रहे इजराइल और उसके साथ इस भयंकर अपराध में लिप्तता रखने वालों के आर्थिक हितों पर चोट करने और अपने राष्ट्रीय सम्मान जंग लड़ रहे, फिलिस्तीन का साथ देने का एक अलग तरीका चुना है. वे, लाल सागर से गुजरने वाले जहाज़ों पर निशाना साधे बैठे हैं. इस समुद्री लड़ाई में वे इतने सक्षम हैं कि वहां से जहाज़ ले जाने की तो अमेरिका की भी औक़ात नहीं, इंडिया की क्या बिसात !!
इस सनसनीखेज रिपोर्ट का सबसे शानदार हिस्सा ये है कि ‘बार्सिलोना डॉक वर्कर्स यूनियन’ ने साफ़ कह दिया था कि कोई भी मज़दूर इन हथियारों को नहीं छुएगा. ये वही गोला-बारूद है, जिससे गाज़ा के मासूम बच्चे मारे जाएंगे. ख़ूनी इजराइल को, और ख़ूनी बनाने के लिए हम कोई हथियार नहीं ले जाने देंगे.
यूनियन ने, एक महत्वपूर्ण बयान भी ज़ारी किया कि दुनिया में कहीं भी जुर्म हो, मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा हो, तो उसे रोकना, ना होने देना, हर मज़दूर का फ़र्ज़ है. इजराइल तो फिलिस्तीनियों पर ज़ुल्म की इन्तेहा ही पार कर चुका है. हम, इन इंडियन हथियारों को इजराइल की ओर एक इंच भी आगे नहीं जाने देंगे.
इतना ही नहीं, यूनियन ने आगे कहा, हम दुनिया भर की सरकारों से गाज़ा में 7 महीने से ज़ारी नरसंहार को रोकने का आह्वान करते हैं. नरसंहार को रोकना मज़दूरों की ज़िम्मेदारी है, हम उनसे भी अपना फ़र्ज़ पूरा करने का आह्वान करते हैं. यूनियन द्वारा लिए सख्त फैसले ने मोदी सरकार की कलई खोल दी. स्पेन द्वारा, तुरंत फिलिस्तीन को मान्यता देना भी ‘बार्सिलोना डॉक वर्कर्स यूनियन’ और अनेक दूसरे मज़दूर संगठनों के गुस्से को ठंडा करने और उसे दुनियाभर में फैलने से रोकने की ही तो क़वायद है.
अभी इस घटना से चंद दिन पहले, ‘बेल्जियन ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन’ ने इजराइल को जा रही हथियारों की खेप को, जो बेल्जियम पोर्ट से गुजरने वाली थी, रोक दिया था. उनकी यूनियन का बयान तो और भी क़ाबिल-ए-गौर है, ‘जब गाज़ा में नरसंहार चल रहा है, उसी वक़्त हम देख रहे हैं कि इजराइल को और हथियार दिए जा रहे हैं. हम ऐसा नहीं होने देंगे.’
बेल्जियन ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन ने अपने बयान में आगे कहा कि ज़मीन पर, आकाश में अथवा समुद्र में, कहीं भी होने वाले सभी ट्रांसपोर्ट वर्कर्स की यूनियनों ने तय किया है कि हम इजराइल को जाने वाले हथियारों को ना सिर्फ़ ट्रकों, हवाई जहाज़ों और पानी के जहाज़ों में लोड नहीं करेंगे, बल्कि उन हथियारों को जाने से रोकेंगे. ऐसा ही फ़ैसला हमने, रूस-युक्रेन युद्ध में, रूस या उक्रेन, किसी भी देश को जाने वाले हथियारों को रोकने के लिए लिया था.
मीडिया द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, रंधीर जायसवाल ने कहा कि इंडियन सरकार को ये जानकारी है कि स्पेन के बार्सिलोना पोर्ट के अधिकारियों ने, इंडियन माल से लदे जहाज को पोर्ट की सुविधाएं देने से मना कर दिया है. क्या माल था, सीधे रास्ते से ना जाकर लंबे, माल ले जाने के लिए टेढ़े, खर्चीले रास्ते को क्यों चुना गया ? क्या ये माल नहीं बल्कि हथियार थे जिन्हें चोरी-छिपे इजराइल भेजा जा रहा था ? मीडिया द्वारा सवालों की बौछार के बाद भी उन्होंने आगे कोई भी जानकारी देने से साफ़ इंकार कर दिया.
क्या मोदी सरकार की यह हिमाक़त शर्मनाक नहीं है ? क्या यूरोप के मज़दूर हमें आइना नहीं दिखा रहे ?
- सत्यवीर सिंह
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