रूस यूक्रेन युद्ध के दरमियान एक ताजा हास्यास्पद घटना घटी है, जिसके तहत अब पूरी दुनिया को पता लग चुका है कि यूक्रेन के पास हथियारों की न केवल भारी किल्लत है, बल्कि इससे यह भी साफ अंदेशा लग रहा है कि अमरीका और नाटो देशों ने किस तरह से यूक्रेन को हथियारों की मदद देने का झांसा देकर तबाह कर दिया है.
हुआ ये कि यूक्रेनी सैनिकों के पास अब आत्मरक्षा तक के लिए हथियार नहीं हैं. रूसी रक्षा विभाग की तरफ से वारजोन के बीच का एक वीडियो जारी किया गया है, जिसमें यूक्रेनी सेना को एके-47 से रूसी ड्रोन व रूसी फाइटर जैट पर गोलियां चलाते देखा जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय युद्ध विरोधी मीडिया ने चुटकी लेते हुए कहा कि ‘ये जेलेंस्की की सेना की सुई से हाथी को मारने की आत्मघाती जिद है.’
भारतीय रक्षा विभाग के एक पूर्व जनरल ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि नाटो और अमरीका यूक्रेन को अब हथियार देने के नाम पर सिर्फ कोरे आश्वासन ही दे रहे हैं क्योंकि रूस यूक्रेन युद्ध के चलते कई नाटो देश अब किनारा कर चुके हैं और बचे हुए नाटो देशों में भी यूक्रेन को हथियार देने के नाम पर भारी दरार देखी जा रही है.
उधर वारजोन से एक और सरप्राइज़ खबर ये है कि रूस ने बीते दिन में बाल्टिक सागर के ऊपर अपने बाम्बर विमान उड़ा दिए हैं जबकि बाल्टिक सागर पर अमरीका न केवल अपना दावा ठोकता है बल्कि अमरीकी परमाणु पनडुब्बियां व युद्ध पोत तक इस सागर पर तैनात हैं.
बताया जा रहा है कि रूस के इस कदम से पेंटागन पिछले पूरे तेरह घंटे तक बेहद डरा हुआ राष्ट्रपति बाइडन से संपर्क पर था लेकिन नाटो व अमरीकी सेना, रूसी बांबरों को ट्रैक करने से अलावा कुछ न कर सकी. बताते चलें कि अगले चार दिन बाद यानि 11 जुलाई को यूरोपीय देश लिथुआनिया में नाटो देशों की आपात बैठक होने जा रही है.
संभावना जताई जा रही है कि इस बैठक में इस बात पर सहमति बनाई जायेगी कि सभी नाटो देश रूस पर एक साथ हमला करें. इसलिए रूस ने इस समय यूक्रेन पर क्लस्टर बम छोडकर ये बता दिया है कि नाटो देशों ने अगर रूस के खिलाफ कोई साजिश रची तो इस क्लस्टर बम को परमाणु युद्ध का शंखनाद समझें.
यूक्रेन वारजोन से एक और हास्यास्पद रिपोर्ट ये आई है कि अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने खुलासा किया है कि यूक्रेन के काउंटर अफेंसिव के दिन से यानी कि 4 जून के बाद यूक्रेनी हथियार भंडार से दस हजार हथियार गायब हो चुके हैं. यूक्रेन राष्ट्रपति जेलेंस्की ने हथियारों पर डाका डालने के लिए जहां एक ओर इसे रूसी सेना की कारगुज़ारी करार दिया है तो वहीं दूसरी ओर रूसी रक्षा विभाग ने इसे नाटो व पश्चिमी मीडिया की लफ्फाजी कहा है.
रूसी रक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यूक्रेन में जिन दस हजार हथियारों के गायब हो जाने की अफवाह है, दरअसल वो हथियार नाटो व अमरीका ने यूक्रेन को या तो दिये ही नहीं थे या फिर यूक्रेनी सेना ने वो हथियार समुद्र में फेंक दिए हैं, क्योंकि यूक्रेनी सेना नाटो देशों द्वारा जीर्ण क्षीर्ण पुराने हथियार दिए जाने से नाराज़ थी.
बहरहाल, युद्ध जारी है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार पिछले 24 घंटे में रूसी सेना ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर बारूदी कोहराम मचा रखा है. बताया जा रहा है कि राजधानी कीव में राष्ट्रपति भवन व अन्य मंत्रालयों की सुरक्षा, अमरीकी ह्वाइट हाउस की तरह सख्त कर दी गई है. हालांकि बैगनर ग्रुप के चीफ प्रिगोजिन ने कहा है युद्ध के समय हर जगह की सुरक्षा राष्ट्रपति भवन के बराबर ही होती है. हमारे सैनिकों के लिए यूक्रेन में कुछ भी अभेद्य नहीं है.
दूसरी तरफ न्यूक्लियर अटैक की संभावना भी बनी हुई है. जर्मनी ने यूक्रेन में रूस के क्लस्टर बम छोड़े जाने पर सख्त नाराजगी जाहिर की है लेकिन रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने दो दिन पहले ही एक युद्धपोत को रूसी सैन्य बेड़े में शामिल करने वाले समारोह में कहा था कि –
‘इस युद्ध में हमारे जांबाज सैनिकों ने जो प्रदर्शन किया है, उसे रूसी संप्रभुता कभी नहीं भूल सकेगी. लेकिन शहीद सैनिकों के परिवार जो भावनात्मक युद्ध लड़ रहे हैं, रूस उनके इस वेदना की घड़ी में उन शहीद परिवारों के साथ खड़ा है. कोई भी संप्रभु देश अपने नागरिक जीवन को बदहाल नहीं बना सकता. हमने सभी आख़िरी कोशिशें पूरी कर ली हैं. यकीन कीजिए रूस आपका है और आप इसमें फतह हासिल करने जा रहे हैं.’
राष्ट्रपति पुतिन के इस आयोजन में कही गई एक बात ‘हमने सभी आख़िरी कोशिशें पूरी कर ली हैं’ पर नाटो व अमरीका की सांस अटक गई है. रूसी खुफिया विभाग केजीबी के एक पूर्व अधिकारी ने बताया है कि पुतिन झूठ नहीं बोलते हैं.
केजीबी के पूर्व अधिकारी के इस बयान पर पोलैंड के समाचार पत्रों ने दावा किया है कि उत्तर कोरिया और चीन के परमाणु बमों की दर्जनों खेपें मास्को पहुंच चुकी हैं. समाचारों में दावा किया गया है कि पुतिन अपना परमाणु ट्रिगर दबायें और किम जोंग और जिनपिंग को खबर न हो ऐसे मुगालते में नाटो और अमरीका नहीं है और न ही किसी देश को रहना चाहिए.
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पहले ही कहा था कि हमारी लड़ाई यूक्रेन के साथ नहीं है बल्कि यूक्रेन को मदद करने वाले रूस के शत्रु पश्चिमी यूरोपीय देशों से है. पुतिन यही चाहते थे कि नाटो बेनकाब होकर रूस से सीधे युद्ध करे. आखिर नाटो को अपनी कथित मानवतावादी केंचुली को फेंकने के लिए पुतिन ने इस कदर मजबूर कर दिया कि अगली 11 – 12 तारीख को पूरी दुनिया, कम से कम यूरोप के लिए सांसें अटक जाने वाला समय से कम नहीं होगा.
सबसे बड़ी बात पुतिन को नाटो अमरीका की किसी भी गीदड़ भभकी की रत्ती भर भी परवाह नहीं है. जेलेंस्की पर नाटो का आरोप है कि उसकी सेना नाटो के हथियारों को खराब कर नाटो को बदनाम कर रही है. अंतरराष्ट्रीय युद्ध विश्लेषकों के अनुसार नाटो अपनी पूरी ताकत रूस पर झोंकने की बचकानी हरकत नहीं करेगा, अगर ऐसा होता है तो चीन व उत्तर कोरिया सहित 40 देश, नाटो व अमरीका को किसी भी हालत में नहीं छोड़ेंगे …. और …. तीसरे विश्व युद्ध का महाविध्वंस लगभग तय है.
- ऐ. के. ब्राईट
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