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इंटरनेट वस्तुतः कम्युनिकेशन की महानतम ऊंचाई है

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इंटरनेट वस्तुतः कम्युनिकेशन की महानतम ऊंचाई है
इंटरनेट वस्तुतः कम्युनिकेशन की महानतम ऊंचाई है

जगदीश्वर चतुर्वेदी

यह डिजायन का युग है. आप इन दिनों जो कुछ भी कम्युनिकेट करें उसमें डिजायन को माध्यम बनाएं. खासकर इंटरनेट या वर्चुअल तकनीक आने के बाद वर्चुअल डिजायन में किया गया कम्युनिकेशन आपके मन की सब बातें सम्प्रेषित करता है. डिजायन में किया गया कम्युनिकेशन आकर्षक और प्रभावी होता है.

‘ई’ साहित्य

‘ई’ साहित्य विकासशील साहित्य है. ‘ई’ साहित्य का किसी भी किस्म के साहित्य, मीडिया, रीडिंग आदत, संस्कृति आदि से बुनियादी अन्तर्विरोध नहीं है. ‘ई’ साहित्य और डिजिटल मीडिया प्रचलित मीडिया रूपों और आदतों को कई गुना बढ़ा देता है.

जिस तरह कलाओं में भाईचारा होता है, उसी तरह ‘ई’ साहित्य का अन्य पूर्ववर्ती साहित्यरूपों और आदतों के साथ बंधुत्व है. फर्क यह है कि ‘ई’ साहित्य डिजिटल में होता है. अन्य साहित्यरूप गैर-डिजिटल में हैं. डिजिटल कला वर्चस्वशाली कला है. वह अन्य कलारूपों और पढ़ने की आदतों के डिजिटलाईजेशन पर जोर देती है. अन्य रूपों को डिजिटल में रूपान्तरित होने के लिए मजबूर करती है, किंतु इससे कलारूपों को कोई क्षति नहीं पहुंचती.

यह भ्रम है कि ‘ई’ साहित्य और ‘ई’ मीडिया साहित्य के पूर्ववर्ती रूपों को नष्ट कर देता है, अप्रासंगिक बना देता है. वह सिर्फ कायाकल्प के लिए मजबूर जरूर करता है.

अमरीका में सबसे ज्यादा ‘ई’ कल्चर है और व्यक्तिगत तौर पर सबसे ज्यादा किताबें खरीदी जाती हैं. अमरीका में बिकने वाली किताबों की 95 फीसदी खरीद व्यक्तिगत है, मात्र पांच प्रतिशत किताबें पुस्तकालयों में खरीदी जाती हैं.

अमरीका में औसतन प्रत्येक पुस्तकालय सदस्य साल में दो किताबें लाइब्रेरी से जरूर लेता है. एक अनुमान के अनुसार पुस्तकालयों से किताब लाने और व्यक्तिगत तौर पर खरीदने का अनुपात एक ही जैसा है. यानी तकरीबन 95 प्रतिशत किताबें पुस्तकालयों से लाकर पढ़ी जाती हैं.

इसके विपरीत भारत में अमरीका की सकल आबादी के बराबर का शिक्षित मध्यवर्ग है और उसमें किताबों की व्यक्तिगत खरीद 25 फीसद ही है. बमुश्किल पच्चीस फीसद किताबें ही व्यक्तिगत तौर पर खरीदकर पढ़ी जाती हैं. पांच साल पहले किए सर्वे से पता चला है कि विश्वविद्यालयों के मात्र पांच प्रतिशत शिक्षक ही विश्वविद्यालय पुस्तकालय से किताब लेते हैं.

पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति के विकास में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा निर्मित ‘यूजीसी-इंफोनेट’ नामक ‘ई’ पत्रिकाओं के संकलन की महत्वपूर्ण भूमिका है. एक जमाना था जब जे.एन.यू. आदि बड़े संस्थानों के पास ही विदेशी पत्रिकाओं को मंगाने की क्षमता थी, आज स्थिति बदल गयी है. आज यू.जी.सी. के द्वारा संचालित इस बेव पत्रिका समूह का हिन्दुस्तान के सभी विश्वविद्यालय लाभ उठाने की स्थिति में हैं.

इस संकलन में साढ़े चार हजार से ज्यादा श्रेष्ठतम पत्रिकाएं संकलित हैं. मजेदार बात यह है कि इस संग्रह के बारे में अधिकतर शिक्षक जानते ही नहीं हैं. शि‍क्षि‍तों की अज्ञानता का जब यह आलम है तो आम छात्रों तक ज्ञान कैसे पहुंचेगा ? जरूरत इस बात की है कि‍ ‘ई’ साक्षरता और ‘ई’ लेखन को नौकरीपेशा शि‍क्षकों और वैज्ञानि‍कों के लि‍ए अनि‍वार्य बनाया जाना चाहि‍ए.

इंटरनेट युग में प्रेम का नया छंद

इंटरनेट पर प्रेम की अनुभूति के कौन कौन से रूप हो सकते हैं ? इंटरनेट में प्रेम का अर्थ है कि आप रोचक गतिविधियां करें. इससे मन को चैन मिलता है. मन अच्छा महसूस करता है. नेट पर जब आप अपनी बेहतर भावनाओं को व्यक्त करते हैं तो एक तरह से प्रेम का इजहार करते हैं.

यह जेण्डर फ्री प्रेम है. सबके साथ किया जाने वाला प्रेम है. यह प्रेम की ऐसी अभिव्यक्ति है जो अपरिचय को परिचय में बदलती है. परिचित के साथ प्रगाढ़ता पैदा करती है. प्रगाढ को पुख्ता संबंधों में बदलती है. सवाल उठता है इंटरनेट और उपग्रह कम्युनिकेशन आने के बाद सारी दुनिया में प्रेम में इजाफा हुई है या गिरावट आई है ?

कला और संचार के माध्यम हर चीज को कम्युनिकेशन में रूपान्तरित करते हैं. इंटरनेट भी यही करता है. यहां हर चीज कम्युनिकेशन है. यहां तक कि प्रेम भी कम्युनिकेशन है. कम्युनिकेशन से ज्यादा यहां किसी और रूप में देखेंगे तो मुश्किलें आ सकती हैं.

यह डिजायन का युग है. आप इन दिनों जो कुछ भी कम्युनिकेट करें उसमें डिजायन को माध्यम बनाएं. खासकर इंटरनेट या वर्चुअल तकनीक आने के बाद वर्चुअल डिजायन में किया गया कम्युनिकेशन आपके मन की सब बातें सम्प्रेषित करता है. डिजायन में किया गया कम्युनिकेशन आकर्षक और प्रभावी होता है.

इंटरनेट के फेसबुक, याहू मैसेंजर, गूगल आदि का रीयल टाइम कम्युनिकेशन मूलतः प्रेम की नई परिभाषा बना रहा है. सामान्य से छोटे से बाइटस यूजर को सुख देते हैं. सामान्य सी वर्चुअल भंगिमाएं और वर्चुअल प्रतीकों के जरिए किया गया सम्प्रेषण गागर में सागर भर देता है.

इंटरनेट वस्तुतः कम्युनिकेशन की महानतम ऊंचाई है. किसी भी युग में संचार के माध्यम हमेशा प्रेम में ही सर्वोच्च शिखरों का स्पर्श करते रहे हैं. यही वजह है कि इंटरनेट में प्रेम का संप्रेषण ही महान सम्प्रेषण है.

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ROHIT SHARMA

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