Home गेस्ट ब्लॉग इस चुनाव परिणाम ने भाजपा का पर कतर दिया

इस चुनाव परिणाम ने भाजपा का पर कतर दिया

4 second read
0
0
182
इस चुनाव परिणाम ने भाजपा का पर कतर दिया
इस चुनाव परिणाम ने भाजपा का पर कतर दिया
हेमन्त कुमार झा, एसोसिएट प्रोफेसर, पाटलीपुत्र विश्वविद्यालय, पटना

माहौल तो बदल रहा है. इन बदलावों को देखना है तो भाजपा की घटती लोकसभा सीटों में ही नहीं, सिटीजन जर्नलिज्म की बढ़ती व्यूअरशिप में भी देखिए. सोशल मीडिया में प्रोग्रेसिव लोगों की टिप्पणियों पर लोगों के उमड़ते रेले में भी देखिए. फेसबुक में उन लेखकों की पोस्ट खोजते लोगों की व्यग्रता में देखिए जिनकी रीच खुद फेसबुक पता नहीं किन दबावों में प्रतिबंधित कर चुका है.

ये कौन लोग हैं जो लकीर पीटते लोगों से अलग दिख रहे हैं और जिनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है ? ये कौन लोग हैं जो ध्रुव राठी, रवीश कुमार, अजीत अंजुम, अभिसार शर्मा, सत्य हिन्दी आदि की व्यूअरशिप को कई मिलियन तक पहुंचा दे रहे हैं ? ये कौन लोग हैं जिनके बीच कॉर्पोरेट नेशनलिज्म को लेकर पहले गहरे संदेह उभरने शुरू हुए और अब यह संदेह लोकतांत्रिक विरोध की शक्ल अख्तियार कर रहा है ?

ये वे लोग हैं जिनके कंधों पर चल कर राजनीतिक बदलाव आएगा. ये वे लोग हैं जिनकी सशक्त होती चेतना संभावित राजनीतिक बदलावों को जनोन्मुखी राह पर ले जाने को प्रेरित करेगी. सीएसडीएस के सर्वे में यूपी में नरेंद्र मोदी से अधिक लोकप्रियता राहुल गांधी की बताई गई है. क्या यह महज साल दो साल पहले ही कल्पना भी की जा सकती थी ?

जिसे पप्पू साबित करने में, कहने कहलवाने में अरबों रुपए खर्च कर दिए गए, वह भारत की राजनीतिक हृदस्यस्थली में ही महामानव से अधिक जनप्रिय साबित हो रहा है. यह उस बदलाव का बहुत बड़ा संकेत है जो भारत को भी बदलेगा. सपा को यूपी में भाजपा से अधिक सीटें मिलीं, क्या महीने भर पहले कोई उम्मीद भी कर पा रहा था इस संभावना पर ? दरअसल, महीने डेढ़ महीने पहले ही इन बदलावों की हवा में तीव्रता आने लगी थी. लग रहा था कि कुछ बड़ा होने वाला है.

बिहार में एनडीए को अधिक क्षति नहीं हुई लेकिन तीन में दो सीटें जीत कर भाकपा माले ने क्षितिज के बदलते रंग का संकेत तो दे ही दिया. तेजस्वी यादव को अधिक सीटें नहीं मिली लेकिन कांटेदार मुकाबलों में कई जगहों पर राजद प्रबल प्रतिद्वंद्वी साबित हुआ और यह चेतावनी भी छोड़ गया कि आने वाला समय किसी के लिए आसान नहीं रहने वाला है.

ऐसा नहीं है कि कांग्रेस की राजनीति को लेकर संशय नहीं है या फिर सपा और राजद आदि की नीतियों को लेकर मतभेद नहीं हैं. लेकिन, बात यहां मोदी के नेतृत्व में भाजपा के पर कतरने की थी.

सच में, मोदी जी बहुत अधिक उड़ने लगे थे. यहां तक कि खुद को डायरेक्ट परमात्मा द्वारा भेजे जाने की बातें करने लगें थे. उनकी पार्टी के छुटभैये नेता भी उड़ते ही उड़ते नजर आते थे. बड़ी बड़ी बातें, जो लफ्फाजियों को भी पीछे छोड़ दे रही थी. उनके पर कतर दिए गए. अब वे उड़ नहीं सकते, जमीन पर ही चलेंगे.

इसी लोकसभा में 240 को 272 करने के लिए अनैतिक रास्तों पर वे जा सकते हैं, वहां तक पहुंच भी सकते हैं, उनके लिए राजनीतिक तोड़ फोड़ कोई नई बात नहीं लेकिन तब भी, वे जीत कर भी हार जाएंगे. लोग इंतजार में हैं उन्हें अपनी नजरों में और गिराने के लिए. अपनी हरकतों से वे बाज नहीं आए तो नजरों से और गिरेंगे. अगले आम चुनाव में उनकी मिट्टी और पलीद होगी.

किसी व्यक्ति के जीवन में दस पंद्रह साल का बहुत महत्व है लेकिन किसी देश के जीवन में ये दस पंद्रह साल तो एकाध पन्नों में ही सिमट जाने की चीज हैं.

आज से सौ साल बाद जब इस देश का इतिहास पढ़ेंगे लोग तो उसमें लिखा होगा कि 21वीं सदी के दूसरे तीसरे दशक में एक दौर आया जब राजनीति के केंद्र में लफ्फाजी आ गई थी, आस्था राजनीति के लिए खिलौना बना दी गई थी और इन सबकी आड़ में कॉर्पोरेट ने तमाम हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, खदानें, हाइवे, बंदरगाह आदि हड़प लिए थे.

लोग पढ़ेंगे सौ साल बाद कि किसी मंदिर के निर्माण को राष्ट्र के नव निर्माण, संस्कृति के नए अध्याय के रूप में प्रचारित करने की कोशिशों को निर्धन लोगों ने अपने वोट की चोट से विफल कर दिया था और देश को किसी अंधेरे गड्ढे में गिरने से बचा लिया था.

2029 में पूर्ण विराम लग सकता है. तब तक नरेंद्र मोदी और अमित शाह का नेतृत्व भाजपा को इतना लांछित कर चुका रहेगा कि उसे फिर से उठ खड़ा होने में दशकों लग जाएंगे. और, जब भाजपा फिर से खड़ी होगी तो उसे मोदी-शाह के दौर से सीख लेनी होगी कि और चाहे जो करो, अपनी राजनीतिक मीनारें लफ्फाजियों के सहारे तो खड़ी नहीं ही करो. इसकी नींव बेहद खोखली होती है.

ठीक है कि मोदी ने दस बारह पंद्रह साल देश का नेतृत्व कर लिया, ठीक है कि शाह ने इतने ही बरस अपनी ठसक दिखा ली, लेकिन उनका दौर उनकी पार्टी के भविष्य के लिए एक उदाहरण माना जाएगा कि और चाहे जो करो, उनकी राह तो बिलकुल न चलो.

अब भाजपा को भी बदलना होगा. मंदिर अध्याय ने बरास्ते हिंदुत्व भाजपा को राजनीतिक पाथेय दिया, उसे देश की मुख्यधारा की राजनीति में स्थापित किया लेकिन अब यह गुब्बारा फूट चुका है और फूटे हुए गुब्बारे फिर से नहीं फूलते. भाजपा को अगर प्रासंगिक रहना है तो अब नई भाजपा बनना होगा.

उसे रवीश कुमारों और अजीत अंजुमों को सुनना होगा कि वे क्या कह रहे हैं, उसे सोशल मीडिया के अन्य मंचों को खंगालना होगा कि लोग दरअसल चाहते क्या हैं, उसे उन पचासी करोड़ लोगों की आकांक्षाओं से जुड़ना होगा जिनकी चेतना को महज पांच किलो अनाज दे कर बंधक बना लेने की खुशफहमी में वह जीती रही.

चुनौतियां राहुल, अखिलेश आदि के सामने भी हैं जिन्हें वोट तो मिले और इस कारण उनकी पार्टी के घड़ियालों ने दम साधे रखा, लेकिन जब वे मुख्यधारा में आएंगे तो ये घड़ियाल उनकी राजनीति को भोथरी करने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे. किनारे से लहर गिनना आसान है, लहरों की सवारी बेहद कठिन है.

आखिर, यह कांग्रेस ही है जिसने देश में नवउदारवाद की राजनीति को बेतरह और बेतरतीब तरीके से बढ़ावा दिया. जब राहुल केंद्र में होंगे तब देखना दिलचस्प होगा कि राष्ट्रीय संसाधनों और सरकारी बैंकों की राशियों को हड़पने वाले अति शक्तिशाली कॉर्पोरेट घरानों से वे कैसे निपटते पाते हैं, दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाले देश में बेरोजगारी से कैसे निपट पाते हैं.

बदलाव तो नजर आ रहे हैं लोगों की आकांक्षाओं में. ये आकांक्षाएं अब व्यग्रताओं में बदलती जा रही हैं. ये व्यग्रताएं मोदी शाह की राजनीति को तो अब लील जाएंगी क्योंकि उनकी राजनीति में इनके सामना की ताब और समाधान का हुनर है ही नहीं. चुनौती राहुल, अखिलेश और तेजस्वी जैसों के सामने आने वाली है. इतिहास उनकी प्रतीक्षा कर रहा है.

Read Also –

अरुंधति रॉय पर यूएपीए : हार से बौखलाया आरएसएस-भाजपा पूरी ताकत से जनवादी लेखकों-पत्रकारों पर टुट पड़ा है
RSS पर जब भी खतरा मंडराता है, लेफ्ट-लिबरल और सोशिलिस्ट उसे बचाने आ जाते हैं
चुनाव नतीजों ने तानाशाही की ओर प्रवृत्त मोदी के चेहरे पर एक झन्नाटेदार तमाचा जड़ा है
बिना ज़िम्मेदारी के विश्वसनीयता : हार की जीत

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
G-Pay
G-Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

निर्माणाधीन पुल से गिरी कार मामले में अपनी नाकामी का ठीकरा सरकार ने फोड़ा गूगल मैप्स पर

बदायूं में एक दर्दनाक हादसा हुआ है, जहां एक कार निर्माणाधीन पुल से रामगंगा नदी में गिर गई,…