हिमांशु कुमार
विकास का मतलब ?
और भी अमीर हो जाना.
अमीर हो जाना मतलब ?
मतलब हमारे पास हर चीज़ का ज़्यादा हो जाना. मतलब पैसा ज़्यादा, ज़मीन ज़्यादा, मकान ज़्यादा हो जाना ?
हां जी.
आपका विकास हो जाएगा तो आपके पास ज़्यादा पैसा आ जाएगा, जिससे आप ज़्यादा गेहूं, सब्जियां, ज़मीन वगैरह खरीद सकते हैं ?
हां जी.
क्या आपके लिए प्रकृति ने ज़्यादा ज़मीन बनाई है ?
नहीं जी, सबके लिए बराबर बनाई है.
आप ज़्यादा ज़मीन लेंगे तो वो ज़मीन तो किसी दूसरे के हिस्से की होगी ना ?
हां बिलकुल.
यानी आपका विकास दूसरे के हिस्से का सामान हड़प कर ही हो सकता है ?
हां जी.
तो आपका विकास प्रकृति के नियम के विरुद्ध हुआ ना ?
हां बिलकुल.
जो लोग बहुत मेहनत करते हैं जैसे किसान मजदूर क्या वो भी अमीर बन जाते हैं ?
नहीं, वो अमीर नहीं बन पाते.
यानी अमीर बनने के लिए मेहनती होना ज़रूरी नहीं है ?
हां, उसके लिए दिमाग की ज़रूरत होती है.
आप मानते हैं कि खेती और मजदूरी के लिए बुद्धि की ज़रूरत नहीं है ?
हां नहीं है.
आपने कभी खेती या मजदूरी की है ?
नहीं की.
फिर आपको कैसे मालूम कि खेती और मजदूरी के लिए बुद्धि की ज़रूरत नहीं है ?
वो मजदूर किसान लोग पढ़े हुए नहीं होते ना !
अच्छा वो क्यों नहीं पढ़े हुए होते ?
क्योंकि उनके गांव में अच्छे स्कूल नहीं होते और उन्हें काम करना पड़ता है इसलिए वो स्कूल नहीं जा पाते.
यानी, उनका ना पढ़ पाना अपने स्थान और जनम के कारण होता है ?
हां जी.
तो इसमें उन किसान मजदूरों का दोष है क्या ?
नहीं, उनका दोष नहीं है.
अगर उनका दोष नहीं है तो उनका आप जैसा विकास क्यों नहीं होना चाहिए ?
क्योंकि वो मेरे जैसा काम ही नहीं कर सकते.
आप क्या काम कर सकते हैं जो किसान मजदूर नहीं कर सकता ?
मैं कम्प्युटर पर काम कर सकता हूं.
आप घर पर कम्प्यूटर पर काम करेंगे तो आप अमीर हो जायेंगे ?
नहीं, घर पर अपना काम करने से अमीर नहीं होंगे. उसके लिए हमें कहीं कम्पनी वगैरह में काम करना पड़ेगा.
अच्छा तो कम्पनी आपको पैसा देगी तब आप अमीर बनेंगे ?
हां, कम्पनी के पैसे से मेरा विकास होगा.
कम्पनी के पास पैसा कहां से आता है ?
कम्पनी माल का उत्पादन करती है, उसमें से पैसा हमें देती है.
कम्पनी माल बनाती है तो उसके लिए ज़मीन पानी वगैरह कहां से आता है ?
ज़मीन पानी तो कम्पनी को सरकार देती है.
सरकार ने ज़मीन पानी बनाया है क्या ?
नहीं, सरकार लोगों से ज़मीन पानी ले कर कम्पनी को देती है.
क्या सरकार को लोग प्रेम से अपनी ज़मीन और पानी दे देते हैं ?
नहीं, लोग प्यार से सरकार को ज़मीन और पानी नहीं देते. सरकार पुलिस भेज कर लोगों से ज़मीन और पानी छीन लेती है.
अच्छा, जिनकी ज़मीन और पानी सरकार छीन कर कम्पनी को देती है वो बहुत अमीर लोग होते होंगे ?
अरे नहीं, सरकार तो गरीबों का पानी और ज़मीन छीन कर कम्पनी को देती है.
अच्छा, मतलब आपका विकास तब होता है जब गरीबों की ज़मीन छीनी जाय ?
हां जी, बिलकुल.
मतलब आपके विकास के लिए आपको गरीब की ज़मीन चाहिए ?
हां जी.
ज़मीन छीनने के लिए पुलिस भी चाहिए ?
हां जी, पुलिस तो चाहिए.
निहत्थी पुलिस या हथियारबंद पुलिस ?
निहत्थी पुलिस किस काम की. हथियारबंद पुलिस चाहिए.
यानी आपके विकास के लिए बंदूकें भी चाहियें ?
हां जी बंदूकें भी चाहियें.
मतलब आप सरकारी हिंसा के बिना विकास नहीं कर सकते ?
हां जी, नहीं कर सकते.
यानी आपका ये विकास हिंसा के बिना नहीं हो सकता ?
हां, नहीं हो सकता.
तो आप इस सरकारी हिंसा का समर्थन करते हैं ?
हां, विकास करना है तो हिंसा तो होगी.
अच्छा अगर आपकी इस हिंसा के कारण अगर गरीब लोग भी आप की पुलिस से लड़ने लगें तो आप क्या करेंगे ?
हम और भी ज़्यादा पुलिस भेजेंगे.
अगर गरीब और भी ज्यादा जोर से लड़ने लगें तो ?
तो हम सेना भेज देंगे.
यानी आप अपने ही देश के गरीबों के खिलाफ देश की सेना का इस्तेमाल करेंगे ?
क्यों नहीं करेंगे ? विकास के लिए हम सेना का इस्तेमाल ज़रूर करेंगे.
देश की सेना देश के गरीबों को ही मारेगी तो क्या उसे गृहयुद्ध नहीं माना जाएगा ?
हां, हम विकास के लिए कोई भी युद्ध लड़ सकते हैं. हमारे प्रधानमंत्री ने कहा है कि जो हमारे विकास में बाधा पहुंचाता है, वह आतंकवादी है.
ओह तो आप अपने विकास के लिए देशवासियों के विरुद्ध सेना का उपयोग करेंगे ?
हां, ज़रूर करेंगे.
क्या इस दिन के लिए देश आज़ाद हुआ था कि एक दिन इस देश के विकसित लोग अपने देश के गरीबों के खिलाफ सेना का इस्तेमाल करेंगे ?
हां, विकास के लिए हम कुछ भी करेंगे.
गरीब जनता के विरुद्ध सेना का इस्तेमाल करेंगे ?
हां, ज़रूर करेंगे.
तो दोस्तों यही है विकास का हमारा मॉडल, बधाई हो !! आप इस कदर के विकास चाहने वालो की कितनी संख्या होगी ? गिने हैं ? जिनकी जमीन छीनी जाती है, उन गरीबों की कितनी संख्या होगी ? गिने हैं ? गिनती कीजिए. पता चलेगा आप मुश्किल से 5-10% हैं कुल आबादी के, जो 90-95% लोगों को सता कर, रुला कर अपने मनोनुकूल विकास चाहते हैं.
- क्या सरकार 100% को बराबर-बराबर एक नज़र से देखने के लिए बनी होती है या 5-10% को ?
- क्या सरकारें 90-95% आबादी को रुलाने के लिए बनती हैं ?
देश की तरक्की तभी मानी जाती है न (?) जब उस देश की 90-95% आबादी खुशहाल हो. आप क्या चाहते हैं ? 100% खुशहाल देखना चाहते हैं या 5-10% को खुशहाल ? देश की तरक्की किसमें मानी जाएगी ?
पूंजीपति सरकार के साथ मिलकर इस देश के संसाधनों पर कब्जा कर रहे हैं. आदिवासी संविधान के आधार पर इसे जोरदार टक्कर दे रहे हैं इसलिए आदिवासियों को जेलों में डाला जा रहा है और मारा जा रहा है लेकिन जंगल काटने के बाद ऑक्सीजन न मिलने, पानी सूख जाने और जमीन छीनने के बाद आप भी जिंदा नहीं बचेंगे.
विकास के इसी मॉडल का विरोध करने के कारण मोदी ने अनेकों सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया है. सरकारी सुरक्षा बलों के सिपाही आदिवासियों को मार रहे हैं, जेलों में डाल रहे हैं, महिलाओं से बलात्कार कर रहे हैं ताकि जंगल काट कर पूंजीपति जमीन के नीचे के खनिज बेचकर अपनी तिजोरी भर ले. मोदी यह सब कर रहा है.
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