‘जय भीम’ देखकर
क्या समझोगे साहब ?
हम मुसलमान हैं !
हम अल्ताफ हैं !
हम रोज़ झेलते हैं !
हम कासगंज एटा में
आपकी नफ़रत के चलते चुनी व्यवस्था का
दंश झेल रहे हैं.
एक दिन ये राक्षस
आपके दरवाज़े पर भी नाचेगा !
तब बात करेंगे !
- फरीदी अल हसन तनवीर
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