Home ब्लॉग हिंडनबर्ग के वो 88 सवाल जिसने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अडानी समूह, मोदी सरकार और उसके अंधभक्तों के गोरखधंधों को नंगा किया

हिंडनबर्ग के वो 88 सवाल जिसने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अडानी समूह, मोदी सरकार और उसके अंधभक्तों के गोरखधंधों को नंगा किया

50 second read
0
0
407
हिंडनबर्ग के वो 88 सवाल जिसने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अडानी समूह, मोदी सरकार और उसके अंधभक्तों के गोरखधंधों को नंगा किया
हिंडनबर्ग के वो 88 सवाल जिसने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अडानी समूह, मोदी सरकार और उसके अंधभक्तों के गोरखधंधों को नंगा किया

हिंडेनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट का मानना है कि अडानी समूह दिन के उजाले में बड़ा और खुला फ्राड करने में सक्षम है क्योंकि निवेशक, पत्रकार, नागरिक और यहां तक कि राजनेता भी बदले की कार्रवाई के डर से उसके खिलाफ बोलने से डरते हैं. हिंडेनबर्ग फर्म ने अडानी समूह से 88 सवालों पर जवाब मांगा है, जिसमें आखिरी के 3 सवाल इसी पर केन्द्रित है कि –

  • ‘अडानी ने आलोचनात्मक पत्रकार परंजय गुहा ठाकुरता को जेल में डालने की मांग क्यों की ?
  • 2021 में, अडानी ने अडानी के आलोचनात्मक वीडियो बनाने वाले यू-ट्यूबर पर कोर्ट गैग ऑर्डर की मांग क्यों की ?
  • अडानी समूह ने पत्रकारों और एक्टिविस्टों के खिलाफ कानूनी मुकदमे क्यों दायर किए हैं, जिसकी मीडिया वॉचडॉग ने निंदा की है ?
  • निजी जांचकर्ताओं द्वारा ऑस्ट्रेलिया में एक कार्यकर्ता का पीछा क्यों किया गया ?
  • अगर अडानी समूह के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो उसे अपने छोटे से छोटे आलोचक के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई करने की आवश्यकता क्यों महसूस होती है ?

इससे साफ जाहिर होता है कि हिंडेनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट बारीक से बारीक चीजों पर नजर रखी है. खासकर इस बात पर कि आम नागरिकों की आलोचना को दबाने के लिए अडानी शक्ति और धन के बल का प्रयोग करते हैं. इसके जवाब में अडानी ग्रुप ने एक बार फिर हिंडेनबर्ग फर्म को धमकाने के अंदाज में बात किया और कानूनी कार्यवाही का धमकी दिया. इसके महज पांच मिनट के अंदर हिंडेनबर्ग ने इसका स्वागत किया और कहा कि सारे दस्तावेज लेकर अमेरिकी कोर्ट में आ जाओ.

इस खुली चुनौती से घबराये अदानी ग्रुप ने 413 पन्नों में जवाब लिखा है, जिसका विश्लेषण करते हुए सौमित्र राय बताते हैं कि ‘अदाणी सेठ ने अपने 413 पेज के जवाब में सिर्फ 30 पेज में हिन्डेनबर्ग की रिपोर्ट में उठाए गए सवालों की बात की है. हिन्डेनबर्ग ने 88 सवाल पूछे थे, सिर्फ़ 26 का गोलमोल जवाब है. बाकी के 330 पेज में कोर्ट रिकॉर्ड, 53 पेज में वित्तीय जानकारियां और ऐसी सूचनाएं हैं, जो सार्वजनिक रूप से पहले ही उपलब्ध हैं. फालतू की जानकारियों में अदाणी फाउंडेशन के सामाजिक कार्यों को सीढ़ी बनाया गया है, ताकि चोरी छिपाई जा सके.’

इससे भी आगे बढ़कर अडानी ग्रुप ने अपने फ्रॉड बिजनेस को बचाने के लिए ‘भारत पर हमला’ का संज्ञा देते हुए भारत को ही बदनाम करने का अपराध किया है. इतना ही ही संघी भक्तों ने भी अडानी के गोरखधंधा को बचाने के लिए भारत पर हमला करार देते हुए बॉयकॉट हिंडेनबर्ग’ का अलाप जपते हुए सोशल मीडिया पर इससे भी आगे बढ़कर काले-गोरे की नस्लीय भेद पैदा करने की कोशिश करते हुए लिखता है –

‘मित्रों, एक गोरे ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट बनाई है जिसमें अदानी के ऊपर हेराफेरी का आरोप लगाया है और इस कारण अदानी के शेयर गिर रहे हैं और शेयरों के गिरने की वजह से एक ही दिन में अदानी को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है.

‘असल में ये खेल ही इसलिए खेला गया है कि कोई भारतीय कहीं दुनिया का सबसे अमीर आदमी न बन जाए. ये गोरे कभी नहीं चाहेंगे कि कोई भारतीय दुनिया का सबसे अमीर आदमी बने और भारत विश्व गुरु बने.

‘इस समय हम सब भारतीयों को चाहिए कि अदानी के साथ मजबूती के साथ खड़े रहें और हिंडनबर्ग का बायकॉट करें. #बायकॉट_हिंडन_बर्गर’

एक तो इससे भी दो कदम आगे बढ़ते हुए यहां तक लिख गया है कि ‘अडानी के अरबों कमाने या गंवाने से हमारे-आपके जीवन में कोई फर्क नहीं पड़ता…, वह बदस्तूर चलता आ रहा है.’ ऐसी मूर्खतापूर्ण तरीकों से अडानी के बचाव में उतर आया है कि ऐसे दलालों घृणा के काबिल है जो अपने और अपने मालिकों के लिए कुछ भी करेगा की तर्ज पर अपने दासत्व पर मुहर लगाते हैं लेकिन अपने मालिकों पर लगे 88 आरोपों का जवाब देने की हिम्मत नहीं जुटा पाते.

हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट ने अडानी समूह से जो 88 सवाल पूछे हैं, उसका जवाब देने के कुछ से कुछ बुदबुदा रहे हैं और कल सोमवार तक अडानी का शेयर गिरने से लगभग 6 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. हिंडेनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की ओर से पूछे गए 88 सवालों की लम्बी फेहरिस्त इस प्रकार है –

  1. गौतम अडानी के छोटे भाई, राजेश अडानी पर राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) द्वारा 2004-2005 के आस पास हीरा व्यापार आयात/निर्यात योजना में केंद्रीय भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया था. सीमा शुल्क कर चोरी, जाली आयात दस्तावेज और अवैध कोयला आयात के आरोप में उन्हें बाद में दो बार गिरफ्तार किया गया था. उनके इतिहास को देखते हुए, बाद में उन्हें अडानी समूह में प्रबंध निदेशक के रूप में सेवा देने के लिए पदोन्नत क्यों किया गया ?
  2. गौतम अडानी के बहनोई, समीर वोरा पर डीआरआई द्वारा हीरा व्यापार घोटाले के सरगना होने और नियामकों को बार-बार झूठे बयान देने का आरोप लगाया गया था. उनके इतिहास को देखते हुए, उन्हें बाद में अडानी ऑस्ट्रेलिया डिवीजन के कार्यकारी निदेशक के रूप में पदोन्नत क्यों किया गया ?
  3. बिजली आयात के ओवर-इनवॉइसिंग की डीआरआई जांच के हिस्से के रूप में, अडानी ने दावा किया कि विनोद अडानी की ‘शेयर धारक को छोड़कर’ किसी भी अडानी समूह की कंपनी में कोई भागीदारी नहीं थी. इस दावे के बावजूद, 2009 से अडानी पावर के लिए प्री-आईपीओ प्रॉस्पेक्टस ने विस्तार से बताया कि विनोद कम से कम 6 अडानी समूह की कंपनियों के निदेशक थे. क्या विनोद के बारे में नियामकों को दिए गए अडानी के मूल बयान झूठे थे ?
  4. अडानी समूह के साथ लेन-देन करने वाले सौदों और संस्थाओं पर सभी भूमिकाओं सहित, अडानी समूह में विनोद अडानी की भूमिका की आज तक की पूरी सीमा क्या रही है ?
  5. मॉरीशस स्थित संस्थाएं जैसे एपीएमएस इन्वेस्टमेंट फंड, क्रेस्टा फंड, एलटीएस इन्वेस्टमेंट फंड, एलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड और ओपल इन्वेस्टमेंट सामूहिक रूप से और लगभग विशेष रूप से अडानी-सूचीबद्ध कंपनियों में शेयर रखते हैं, कुल मिलाकर लगभग 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर. यह देखते हुए कि ये संस्थाएं अडानी में प्रमुख सार्वजनिक शेयरधारक हैं, अडानी कंपनियों में उनके निवेश के लिए धन का मूल स्रोत क्या है ?
  6. सूचना के अधिकार के हालिया अनुरोध इस बात की पुष्टि करते हैं कि सेबी अडानी के विदेशी फंड स्टॉक स्वामित्व की जांच कर रहा है. क्या अडानी इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि यह जांच चल रही है और उस जांच की स्थिति के बारे में विवरण प्रदान कर सकते हैं ?
  7. किसी भी जांच के हिस्से के रूप में अब तक और किन नियामकों को क्या जानकारी प्रदान की गई है ?
  8. मॉन्टेरोसा इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स से जुड़ी संस्थाएं सामूहिक रूप से अडानी स्टॉक की केंद्रित होल्डिंग्स में कम से कम 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मालिक हैं. मॉन्टेरोसा के सीईओ ने भगोड़े हीरा व्यापारी जतिन मेहता के साथ 3 कंपनियों में निदेशक के रूप में काम किया, जिनके बेटे की शादी विनोद अडानी की बेटी से हुई है. मॉन्टेरोसा, इसके फंड और अडानी परिवार के बीच संबंध की पूर्ण सीमा क्या है ?
  9. जतिन मेहता के साथ अडानी समूह की कंपनियों और विनोद अडानी से जुड़ी किसी भी संस्था का लेन-देन कितना है ?
  10. अडानी के करीबी सहयोगी चांग चुंग-लिंग की अध्यक्षता वाली गुडामी इंटरनेशनल नामक अडानी की एक बार संबंधित पार्टी इकाई ने अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पावर को आवंटित मॉन्टेरोसा फंड में से एक में भारी निवेश किया. अडानी कंपनियों में मॉरीशस की प्रमुख शेयरधारक के रूप में मॉन्टेरोसा संस्थाएं बनी हुई हैं. अडानी सूचीबद्ध कंपनियों में एक संबंधित पक्ष इकाई द्वारा इस बड़े, केंद्रित निवेश के लिए अडानी का क्या कहना है ?
  11. मॉन्टेरोसा के प्रत्येक फंड और अडानी में उनके निवेश के लिए धन का मूल स्रोत क्या था ?
  12. इलारा के एक पूर्व व्यापारी, अडानी के शेयरों में लगभग 3 बिलियन डॉलर की केंद्रित होल्डिंग वाली एक फर्म, जिसमें एक फंड भी शामिल है, जो अडानी के शेयरों में 99% केंद्रित है, ने हमें बताया कि यह स्पष्ट है कि अडानी समूह शेयरों को नियंत्रित करता है. उन्होंने कहा कि धन की संरचना जानबूझकर उनके लाभकारी स्वामित्व को छिपाने के लिए डिज़ाइन की गई है. अडानी का जवाब क्या है ?
  13. लीक हुए ईमेल से पता चलता है कि इलारा के सीईओ ने केतन पारेख के साथी कुख्यात स्टॉक मैनिपुलेटर धर्मेश दोशी के साथ व्यवहार किया था, भले ही दोशी अपनी कथित हेर-फेर गतिविधि के लिए भगोड़ा हो गया था. यह देखते हुए कि इलारा अडानी के शेयरों के सबसे बड़े ‘सार्वजनिक’ धारकों में से एक है, अडानी का इस रिश्ते पर क्या कहना है ?
  14. इलारा फंड और अडानी में उनके निवेश के लिए धन का मूल स्रोत क्या था ?
  15. अडानी ने अंतरराष्ट्रीय निगमन फर्म एमिकॉर्प के साथ बड़े पैमाने पर काम किया है, जिसने अपनी कम से कम 7 प्रवर्तक संस्थाओं की स्थापना की है, कम से कम 17 अपतटीय शेल और विनोद अडानी से जुड़ी संस्थाएं और अदानी स्टॉक के कम से कम 3 मॉरीशस-आधारित अपतटीय शेयरधारक हैं. पुस्तक बिलियन डॉलर व्हेल और अमेरिकी कानूनी मामले की फाइलों के साथ-साथ मलेशियाई भ्रष्टाचार-विरोधी आयोग की फाइलों के अनुसार, एमिकॉर्प ने 1MDB अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी घोटाले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग स्कैंडल से निकटता के बावजूद अडानी ने एमीकॉर्प के साथ मिलकर काम करना क्यों जारी रखा है ?
  16. न्यू लीना एक साइप्रस-आधारित निवेश फर्म है, जिसके पास अडानी सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में ~95% हिस्सेदारी है, जिसमें 420 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक शामिल हैं. इकाई एमिकॉर्प द्वारा संचालित है. न्यू लीना और अडानी में इसके निवेश के लिए धन का मूल स्रोत क्या था ?
  17. ओपल इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के 4.69% (फ्लोट के ~19% का प्रतिनिधित्व) के साथ अडानी पावर के शेयरों का सबसे बड़ा दावा किया गया स्वतंत्र धारक है. इसका गठन उसी दिन, उसी क्षेत्राधिकार (मॉरीशस) में विनोद अडानी से जुड़ी एक इकाई के रूप में एक ही छोटी निगमन फर्म (ट्रस्ट लिंक) द्वारा किया गया था. अडानी इसे कैसे समझाते हैं ?
  18. ओपल और अडानी में इसके निवेश के लिए धन का मूल स्रोत क्या था ?
  19. ट्रस्टलिंक के सीईओ अडानी के साथ अपने करीबी रिश्ते का दावा करते हैं. इसी ट्रस्टलिंक सीईओ पर पहले डीआरआई द्वारा अडानी के साथ शेल कंपनियों का उपयोग करके धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया गया था. डीआरआई जांच रिकॉर्ड में विस्तृत विवरण सहित ट्रस्ट लिंक के सीईओ के अडानी समूह के साथ लेन-देन का पूरा विवरण क्या है ?
  20. भारतीय एक्सचेंजों के डेटा के हमारे विश्लेषण और प्रति अडानी फाइलिंग के अनुसार ट्रेडिंग वॉल्यूम का खुलासा करने के अनुसार, अडानी स्टॉक में केंद्रित पदों वाली उपरोक्त नामित अपतटीय संस्थाओं की वार्षिक डिलीवरी वॉल्यूम में 30% -47% तक की हिस्सेदारी है, जो एक बड़ी अनियमितता है. अडानी समूह अपारदर्शी अपतटीय फंडों के इस केंद्रित समूह से अत्यधिक व्यापारिक मात्रा की व्याख्या कैसे करता है ?
  21. इस व्यापार की प्रकृति से पता चलता है कि ये संस्थाएं हेराफेरी में लिप्त व्यापार या जोड़-तोड़ व्यापार के अन्य रूपों में शामिल हैं. अडानी कैसे जवाब देता है ?
  22. वर्ष 2019 में, अडानी ग्रीन एनर्जी ने बिक्री के लिए दो पेशकशें (ओएफएस) पूरी कीं, जो यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण थीं कि इसके सार्वजनिक शेयरधारक 25% लिस्टिंग सीमा आवश्यकता से ऊपर थे. हमारी रिपोर्ट में नामित मॉरीशस और साइप्रस संस्थाओं सहित इन ओएफएस सौदों का कितना हिस्सा अपतटीय संस्थाओं को बेचा गया था ?
  23. भारतीय सूचीबद्ध कॉरपोरेट्स को एक साप्ताहिक शेयर होल्डिंग अपडेट प्राप्त होता है, जिसे जनता के सामने प्रकट नहीं किया जाता है, जो सौदों के आस-पास शेयर होल्डिंग परिवर्तनों का विवरण देगा. क्या अडानी ओएफएस सौदों में भाग लेने वाली अपतटीय संस्थाओं की पूरी सूची का विवरण देंगे ?
  24. अडानी ने ओएफएस पेशकशों को चलाने के लिए मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल को चुना. एक अडानी निजी कंपनी की मोनार्क में एक छोटी स्वामित्व हिस्सेदारी है, और गौतम अडानी के बहनोई ने पहले फर्म के साथ मिलकर एक एयरलाइन खरीदी थी. ऐसा लगता है कि यह करीबी रिश्ता हितों का स्पष्ट टकराव पैदा करता है. अडानी कैसे जवाब देता है ?
  25. अडानी ने पेशकश चलाने के लिए एक बड़े, सम्मानित ब्रोकर के बजाय, मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल को क्यों चुना, जो एक छोटी फर्म थी जिसे पहले सेबी द्वारा बाजार में हेरफेर के आरोपों के कारण निलंबित और स्वीकृत किया गया था ?
  26. वर्ष 2021 में सार्वजनिक मंचों पर शेयर धारिता का मुद्दा उठने के समय ग्रुप सीएफओ रॉबी सिंह ने 16 जून 2021 को एनडीटीवी के एक साक्षात्कार में दावा किया था कि मॉरीशस के शेयरधारकों जैसे फंडों ने नया निवेश नहीं किया था और वर्टिकल डीमर्जर्स के जरिए अन्य अडानी शेयरों के मालिक बन गए थे. हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि यह लगभग निश्चित था कि मॉरीशस के शेयरधारकों ने अडानी ग्रीन में और निवेश किया. यह उस समय के साथ मेल खाता है जब सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों को पूरा करने के लिए प्रमोटरों को अपनी शेयरधारिता को कम करना आवश्यक था. अडानी समूह इस नए साक्ष्य का जवाब कैसे देता है ?
  27. हमारे निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि सेबी ने 1999 से 2005 के बीच अडानी के शेयरों में हेरफेर करने के लिए अडानी प्रमोटर्स सहित 70 से अधिक संस्थाओं और व्यक्तियों पर मुकदमा चलाया और उन पर मुकदमा चलाया. अडानी कैसे प्रतिक्रिया करता है ?
  28. सेबी के एक फैसले ने निर्धारित किया कि अडानी के प्रमोटरों ने अडानी एक्सपोर्ट्स (अब अडानी एंटरप्राइजेज) के शेयरों में हेराफेरी में केतन पारेख की सहायता की और उकसाया, यह दर्शाता है कि 14 अडानी निजी कंपनियों ने पारेख द्वारा नियंत्रित संस्थाओं को शेयर हस्तांतरित किए. अडानी भारत के सबसे कुख्यात सजायाफ्ता स्टॉक धोखेबाजों में से एक के साथ मिलकर अपने शेयरों में इस समन्वित, व्यवस्थित स्टॉक हेरफेर की व्याख्या कैसे करते हैं ?
  29. अपने बचाव में, अडानी समूह ने दावा किया कि उसने पारेख और मुंद्रा बंदरगाह पर वित्त संचालन के लिए उनके स्टॉक हेरफेर के प्रयासों को निपटाया था. क्या अडानी स्टॉक हेरफेर के माध्यम से पूंजी की निकासी को वित्त पोषण की एक वैध विधि के रूप में देखता है ?
  30. केतन पारेख के करीबी लोगों ने हमें बताया है कि वह अडानी सहित अपने पुराने ग्राहकों के साथ लेन-देन पर काम करना जारी रखते हैं. पारेख और अडानी समूह के बीच संबंध की पूर्ण सीमा क्या थी और क्या है, जिसमें विनोद अडानी के साथ किसी भी इकाई का संबंध शामिल है ?
  31. यह देखते हुए कि अडानी समूह के प्रवर्तक ऋणों के लिए संपार्श्विक के रूप में शेयर गिरवी रखते हैं, स्टॉक हेरफेर कृत्रिम रूप से ऐसे ऋणों के लिए संपार्श्विक और उधार आधार को नहीं बढ़ाएंगे, जिससे प्रवर्तकों के प्रतिपक्षों के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम पैदा हो जाएगा और प्रॉक्सी द्वारा, अडानी शेयरधारकों के हाथों नुकसान होगा. इक्विटी बिक्री के माध्यम से संपार्श्विक कॉल या डीलेवरेजिंग ?
  32. वर्ष 2007 में, इकोनॉमिक टाइम्स के एक लेख में एक सौदे का वर्णन किया गया था, जिसमें केतन पारेख से जुड़े एक भगोड़े धर्मेश दोशी द्वारा नियंत्रित ब्रोकरेज ने बीवीआई इकाई के लिए एक दवा कंपनी में शेयर खरीदे थे, जहां विनोद अडानी ने शेयरधारक और निदेशक के रूप में काम किया था. विनोद अडानी सहित धर्मेश दोषी और अडानी समूह के बीच संबंध की पूर्ण सीमा क्या थी और है ?
  33. एक भगोड़ा और वांछित बाजार जोड़तोड़ करने वाले धर्मेश दोशी द्वारा संचालित ब्रोकरेज इकाई जेर्मिन कैपिटल के साथ लेनदेन के हिस्से के रूप में एक कथित यूएस $1 मिलियन प्राप्त करने वाली विनोद अडानी इकाई के लिए स्पष्टीकरण क्या है ?
  34. निवेशक आम तौर पर स्वच्छ और सरल कॉर्पोरेट संरचनाओं को पसंद करते हैं ताकि हितों के टकराव और लेखांकन विसंगतियों से बचा जा सके जो विशाल, जटिल संरचनाओं में दुबक सकते हैं. अडानी की 7 प्रमुख सूचीबद्ध संस्थाओं में सामूहिक रूप से 578 सहायक कंपनियां हैं और बीएसई के खुलासे के अनुसार अकेले वित्त वर्ष 2022 में कुल 6,025 अलग-अलग संबंधित-पार्टी लेनदेन में शामिल हैं. अडानी ने इस तरह के जटिल, आपस में जुड़े कॉर्पोरेट ढांचे को क्यों चुना है ?
  35. हमें विनोद अडानी और सुबीर मित्रा (अडानी निजी परिवार कार्यालय के प्रमुख) से जुड़ी कम से कम 38 मॉरीशस की संस्थाएं मिली. हमने विनोद अडानी से जुड़ी संस्थाओं को साइप्रस, यूएई, सिंगापुर और विभिन्न कैरिबियाई द्वीपों जैसे अन्य टैक्स हेवन न्यायालयों में भी पाया. इनमें से कई संस्थाओं ने लेन-देन के संबंधित पक्ष प्रकृति का खुलासा किए बिना अडानी संस्थाओं के साथ लेन-देन किया है, जो कानून का उल्लंघन प्रतीत होता है, जैसा कि हमारी रिपोर्ट में देखा गया है. इसका क्या स्पष्टीकरण है ?
  36. विनोद अडानी कितनी संस्थाओं से निदेशक, शेयरधारक या लाभार्थी स्वामी के रूप में जुड़े हुए हैं ? इन संस्थाओं के नाम और अधिकार क्षेत्र क्या हैं ?
  37. अडानी साम्राज्य में निजी और सूचीबद्ध संस्थाओं के साथ विनोद अडानी से जुड़ी संस्थाओं के व्यवहार का पूरा विवरण क्या है ?
  38. हमें विनोद अडानी से जुड़ी 13 संस्थाओं के लिए वेबसाइटें मिलीं जो यह प्रदर्शित करने के लिए अल्प विकसित प्रयासों की तरह लगती हैं कि संस्थाओं का संचालन होता है. कई वेबसाइटों का ठीक उसी दिन गठन किया गया था और ‘विदेश में खपत’ और ‘वाणिज्यिक उपस्थिति’ जैसी निरर्थक सेवाओं के लिए सेट को सूचीबद्ध किया गया था. इनमें से प्रत्येक संस्था वास्तव में किस व्यवसाय या संचालन में संलग्न है ?
  39. विनोद अडानी से जुड़ी इकाई के लिए वेबसाइटों में से एक ने दावा किया कि ‘हम एक निर्माता और उपभोक्ता के बीच एक अमूर्त उत्पाद की बिक्री और वितरण जैसी सेवाओं में व्यापार करते हैं.’ आखिर उसका क्या मतलब है ?
  40. एक विनोद अडानी-नियंत्रित मॉरीशस इकाई जिसे अब क्रुणाल ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट कहा जाता है, ने एक निजी अडानी इकाई को INR 11.71 बिलियन (US ~$253 मिलियन) उधार दिया, बिना यह खुलासा किए कि यह एक संबंधित पार्टी ऋण है. अडानी इसकी कैसे व्याख्या कर सकते हैं ?
  41. इमर्जिंग मार्केट इन्वेस्टमेंट डीएमसीसी नामक एक विनोद अडानी-नियंत्रित यूएई इकाई ने लिंक्डइन पर किसी भी कर्मचारी को सूचीबद्ध नहीं किया है, उसकी कोई ठोस ऑनलाइन उपस्थिति नहीं है, उसने किसी ग्राहक या सौदे की घोषणा नहीं की है, और यह संयुक्त अरब अमीरात में एक अपार्टमेंट से बाहर है. इसने अडानी पावर की सहायक कंपनी को 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज दिया. इमर्जिंग मार्केट इन्वेस्टमेंट डीएमसीसी फंड्स का स्रोत क्या था ?
  42. विनोद अडानी के नियंत्रण वाली साइप्रस इकाई वाकोडर इन्वेस्टमेंट्स के पास कर्मचारियों का कोई संकेत नहीं है, कोई ठोस ऑनलाइन उपस्थिति नहीं है, और कोई स्पष्ट संचालन नहीं है. अडानी की एक निजी संस्था में इसने 85 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था, बिना इस बात का खुलासा किए कि यह एक संबंधित पार्टी थी. अडानी इसे कैसे समझाते हैं ?
  43. वाकोडर फंड का स्रोत क्या था ?
  44. हमने 2013-2015 से लेन-देन की एक श्रृंखला की पहचान की है, जिसके तहत इन सौदों की संबंधित पार्टी प्रकृति के प्रकटीकरण के बिना, सूचीबद्ध अडानी एंटरप्राइजेज की एक सहायक कंपनी से विनोद अडानी द्वारा नियंत्रित एक निजी सिंगापुर की इकाई को संपत्ति हस्तांतरित की गई थी. इस लेन-देन और प्रकटीकरण की कमी के लिए क्या स्पष्टीकरण है ?
  45. विनोद अडानी द्वारा नियंत्रित निजी सिंगापुर की इकाई ने हस्तांतरित संपत्तियों के मूल्य को लगभग तुरंत लिख दिया. अगर वे अभी भी अडानी एंटरप्राइजेज की किताबों में थे, तो संभवत: इसका परिणाम हानि और रिपोर्ट की गई शुद्ध आय में महत्वपूर्ण गिरावट होगी. इस बात का क्या स्पष्टीकरण है कि इन संपत्तियों को लिखे जाने से पहले एक निजी अघोषित संबंधित पार्टी को क्यों स्थानांतरित किया गया था ?
  46. हमने पाया कि एक ‘सिल्वर बार’ व्यापारी, जो बिना किसी वेबसाइट के निवास पर स्थित है और संचालन के कोई स्पष्ट संकेत नहीं हैं, एक वर्तमान और पूर्व अडानी निदेशक द्वारा चलाए जा रहे हैं, ने निजी अडानी इंफ्रा को INR 15 बिलियन (US $202 मिलियन) उधार दिया, जिसका कोई खुलासा नहीं किया गया एक संबंधित पार्टी लेन-देन होने के नाते. आवश्यक प्रकटीकरण की कमी के लिए स्पष्टीकरण क्या है ?
  47. ऋण का उद्देश्य क्या था, और ‘सिल्वर बार’ व्यापारी के धन का मूल स्रोत क्या था ?
  48. गार्डेनिया ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट्स एक मॉरीशस-आधारित इकाई है जिसकी कोई वेबसाइट नहीं है, लिंक्डइन पर कोई कर्मचारी नहीं है, कोई सोशल मीडिया उपस्थिति नहीं है, और कोई स्पष्ट वेब उपस्थिति नहीं है. इसके एक निदेशक सुबीर मित्रा हैं, जो अडानी के निजी परिवार कार्यालय के प्रमुख हैं. इकाई ने निजी अडानी इन्फ्रा को INR 51.4 बिलियन (US $692.5 मिलियन) उधार दिया, जिसमें संबंधित पार्टी ऋण होने का कोई खुलासा नहीं किया गया. आवश्यक प्रकटीकरण की कमी के लिए स्पष्टीकरण क्या है ?
  49. ऋण का उद्देश्य क्या था, और गार्डेनिया ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट फंड का मूल स्रोत क्या था ?
  50. माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स, एक और दावा किया गया चांदी और सोने का व्यापारी, जो अडानी समूह के एक लंबे समय से कर्मचारी और अडानी कंपनियों के एक पूर्व निदेशक द्वारा चलाया जाता है, ने अडानी इंफ्रा में 7.5 बिलियन (US $101 मिलियन) का निवेश किया. एक बार फिर इनसे संबंधित पार्टी ऋण होने का कोई खुलासा नहीं हुआ. आवश्यक प्रकटीकरण की कमी के लिए स्पष्टीकरण क्या है ?
  51. ऋण का उद्देश्य क्या था, और माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स फंड का मूल स्रोत क्या था ?
  52. ग्रोमोर ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट नामक एक अन्य गुप्त मॉरीशस इकाई ने अडानी पावर के साथ स्टॉक विलय के माध्यम से रातों रात यूएस ~$423 मिलियन का लाभ कमाया. अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार, ग्रोमोर को चांग चुंग-लिंग द्वारा नियंत्रित किया जाता है, एक व्यक्ति जिसने विनोद अडानी के साथ एक आवासीय पता साझा किया था और डीआरआई धोखाधड़ी के आरोपों में एक प्रमुख मध्यस्थ इकाई के निदेशक के रूप में नामित किया गया था, जो अडानी एंटरप्राइजेज से धन निकालने के लिए इस्तेमाल किया गया था. अडानी परिवार के एक करीबी सहयोगी द्वारा नियंत्रित एक अपारदर्शी निजी संस्था को इस अप्रत्याशित लाभ के लिए क्या स्पष्टीकरण है ?
  53. चांग चुंग-लिंग के अडानी समूह और खासकर विनोद अडानी के साथ क्या रिश्ते हैं और उनके संबंधों की प्रकृति क्या है ?
  54. सूचीबद्ध अडानी कंपनियों ने बड़ी परियोजनाओं के निर्माण में मदद करने के लिए पिछले 12 वर्षों में निजी ठेकेदार पीएमसी प्रोजेक्ट्स को 63 अरब रुपये का भुगतान किया है. 2014 की डीआरआई जांच में पीएमसी प्रोजेक्ट्स को अडानी समूह के लिए एक ‘डमी फर्म’ कहा गया. यह देखते हुए कि प्रमुख परियोजनाओं का निर्माण करना अडानी का व्यवसाय है, क्या पीएमसी प्रोजेक्ट्स वास्तव में सिर्फ एक ‘फर्जी फर्म’ है ?
  55. पीएमसी प्रोजेक्ट्स की कोई वर्तमान वेबसाइट नहीं है. इसकी वेबसाइट के ऐतिहासिक कैप्चर से पता चलता है कि इसने अडानी कंपनी के साथ एक पता और फोन नंबर साझा किया था. कई कर्मचारी लिंक्डइन प्रोफाइल दिखाते हैं कि वे दोनों में एक साथ काम करते हैं. कई लोगों ने भ्रम व्यक्त किया कि क्या कोई अंतर था. क्या पीएमसी प्रोजेक्ट्स अडानी के लिए महज एक ‘फर्जी फर्म’ है ?
  56. हाल ही में सामने आए स्वामित्व के रिकॉर्ड से पता चलता है कि पीएमसी प्रोजेक्ट्स का स्वामित्व विनोद अडानी के करीबी सहयोगी चांग चुंग-लिंग के बेटे के पास है, जिनका उल्लेख ऊपर किया गया है. ताइवानी मीडिया की रिपोर्ट है कि बेटा ‘अडानी ग्रुप का ताइवान प्रतिनिधि’ है. हमें एक आधिकारिक सरकारी कार्यक्रम में अडानी का चिन्ह पकड़े हुए उनकी तस्वीरें मिलीं, जहां उन्होंने अडानी का प्रतिनिधित्व किया था. एक बार फिर, क्या पीएमसी अडानी के लिए महज एक ‘फर्जी फर्म’ है, जैसा कि सरकार ने पहले आरोप लगाया था ?
  57. यदि ऐसा है, तो दोनों में से किसी भी कंपनी ने आवश्यकता के अनुसार संबंधित पार्टी लेन-देन के रूप में अपने व्यापक लेन-देन की सूचना क्यों नहीं दी ?
  58. वित्त वर्ष 20 में, एड़ीकार्प एंटरप्राइसेस ने शुद्ध लाभ में केवल INR 6.9 मिलियन (US $97,000) उत्पन्न किया. उसी वर्ष, अडानी समूह की 4 कंपनियों की संस्थाओं ने इसे 87.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर या आदिकॉर्प की शुद्ध आय के 900 से अधिक वर्षों के लिए उधार दिया था. ऐसा लगता है कि इन ऋणों का कोई वित्तीय अर्थ नहीं था. इन ऋणों को बनाने में हामीदारी प्रक्रिया और व्यावसायिक औचित्य क्या था ?
  59. एडिकॉर्प ने उन ऋणों में से लगभग 98% तुरंत अदानी पावर को सूचीबद्ध करने के लिए फिर से उधार दिया. क्या एडिकॉर्प का उपयोग अडानी समूह की अन्य संस्थाओं और साइड-स्टेप संबंधित पार्टी मानदंडों से चुपके से अडानी पावर में धन स्थानांतरित करने के लिए एक माध्यम के रूप में किया गया था ?
  60. सूचीबद्ध अडानी कंपनियों ने पिछले 5 वर्षों में निजी अडानी इकाई ‘अडानी इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट सर्विसेज’ को 21.1 बिलियन (यूएस $260 मिलियन) का भुगतान क्यों किया है, यह देखते हुए कि सूचीबद्ध कंपनियों का व्यवसाय भी इन्फ्रास्ट्रक्चर का प्रबंधन कर रहा है ?
  61. सूचीबद्ध कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज ने एक कंपनी को 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया, जो अंततः ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स (बीवीआई) में अडानी परिवार के निजी ट्रस्ट के पास थी, जो कि एक कुख्यात कैरेबियाई टैक्स हेवन था, जिसमें दावा किया गया था कि एक ऑस्ट्रेलियाई कोयला टर्मिनल का उपयोग करने के लिए सुरक्षा जमा का भुगतान करना होगा. अडानी के निजी हितों के लिए सूचीबद्ध कंपनी को इतनी आकर्षक फीस देने की आवश्यकता क्यों थी ?
  62. अडानी एंटरप्राइजेज के पास 8 वर्षों के दौरान 5 मुख्य वित्तीय अधिकारी थे, जो संभावित लेखांकन अनियमितताओं का संकेत देने वाला एक प्रमुख लाल झंडा था. अडानी एंटरप्राइजेज को अपनी शीर्ष वित्तीय स्थिति के लिए किसी को बनाए रखने में इतना मुश्किल समय क्यों आया ?
  63. इनमें से प्रत्येक पूर्व सीएफओ के इस्तीफे या बर्खास्तगी के क्या कारण थे ?
  64. अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी पोर्ट्स और अडानी पावर में से प्रत्येक के पास 5 वर्षों में 3 सीएफओ थे, जबकि अडानी गैस और अडानी ट्रांसमिशन दोनों का पिछले 4 वर्षों के भीतर सीएफओ का कारोबार था. अडानी संस्थाओं ने अपने शीर्ष वित्तीय पदों पर व्यक्तियों को बनाए रखने के लिए संघर्ष क्यों किया है ? इनमें से प्रत्येक पूर्व सीएफओ के इस्तीफे या बर्खास्तगी के क्या कारण थे ?
  65. इन सीएफओ की बर्खास्तगी और इस्तीफे के लिए क्या प्रमुख कारण रहे हैं ?
  66. अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी गैस के लिए स्वतंत्र ऑडिटर शाह धनधरिया नामक एक छोटी फर्म है. इसकी वेबसाइट के ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि इसके केवल 4 भागीदार और 11 कर्मचारी थे. ऐसा लगता है कि वर्तमान में कोई वेबसाइट नहीं है. रिकॉर्ड बताते हैं कि यह मासिक कार्यालय किराए में INR 32,000 (2021 में US $435) का भुगतान करता है. केवल अन्य सूचीबद्ध इकाई में हमने पाया कि इसका ऑडिट लगभग INR 640 मिलियन (US $7.8 मिलियन) का बाजार पूंजीकरण है. अडानी की सैकड़ों सहायक कंपनियों और हजारों परस्पर संबंधित सौदों के साथ सूचीबद्ध कंपनियों की जटिलता को देखते हुए, अडानी ने बड़े, अधिक विश्वसनीय लेखा परीक्षकों के बजाय इस छोटी और वस्तुतः अज्ञात फर्म को क्यों चुना ?
  67. अडानी गैस के वार्षिक ऑडिट पर हस्ताक्षर करने वाले शाह धनधरिया के ऑडिट पार्टनर की उम्र 23 वर्ष थी जब उन्होंने ऑडिट को मंजूरी देना शुरू किया. उसने अभी विश्वविद्यालय की पढ़ाई समाप्त की थी. क्या वह व्यक्ति वास्तव में दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में से एक द्वारा नियंत्रित एक फर्म की वित्तीय जांच करने और उसके खाते रखने की स्थिति में है ?
  68. अडानी एंटरप्राइजेज के वार्षिक ऑडिट पर हस्ताक्षर करने वाले शाह धनधरिया के ऑडिट पार्टनर की उम्र 24 साल की थी, जब उन्होंने ऑडिट को मंजूरी देना शुरू किया. क्या वह व्यक्ति वास्तव में दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में से एक द्वारा नियंत्रित एक फर्म की वित्तीय जांच करने और उसके खाते रखने की स्थिति में है ?
  69. अडानी गैस और अडानी एंटरप्राइजेज के वार्षिक ऑडिट पर हस्ताक्षर करने वाले ऑडिट पार्टनर अब दोनों 28 साल के हो गए हैं. फिर से, क्या वे विश्व के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में से एक द्वारा नियंत्रित फर्मों की वित्तीय स्थिति की विश्वसनीय रूप से जांच करने और उन्हें लेखा-जोखा रखने की स्थिति में हैं ?
  70. एक अर्न्स्ट एंड यंग सहयोगी अडानी पावर के ऑडिटर ने अपने ऑडिट में एक ‘योग्य’ राय दी, जिसमें कहा गया कि उसके पास अडानी पावर द्वारा आयोजित निवेश और ऋण में INR 56.75 बिलियन ($ ~ 700 मिलियन) के मूल्य का समर्थन करने का कोई तरीका नहीं था. इन निवेशों और ऋणों के मूल्यांकन के लिए अडानी पावर की पूरी व्याख्या क्या है ?
  71. अडानी पावर के निवेश और ऋणों के मूल्यांकन के किन हिस्सों से ऑडिटर असहमत थे ?
  72. अडानी पर डीआरआई और अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा धोखाधड़ी के कई आरोप लगाए गए हैं. 2004-2006 के हीरा घोटाले की जांच में, सरकार ने आरोप लगाया कि अडानी एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (बदला हुआ अडानी एंटरप्राइजेज) और संबंधित संस्थाओं का निर्यात उद्योग समूह में अन्य सभी 34 फर्मों के कुल निर्यात का 3 गुना था. ट्रेडिंग वॉल्यूम में अचानक उछाल को अडानी कैसे समझाते हैं ?
  73. हीरे के निर्यात की जांच ने विनोद अडानी और यूएई, सिंगापुर और हांगकांग में संस्थाओं द्वारा निभाई गई भूमिका का भी प्रदर्शन किया, जिनका उपयोग धन और उत्पाद के आगे-पीछे के आवागमन को सुविधाजनक बनाने के लिए किया गया था. अडानी, विनोद अडानी से जुड़ी संस्थाओं के साथ हुए सभी लेन-देन की व्याख्या कैसे करता है ?
  74. वर्ष 2011 में, कर्नाटक राज्य के लिए संसदीय लोकपाल ने 466 पन्नों की एक रिपोर्ट जारी की जिसमें अडानी को लौह अयस्क के अवैध आयात से जुड़े 600 अरब रुपये की योजना की सुविधा में सरकार के स्तर, जांच और इन निष्कर्षों के हिस्से के रूप में पेश किए गए व्यापक सबूतों पर अडानी की प्रतिक्रिया क्या है ?
  75. वर्ष 2014 में, डीआरआई ने एक बार फिर अडानी पर विनोद अडानी द्वारा नियंत्रित मध्यस्थ यूएई-आधारित शेल संस्थाओं का उपयोग बिजली उपकरणों के ओवर-इनवॉइसिंग के माध्यम से करने का आरोप लगाया. इस मामले में क्या अडानी ने बिजली उपकरण ख़रीदने के लिए इलेक्ट्रोजेन इंफ़्रा एफजेडई जैसी यूएई स्थित संस्थाओं को इनवॉइस किया था ? यदि हां, तो क्यों ?
  76. क्या उपकरण के लिए मूल खरीद मूल्य से कोई मार्कअप था ? विनोद अडानी से जुड़ी संस्थाओं ने कौन-सी सेवाएं प्रदान की जो एक मार्कअप को उचित ठहराती ?
  77. उसी डीआरआई जांच में पाया गया कि विनोद अडानी की मध्यस्थ संस्था ने मॉरीशस में एक निजी स्वामित्व वाली अडानी संस्था को ~$900 मिलियन भेजे. इन लेन-देन के लिए स्पष्टीकरण क्या है ?
  78. मॉरीशस में एक निजी अडानी इकाई को भेजे जाने के बाद इन लेन-देन का पैसा कहां गया ?
  79. डीआरआई जांच में विनोद अदानी मध्यस्थ इकाई के माध्यम से कई अन्य लेन-देन भी दर्ज किए गए, जिनकी आगे जांचकर्ताओं द्वारा जांच नहीं की गई थी. इन अन्य लेन-देन के लिए अडानी की व्याख्या क्या है ?
  80. एक अन्य घोटाले में, अडानी पर दुबई, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर और बीवीआई में शेल संस्थाओं के माध्यम से कोयले के आयात को अधिक महत्व देने का आरोप लगाया गया था. क्या अडानी ने इन न्यायालयों में संस्थाओं के साथ लेन-देन किया था ? यदि हां, तो कौन-कौन से हैं और क्यों ?
  81. वर्ष 2019 में, सिंगापुर की इकाई पैन एशिया कोल ट्रेडिंग ने अडानी समूह द्वारा मंगाई गई कोयला आपूर्ति निविदा जीती. पैन एशिया कोल ट्रेडिंग की वेबसाइट अपने कोयला व्यापार अनुभव पर कोई विवरण प्रदान नहीं करती है, न ही यह कंपनी से जुड़े किसी एक व्यक्ति का नाम लेती है. अडानी समूह ने कोयले की आपूर्ति के लिए इतनी छोटी फर्म का चयन क्यों किया ? इसके चयन के लिए कौन-सी उचित प्रक्रिया अपनाई गई ?
  82. कॉर्पोरेट रिकॉर्ड बताते हैं कि अडानी समूह की कंपनी के पूर्व निदेशक पैन एशिया के निदेशक और शेयरधारक थे. अडानी समूह ने लेन-देन में हितों के संभावित टकराव का खुलासा क्यों नहीं किया ?
  83. उसी वर्ष 2019 में कोयला सौदा हासिल करने के बाद, पैन एशिया कोल ट्रेडिंग ने सिंगापुर के कॉर्पोरेट रिकॉर्ड के अनुसार, अडानी समूह की एक निजी इकाई को 30 मिलियन अमेरिकी डॉलर उधार दिए. अडानी परिवार की एक निजी कंपनी ने सिंगापुर में एक छोटी एकल शेयर धारक इकाई से उसी समय पैसा क्यों लिया जब उसकी सूचीबद्ध कंपनी उसे कोयला आपूर्ति का सौदा दे रही थी ?
  84. साक्षात्कारों में, गौतम अडानी ने कहा है ‘मेरा आलोचना के प्रति बहुत खुला दिमाग है.’ इसे देखते हुए, अडानी कर चोरी के आरोपों पर अपने लेखों के बाद अडानी ने आलोचनात्मक पत्रकार परंजय गुहा ठाकुरता को जेल में डालने की मांग क्यों की ?
  85. उसी इंटरव्यू में गौतम अडानी ने कहा था, ‘हर आलोचना मुझे खुद को बेहतर बनाने का मौका देती है.’ इसे देखते हुए, 2021 में, अडानी ने अडानी के आलोचनात्मक वीडियो बनाने वाले यू ट्यूबर पर कोर्ट गैग ऑर्डर की मांग क्यों की ?
  86. उसी साक्षात्कार में, गौतम अडानी ने कहा ‘मैं हमेशा आत्मनिरीक्षण करता हूं और दूसरों के दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करता हूं.’ इसे देखते हुए, अडानी समूह ने पत्रकारों और एक्टिविस्टों के खिलाफ कानूनी मुकदमे क्यों दायर किए हैं, जिसकी मीडिया वॉचडॉग ने निंदा की है ?
  87. निजी जांचकर्ताओं द्वारा ऑस्ट्रेलिया में एक कार्यकर्ता का पीछा क्यों किया गया ? अगर अडानी समूह के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो उसे अपने छोटे से छोटे आलोचक के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई करने की आवश्यकता क्यों महसूस होती है ?
  88. क्या अडानी समूह वास्तव में खुद को एक मजबूत कॉर्पोरेट प्रशासन वाले संगठन के रूप में देखता है जो अपने नारे ‘अच्छाई के साथ विकास’ को मूर्त रूप देता है ?

ए. के. ब्राईट लिखते हैं – ईडी सीबीआई जैसी जांच एजेंसियां केवल विरोधियों को ब्लैकमेल करने भर के लिए हैं. बीजेपी से पूर्ववर्ती सरकारें भी इन एजेंसियों का इस्तेमाल इसी रूप में करती रही हैं. विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत को विश्वसनीय जांच के इनपुट के लिए पश्चिमी देशों की जांच प्रणाली का मुरीद होना पड़ रहा है. कुछ साल पहले विकीलीक्स ने भी हिंडनबर्ग स्टाइल में कुछ ऐसा ही वैश्विक कारोबारी भंडाफोड़ करके बेतहाशा वाहवाही लूटी थी, उसी वाहवाही के शोर में विकीलीक्स के कई जाने माने खोजी सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया और अभी तक जेलों में हैं.

वैसे तो भारतीय जांच एजेंसियां रोज कुछ न कुछ ऐसा भंडाफोड़ करते रहते हैं, जो लगभग अस्सी फीसदी, सत्तासीन राजनीतिक पार्टियों के एजेंडे को आगे बढ़ाना की मंशा के बदरूप होते हैं. वहीं भारत में आदिवासी समुदायों को जल जंगल के उनके जीवनदायी अधिकारों से मुहाल करने के लिए, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित करने के लिए व अवामी पत्रकारों को जेलों में सड़ते रहने के लिए जांच एजेंसियां सक्रिय तौर पर बखूबी सत्तासीन पार्टियों को खुश करते रहते हैं.

यह वही देश है जहां बुद्धिजीवियों व जनसरोकारी मुद्दों को उठाने वाले ईमानदार सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल से जमानत न होने देने के लिए रात के बारह बजे से लेकर छुट्टी के दिन भी कानूनी इंसाफ को थोपने के लिए मी-लार्ड दौड़े-दौड़े अदालतों की दीवारों को फांदते हुए अपने फरमानी कुर्सियों पर धंसने के लिए आमादा रहते हैं. और अब जब अडाणी अपने काले साम्राज्य को देशभक्ति कहने पर तुला हुआ है तब जांच एजेंसियों से लेकर कोर्ट कचहरियों में सन्नाटापन पसरा हुआ है. और अपने देश के सभी लोकतंत्रवादी पार्टियों से लेकर सभी वामपंथी पार्टियां भी ऐसे ही पूंजी-दीमकों से चट कर चुके लोकतंत्र को बचाने की फ़िक्र में अनशन लिए हुए हैं.

अमरीकी मीडिया के अनुसार अडाणी के पास अपना पक्ष मजबूत करने के लिए फिलहाल एक महीने का समय है. अडाणी को अमरीकी जांच एजेंसियों को सार्थक मदद करनी है वरना अडाणी के पुरे कुनबे को धर दबोचने के लिए इंटरपोल को एलर्ट मोड में रख दिया गया है. अडाणी अपने इंडियन लोगों के लिए होगा तीसमार खां, पश्चिमी देशों के लिए अडाणी, महज एक सरगना साबित होने जा रहा है.

बहरहाल, पूंजीवाद विक्षिप्त विक्षोभों से भरा होता है उसके ऐसे बार बार होते रहते दुहरावों में ही किसी रोज उसके वेंटीलेटरों को उससे बुरी तरह छुड़ा लिया जायेगा. इतिहास गवाह है समाजवादी क्रांतियों की पूर्व बेलाओं के मद्देनजर साम्राज्यवादी खेमे में दिलचस्प भगदड़ मची रहती है.

Read Also –

हिंडनबर्ग रिपोर्ट : अडानी के गोरखधंधा की भेंट चढ़ी LIC, सरकार मौन
हिंडनबर्ग : अडानी जैसे मानव निर्मित आपदाओं को एक्सपोज करना लक्ष्य
हिन्डेनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट : 2014 का इतिहास दोहराया जाएगा ? 

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…