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वेक्सीनेशन अभियान असफलता के कगार पर

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वेक्सीनेशन अभियान असफलता के कगार पर

गिरीश मालवीय

देश में वैक्सीनेशन प्रोग्राम का कल शुक्रवार को 7वां दिन था. अब तक कुल 12.82 लाख लोगों को टीके का पहला डोज लगाया जा चुका है. आपको याद दिला दू कि मोदी सरकार ने 31 जुलाई तक केंद्र सरकार ने 30 करोड़ लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा है. 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण का अर्थ है कि उन्हें वैक्सीन की दोनों डोज यानी साठ करोड डोज दी जानी हैं, तभी टीकाकरण पूर्ण माना जाएगा.

आप 31 जुलाई छोड़िए 31 अगस्त तक भी अपना टारगेट पूरा करना है तो हर दिन 13 लाख लोगों को वैक्सीनेट करना होगा. चीन में दो दिन का डेटा उपलब्ध है, जिसमें उसने 22.5 लाख लोगों को एक दिन में वैक्सीनेट किया और दो दिन में करीब 45 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई. अन्य देशों की बात करें तो अमेरिका में हर दिन 5.37 लाख और यूके में 4.72 लाख लोगों को वैक्सीनेट किया जा रहा है.

अब भारत के पिछले सात दिन के आंकड़े देख लीजिए वेक्सीनेशन के पहले दिन 2,07,229, दूसरे दिन 17,072, तीसरे दिन 1,48,266, चौथे दिन 1,77,368, पांचवे दिन 1,12,007, छठे दिन 2,33,530 और कल सातवे दिन सबसे ज्यादा 2,28,563 लोगो को वेक्सीन लगाई गई.

सात दिनों में टोटल 12.82 लाख लोगों को वेक्सीन लगी है और पहले सरकार कह रही है कि हर दिन 13 लाख वेक्सीन लगाने की क्षमता रखती है.
खास बात यह है कि 3 करोड़ हेल्थवर्कर को 6 करोड़ डोज मुफ्त में लगाई जा रही है. अगर मुफ्त में लगवाने इतने कम लोग आ रहे हैं तो सोच लीजिए पैसे देकर कितने लोग।लगवाएंगे.

दूसरे चरण में मोदी जी लगवाएंगे टीका यह खबर न्यूज़ चैनल पर फ़्लैश हो रही है. दरअसल वेक्सीनेशन का अभियान अभी तक फेल ही नजर आ रहा है इसलिए मोटिवेशन के लिए मोदी जी ही मैदान में उतर रहे हैं.

वैसे इस देश की जनता के बारे में प्रसिद्ध है कि अगर कोई चीज फ्री में बंट रही हो तो वो दो मांगती है लेकिन बड़े आश्चर्य की बात है कि देश भर में हेल्थवर्कर ओर फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स को फ्री में सरकार वेक्सीन लगा रही है लेकिन आधे से भी ज्यादा कोरोना वारियर्स कोरोना वैक्सीन लगाने को तैयार नही है.

कोरोना वैक्सीन लगवाने को लेकर भारत में फ्रंट लाइन वर्कर्स में एक हिचक देखने को मिल रही है. एक तरह की ‘वैक्सीन हेज़िटेंसी’ देखने को मिल रही है. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि यह वृत्ति डॉक्टरों ओर पैरामेडिकल स्टाफ में देखने को मिल रही है यानी जिन्हें लोगो को प्रेरित करना है, वे ही वेक्सीन लगवाने से बच रहे हैं.

आईसीएमआर के महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख रह चुके डॉ. रमन गंगाखेडकर ने बीबीसी से बातचीत में चेतावनी दी है कि यह ‘वैक्सीन हेज़िटेंसी’ दो हफ्ते से ज़्यादा चली, तो डर है कि ये ‘न्यू नॉर्म’ ना बन जाए.

वैक्सीन हेज़िटेंसी गलत भी नही है. जिस तरह से एक साल से भी कम समय में वेक्सीन बनी है और जिस तरह से जल्दबाजी में भारत सरकार ने इसे इमरजेंसी अप्रूवल दिया है, साथ ही वेक्सीन लगवाने वालो की हेल्थ रिपोर्ट का डाटा सरकार द्वारा मांगा जा रहा है. उससे हेल्थवर्करो को यह साफ समझ आ रहा है कि उन्हें गिनीपिग के बतौर इस्तेमाल किया जा रहा है.

देश भर मे वेक्सीनेशन को शुरू किए हुए पांच दिन बीत चुके हैं और सही तरह से कलेक्टिव आंकड़े बताए जाए तो यह साफ है कि अभी सरकार दैनिक लक्ष्य का 50 प्रतिशत भी वेक्सीन नही लगा पाई है. देश के छोटे-छोटे शहर हो या मुम्बई जैसा महानगर सभी जगह सरकार लक्ष्य से बहुत पीछे चल रही है.

बिहार के मुजफ्फरपुर में तीसरे दिन भी महज 43.5% टीकाकरण हुआ है. धमतरी में 2 दिन में सिर्फ 55 प्रतिशत ने ही वेक्सीन लगवाई है. मुंबई जैसे शहर में जहां कोरोना सबसे ज्यादा फैला वहां वैक्सीनेशन के दूसरे दिन को भी टारगेट से सिर्फ 50 फीसद स्वास्थ्यकर्मियों ने कोरोना का टीका लिया हैं.
दिल्ली में, शनिवार को 4,319 हेल्थकेयर वर्कर वैक्सीन लेने पहुंचे थे लेकिन सोमवार को यह संख्या घटकर 3,593 रह गई.

साफ है कि वेक्सीनेशन अभियान असफलता के कगार है इसलिए मोदी जी खुद वेक्सीन लगवा कर इस अभियान में नई जान डालने का सोच रहे हैं.

वैक्सीन की सच्चाई सामने आने लगी है

इजराइल में फाइजर की कोरोना वैक्सीन लगने के बाद 12 हजार 400 से अधिक लोग टेस्ट के दौरान कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए हैं. संक्रमित पाए गए लोगों में 69 लोग ऐसे शामिल हैं, जिन्होंने वैक्सीन का दूसरा शॉट भी लिया था.

इजरायल के महामारी नेशनल कॉर्डिनेटर नचमन ऐश ने कहा है, ‘फाइजर का टीका जितना हमने सोचा था उससे कम प्रभावी निकला है.’ लगभग एक चौथाई इजरायलियों ने अपना पहला डोज लगवाया और 3.5 प्रतिशत अपनी दूसरी खुराक पा चुके थे. इजराइल में टीकाकरण के रोलआउट को एक महीना होगया है. कुल 9 मिलियन नागरिको में से 2.2 मिलियन को टीका लग चुका है. फिर भी, देश संक्रमण दर में तीसरे स्थान पर है..

अब तक तीन : तीनो हार्ट अटैक

वेक्सीनेशन के बाद तीसरे हेल्थवर्कर की मौत की खबर आ गयी. इस बार मौत तेलेंगाना राज्य में हुई है. यहां के निर्मल जिले में एक हेल्‍थ वर्कर को मंगलवार को सुबह 11:30 बजे जिले के प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र (PHC) में टीका लगा था. उसी रात 2:30 बजे उसने सीने में दर्द की शिकायत की. करीब 5:30 जब उसे जिला अस्‍पताल में लाया गया, तब उसकी मौत हो चुकी थी.

पहले के दोनों केस में भी वेक्सीन के बाद हार्ट अटैक आया था. यहां भी सेम वही केस है. ऑफिशियल वही रटा रटाया जवाब दे रहे हैं कि इन मौतो का वेक्सीन से कोई संबंध नहीं है. यही वो ऐसी हर मौत के बाद क्लेम करेंगे लेकिन कोई इस सवाल का जवाब नही देगा जो नीचे लिखा है.

कल भारत बायोटेक ने एक बयान जारी कर के कहा है कि जो लोग ब्लीडिंग डिसऑर्डर से ग्रस्त हैं या खून पतला करने की दवाई ले रहे हैं, वे ये कोवेक्सीन न लगवाए. क्या यह माना जा सकता है कि वेक्सीन में कुछ ऐसे एलिमेंट है जो शरीर मे खून की गति में बाधा बन रहे हैं ? क्या कुछ प्रतिशत लोगो मे वेक्सीन लगने से खून गाढ़ा होने की संभावना है, जहां तक मैं जानता समझता हूं, इस बात का हार्ट अटैक से सीधा सम्बन्ध होता है.

पांचवीं मौत

हरियाणा के गुरुग्राम जिले के भंगरौला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में काम करने वाली 55 साल की राजवंती जी की मौत हो गयी है. उनको 16 जनवरी को कोरोना का टीका लगाया गया था. मृत महिला के परिजन मौत के लिए कोरोना की वैक्सीन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मृतका के परिजन ने थाने में कोरोना वैक्सिनेशन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.

परिवार के लोगों का कहना है कि कोरोना टीकाकरण अभियान को तुरंत रोक दिया जाए. जैसे पिछली 4 मौतों में वेक्सीनेशन को जिम्मेदार नही माना गया, वैसे ही इस केस में भी वेक्सीनेशन को क्लीनचिट दे दी गई है. इससे पहले पिछले 5 दिनों में वेक्सीनेशन के बाद कर्नाटक में दो, तेलंगाना में एक, और यूपी में एक मौत हो चुकी है.

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ROHIT SHARMA

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