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गांव गांव श्मशान

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उसने
अपने …
कई वायदे पूरे किये-
तीन सत्तर ,..
लत्तर.. बहत्तर
तीन तलाक या अखलाक..
और अब..
गांव गांव श्मशान बनाने की !

वैसे
वह पहले से
कई जगहों पर –
कब्रिस्तान बनाता रहा है !
लोगों को बनाने के लिए
उकसाता रहा है !
पर इस बार
जिद्द थी उसकी
श्मशान बनाने की
गांव-गांव में बनाने की
और अब-
उसने
उसे भी पूरा कर दिया !

उसे कभी दिलचस्पी नहीं था
रोटी, रोजगार में
शिक्षा, चिकित्सा, इंसानी ब्यवहार में
खुद इंसान बनने में,
या
इंसान बनने वाला वातावरण बनाने में !

क्योंकि –
इन्शानियत से दूर
वह
अपना कुनबा बना रखा था
अपने चारों ओर
आदम के खाल में
भेड़िया पाल रखा था
जो
उसे भी
रक्त का स्वाद चखा कर
हैवानियत की ओर ले जाने में
मददगार थे !
लेकिन…
बाकि भी कहां होश में थे !
बस
हाथ जोड़े, टकटकी लगाये
बन बैठे सब, जैसे गुलाम थे !!

  • सुमन

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