हेमन्त मालवीय
नव नियुक्त प्रधानमंत्री को पुराने प्रधानमंत्री ने जाते-जाते अपने झोले से निकालकर तीन बन्द लिफाफे दिये, जिन पर क्रमशः 1, 2, 3 की गिनती लिखी थी, और कहा कि ‘जब कभी भी तुम्हें कोई बड़ी समस्या ही आ जाए और हल न सूझे तो ये 1 नंबर का लिफाफा खोलना, जब कभी दूसरी बड़ी समस्या आ जाए तो ये 2 नंबर का लिफाफा खोलना और जब कभी तुम्हें तीसरी बड़ी समस्या आ जाए तो ये 3 नंबर का लिफाफा खोलना.’ नव नियुक्त प्रधानमंत्री ने खुश होकर हामी भरी और तीनों लिफाफों को संभाल कर रख लिया.
पहले कार्यकाल के 4 साल जुमलों से जनता को बहलाने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री के पहले कार्यकाल की तरह ही वर्तमान प्रधानमंत्री पर अपने वादे पूरे न करने, महंगाई कम बेरोजगारी खत्म न करने पे जनता ने विपक्षी दल के साथ बड़ा आंदोलन खड़ा कर लिया. वर्तमान प्रधानमंत्री के चुनाव हारने की नौबत आ गई. प्रधानमंत्री को कुछ सूझा नहीं कि अब क्या जवाब दें…?
तभी उसे याद आया और उसने पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा दिया लिफाफा नंबर 1 खोला. अंदर जो पत्र निकला उस पर लिखा था, ‘जनता को आपस में लड़वाकर, पड़ोसी देश से मिल जुल कर आपस में आतंकी हमले करवा कर देश संकट का माहौल बना कर जवाबी हमला करारा जवाब दिया. अब सीमाएं सुरक्षित है का ड्रामा कर के सारा दोष पुराने प्रधानमंत्रियों के माथे डाल दो कि ऐसा वीरता का काम उन्होनें तो 70 साल में किया ही नहीं, मैंने किया.’
‘अतः वह सब नये सिरे से ठीक कर रहा है. वो जनता के अच्छे दिन लाकर रहेगा. समस्याओं को खत्म कर सबका साथ सबका विकास सबकी आय दुगनी कर देगा. वह बेहद ईमानदार इंसान हैं, मुद्रा बंदी कर रहा है, कर वसूली करेगा … नए कानून से हालत बेहतर से बेहतर हो जाएंगे, टेक्स कम होगा, जनता उसे 5 साल और दे दे.’
प्रधानमंत्री ने वैसा ही किया और समस्या टल गई. प्रधानमंत्री और उसका दल भारी बहुमत से फिर सत्ता में आ गया.
नए कार्यकाल के 2 साल बीते जनता की स्थिति सुधरने की अपेक्षा पहले से अत्यधिक ख़राब हो गई. फिर वैसा ही गुस्सा जनता में पैदा हुआ. साल दर साल बीत रहे हैं, वादे पूरे नहीं हो रहे हैं. आधी करने के वादे के उल्टे महंगाई बेरोजगारी दुगनी हो रही है, क्यों न उसे भी पिछले की तरह हटा दिया जाए. घबराकर प्रधानमंत्री ने लिफाफा नंबर 2 खोला.
उसमें लिखा था, ‘और नए कानून बनाओ. 18-18 घण्टे काम का ड्रामा करो. देश विदेश डंका बजाने के लिए इवेन्ट मैनेजरों को हायर करो और फिर भी मंत्रिमंडल, नौकरशाही बराबर काम नहीं करता तो कुछ को हटाओ, कुछ को ट्रान्सफर करो, दिखावा करो कि जनता की तकलीफों के मद्देनजर उसके प्रशासन में कानून कायदों में भारी परिवर्तन किया जा रहा है…’.
मीडिया में बेतहाशा विज्ञापन जारी किये गए कि जन कल्याण के लिए यह प्रधानमंत्री बेहद गम्भीर है. पुरानों से बिल्कुल अलग है, संकट काल नही यह अमृत काल चल रहा है, समुद्र मंथन होगा तो जनता को थोड़ा-सा कष्ट तो होगा ही. जनता धैर्य रखें. अबकी अच्छे दिन आकर ही रहेंगे, प्रधानमंत्री ने वैसा ही किया और मुसीबत फिर टल गई.
कुछ वर्ष और बीते दूसरा कार्यकाल ख़त्म होने की अंतिम घड़ियां आ पहुंची. फिर से जनता में कोई आर्थिक सुधार स्थिति परिवर्तन नहीं होने महंगाई, बेरोजगारी, कीमते जो आधी करने के बदले चार गुनी होने पे जनता में भारी नाराजगी फैलने लगी है. अंततः गुप्तचर विभाग ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया कि जनता अबकी तो बहुत ही नाराज हैं. प्रधानमंत्री की कोई जुमलेबाजी साम, दाम, दण्ड, भेद, फुट डालो राज करो, नीति भी उसे किसी भी हालत में बचा नही पाएगी, वो झोला उठाने की तैयारी कर ले. जनता भले ही पुराने को फिर चुन लें, पर अबकी तीसरा कार्यकाल किसी भी हालत में उसे नही चुनेगी.
प्रधानमंत्री को तीसरे लिफाफे की याद आई, उसने लिफाफा नंबर 3 खोला. उसमें लिखा था – ‘पिछले 75 साल से यही परम्परा थी. मगर तुम तो नसीबवाले हो, तुमको अगले प्रधानमंत्री के लिए ऐसे ही तीन लिफाफे बना झोला उठा कर निकलने की जरूरत नही है. अब तो वाट्सप पे अंधभक्त और चुनावो में EVM सेट कर लो और आजीवन राज करो !’
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