वे उभारेंगे ‘आदिकवि’ वाल्मीकि को
और चर्चा जन-जन तक पहुंचा देंगे
कि वाल्मीकि भी पहले एक ‘डाकू’ थे
और चुटकियों में
वे लांघ जाएंगे रामायण को !
वे बुद्ध को आगे कर देंगे
सहज और शीघ्र घुस आएंगे
अंगुलिमाल के हृदय परिवर्तन में !
इस तरह वे करुणा के अधिकारी होंगे !!
जिन्हें दो सबसे संदिग्ध वाक्यों को
सबसे सफ़ेद करना है…
कि…हत्यारे का मन बदलकर सुंदर हो सकता है !
कि…महानों ने भी की हैं हत्याएं; आफ़त क्या है ?!
….वे और क्या करेंगे ?!…
मिथक देकर हमारा ‘चुप’ खरीदेंगे !
लाशों से जिन्हें लाभांश मिला
वे पत्ताचोर कुयोगों का ही सबूत देंगे !!
और पत्ते चुराते हुए
ताश की तरह खेलेंगे
अंगुलिमाल और वाल्मीकि को !!
- भीष्म शर्मा
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