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भारत का नया राष्ट्रीय प्रतीक है – बुलडोजर

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भारत का नया राष्ट्रीय प्रतीक है - बुलडोजर

विष्णु नागर

भारत का नया राष्ट्रीय प्रतीक है – बुलडोजर. सुनते हैं कि देश को यह नया प्रतीक देने के लिए आजकल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ जी के पास दनादन धन्यवाद के फोन आ रहे हैं. वह मुस्कुराते हुए कहते हैं – ‘धन्यवाद आपका मगर सारा श्रेय खुद ले सकूं, इसका समय अभी आया नहीं है. जल्दी आएगा. अभी तुम अमित शाह को भी श्रेय दे दो. वह खुश हो जाएगा. मोदी जी को भी दे दो.’ उधर अमित शाह जी कहते हैं कि ‘ना भैया ना, मैं प्रयत्न करता हूं, श्रेय मोदी जी को देता हूं, बाकी सब खुद धर लेता हूं.’

मोदी जी कहते हैं कि ‘इस तरह फोन करने से काम नहीं चलेगा. धन्यवाद मोदी जी के पोस्टर देश के हर घर की हर दीवार पर लगने चाहिए. जो विरोध करे, उसे देशद्रोही घोषित कर, रासुका मेंं बंद करवा दो. गुजरात का है तो कोकराझार में केस दर्ज करो और तमिलनाडु का है तो जम्मू में केस दर्ज करो. दौड़ते-भागते उसकी तबियत हरी हो जाएगी. जेल में रहेगा तो हरी-पीली-नीली सब हो जाएगी. मेरे लिए देश पहले है. देशद्रोहियों से देश की सुरक्षा पहले है. रासुका पहले है. बाकी चीन का जहां तक सवाल है, उसे जहां कब्जा करना हो, करता रहे. जमीन के लिए पड़ोसी से क्या झगड़ना ! उससे बातचीत करेंगे, देश मेंं बुलडोजर चलाएंगे.’

कहते यह भी हैं कि खरगोन एक टेस्ट केस की तरह था कि बुलडोजर हिंदुत्व का राष्ट्रीय ब्रांड बन सकता है या नहीं ? साबित हुआ कि इसकी भरपूर संभावनाएं हैंं. 2024 इसी पर टिका है. दिल्ली की जहांगीरपुरी में दंगा इसीलिए करवाया गया. उसके बाद बुलडोजर चलवाए गए. इसका राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो संदेश गया, उससे नेतृत्व खुश है. धर्म-विशेष के लोगो तक यह संदेश भी अच्छी तरह पहुंच गया है कि तुम्हारे अच्छे दिन आ रहे हैं. अब तुम्हारे बुरे दिन कभी नहीं आनेवाले.

अभी अच्छे दिन का ट्रेलर चल रहा है. फिल्म की शूटिंग अभी हो रही है. इस बार फिल्म रिलीज होने पर हमारी पार्टी इसका मुफ्त टिकट तुम्हें देकर अपनी धर्मनिरपेक्षता का परिचय देगी. वैसे हिन्दूवादी बुलडोजर स्वभाव से धर्मनिरपेक्ष ही होता है. यह तुम पर तो चलेगा ही चलेगा मगर जो हमारे धुर विरोधी हैं, वे भले हिंदू हों या मुसलमान उन पर भी इतने ही प्रेमपूर्वक चलेगा और जो हमारी पार्टी छोड़कर गये हैं उन पर भी. जो विपक्षी अपनी सरकार गिराने में बाधक बन रहे हैं, उन पर भी. ईमानदार अफसरों के निजी घरों पर भी. देश में उपलब्ध सभी बुलडोजरों को हम व्यस्त रखेंगे. इस धंधे का अब अभूतपूर्व विकास होगा. देश का भविष्य उज्ज्वल से उज्ज्वलतर होगा. मोदी जी को धन्यवाद मिलता रहेगा.

दिल्ली में बुलडोजर की व्यापक सफलता के बाद एक सबक भाजपा को यह भी मिला है कि सुप्रीम कोर्ट, हाइकोर्ट की परवाह करने की खास जरूरत नहीं. पहले मिशन बुलडोजर पूरा होगा, फिर आदेश का पालन भी होगा. हर जगह वृंदा करात होती नहीं, इसलिए अदालती आदेश आए कि रोको तो रोकना मत. पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही हमारा हाइकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट है. उसका आदेश ईश्वर का आदेश है. जज ईश्वर से ऊपर नहीं होते ! ईश्वर के आगे तो वे भी नमन करते हैं.

पार्टी के अंदर एक मांग अब यह भी उठने लगी है कि मोदी जी को इस विषय पर अपना मौन तोड़ना चाहिए. संकेत में नहीं, साफ साफ बोलना चाहिए. कम से कम यह तो कहना चाहिए कि भाइयों-बहनों, न तो कहीं बुलडोजर चला था, न चल रहा है, न चलेगा. दृष्टिदोष के कारण लोग कमल के फूल को बुलडोजर समझ रहे हैं. हमारा संकल्प है कि हम हर उस बस्ती में जहां गरीब और धर्मविशेष के लोग रहते हैं, उनका परिचय कमल के इस विशेष फूल की शक्ति से करवाएंगे.

अभी तक कमल के बारे में यह धारणा है कि यह सुंदर सा और कोमल सा फूल होता है. इस कारण इसे हिन्दुओं की कमजोरी समझा जा रहा था. हमने साबित करके दिखा दिया है कि वह वज्र समान कठोर भी होता है. वह बुलडोजर-सा भी होता है. वह मिनटों में घरों और दुकानों को ढहाने में प्रवीण भी होता है. उसका हमने सशक्तिकरण किया है. या तो हमारे लोग जो चाहें, जहां चाहें, जब चाहें, करने दो, नारे लगाने दो, लाउडस्पीकर बजाने दो, झंडा फहराने दो वरना कमल ब्रांड बुलडोजर अपना कमाल दिखाएगा. याद रखना इसकी फैक्ट्री गुजरात में है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इस बुलडोजर पर बैठने का आनंद उठाकर प्रमुदित मन से दिल्ली आए थे.

बोरिस जॉनसन को फैक्ट्री का दौरा करवाने के बाद एक अफवाह यह चल निकली है कि भाजपा के अनेक शीर्ष नेता इस पक्ष में हैं कि समय के साथ पार्टी का नया नामकरण होना चाहिए. इसका नाम अब भारतीय बुलडोजर पार्टी (बीबीपी) होना चाहिए. कुछ की राय है कि नहीं, इसका वह लाभ नहीं मिलेगा, जो इसे पार्टी का चुनाव चिह्न बनाने से होगा. वैसे भी यह भाजपा का बुलडोजर युग है.

हिन्दूवादी जनता इस चुनाव चिह्न से अपने आप को तुरंत जोड़ेगी और मुसलमान इसे देख तुरंत डर जाएंगे. वोट देने तक नहीं आएंगे. वैसे भी कमल और मोदी, कमल और योगी का संबंध कुछ जमता नहीं. कहते हैं, पार्टी ने मोदी जी पर इसका अंतिम निर्णय छोड़ दिया है. मोदी जी ने इस बारे मे ट्रंप जी को फोन किया – ‘दादा, ये आइडिया कैसा रहेगा ? ‘दादा ने कहा  – ‘ग्रेट ! ये आइडिया तुमको आया कहाँ से ? बड़े इनोवेटिव हो ! मोदी जी ने कहा, ‘आप ही तो मेरे प्रेरणास्रोत हैं दादा.’

पुतिन जी को यूक्रेन में बुलडोजर-टैंक आदि का ताजा-ताजा अनुभव मिला है. उनसे अभी संपर्क नहीं हो पाया है. समझा जाता है कि उनकी स्वीकृति मिल गई तो पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक में निर्णय सुना दिया जाएगा. आरंभ में हर जिला इकाई को दो-दो बुलडोजर प्रदान किये जाएंगे. अगर संघ-भाजपा के कहने पर शासन मनचाही कार्रवाई नहीं करता है तो भाजपा, वीएचपी या बजरंग दल या स्थानीय सुविधा के अनुसार किसी अन्य हिन्दू संगठन के कार्यकर्ता दंगा करवाने के बाद अवैध निर्माण तोड़ने पहुंच जाएंगे. किसी भी कार्यकर्ता को खरोंच तक आई तो शासन सीधे तौर पर जिम्मेदार होगा. फिर हम जो भी करेंगे, वैध होगा. उसे किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी. जयश्री राम !

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