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सबसे ज्यादा गैरजरुरी और जनविरोधी कामों में लगी हुई है सरकार

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सबसे ज्यादा गैरजरुरी और जनविरोधी कामों में लगी हुई है सरकार
सबसे ज्यादा गैरजरुरी और जनविरोधी कामों में लगी हुई है सरकार
मुनेश त्यागी

हमारे देश में अमीर से अमीर बनते जा रहे लोगों पर और गरीब से गरीब बनते जा रहे लोगों पर, अमीरी और गरीबी को भुलाकर, सबसे ऊंची मूर्ति बनाकर, दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाकर, दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे मंहगा मंदिर बना कर, दुनिया के सबसे ज्यादा दीए जलाकर सरकार क्या दिखाना चाहती है ? ये सारे के सारे मुद्दे जनविरोधी, ज्ञान विरोधी और सुशासन विरोधी हैं. इनसे जनता का कोई कल्याण होने वाला नहीं है. इन सब जन विरोधी मुद्दों पर, जनविरोधी काम करके जनता का अरबों खरबों रुपए खर्च करके हमारी सरकार समाज, देश, दुनिया को क्या दिखाना चाहती है ?

सरकार की इन गतिविधियों से क्या हमारे देश के सबसे ज्यादा भूखों, गरीबों का पेट भर जाएगा ? क्या इस सबसे हमारे देश के दुनिया में सबसे ज्यादा अनपढ़ और निरक्षर, साक्षर बन जाएंगे ? क्या इस सबसे हमारे देश के दुनिया में सबसे ज्यादा कुपोषित लोगों का कुपोषण दूर हो जाएगा ? क्या इससे हमारे देश में दुनिया के सबसे ज्यादा बेरोजगारों को काम मिल जाएगा ?

क्या इससे हमारे देश में दुनिया में सबसे ज्यादा बीमार लोगों को स्वास्थ्य की सेवाएं उपलब्ध हो जाएंगी ? क्या इस सबसे हमारे देश के दुनिया में सबसे ज्यादा अन्याय पीड़ितों को सस्ता और सुलभ न्याय मिल जाएगा ? क्या इस सब से हमारे देश में कदम कदम पर फैला भ्रष्टाचार दूर हो जाएगा ? क्या इस सबसे हमारे देश में दुनिया में सबसे ज्यादा फैला प्रदूषण दूर हो जाएगा ? क्या इससे हमारे देश में भयंकर गति से बढ़ रहे अपराध दूर हो जाएंगे और रुक जाएंगे ?

क्या इस सबसे औरतों के साथ होने वाले अपराधों जैसे बलात्कार, छेड़छाड़, भ्रूण हत्या, दहेज हत्या, दुल्हन हत्या और दहेज की मांग की बीमारी पर रोक लग जाएगी ? क्या इस सबसे भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा गरीबों की गरीबी दूर हो जाएगी ? क्या इस सबसे भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा नफरती बोल बोलने वालों पर रोक लग जाएगी ? क्या इस सबसे भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा फैले अंधविश्वास, धर्मांधता, अज्ञानता और पाखंडों पर रोक लग कर भारत में ज्ञान विज्ञान और वैज्ञानिक संस्कृति का साम्राज्य कायम हो जाएगा ?

क्या अमीर हो रहे अमीर और गरीब हो रहे गरीबों पर कोई चर्चा हो रही है ? क्या इस सबसे भारत में दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ रही कमरतोड़ महंगाई पर रोक लगाकर कमजोर, गरीब और महंगाई से पीड़ित समस्त जनता को कोई राहत मिल जाएगी ? क्या प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री ने किसी सरकारी अस्पताल या सरकारी स्कूल या विद्यालय, महाविद्यालय विश्वविद्यालयों में या किसी अन्य शिक्षण संस्थानों पर दिए जलाए हैं ? ताकि लोगों के दिलों दिमाग में ज्ञान की ज्योति जले और हजारों साल के अंधेरे दिए बुझ जाएं और देश के गरीबों को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो जाएं और वह प्राइवेट अस्पतालों में लूटने से बच पाएं ?

आज की दुनिया में हमारे देश को सबसे ज्यादा जरूरत है कि वह भूखे गरीबों को भरपेट खाना दे, सबको मुफ्त और आधुनिक शिक्षा दें, भारत में करोड़ों गरीब, भूखे और कुपोषण के शिकार लोगों को भोजन दें, करोड़ों करोड़ बेरोजगारों को रोजगार दें, इस देश के गरीब लोगों को, इस देश के सब लोगों को सस्ती, सुलभ और आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएं, 5 करोड़ मुकदमों के खड़े पहाड़ को गिराने के लिए समुचित उपाय करें.

उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि वे भ्रष्टाचार से पीड़ित पूरी व्यवस्था को बदलें, शहर शहर में पसर रहे प्रदूषण पर रोक लगाएं, प्राइवेट व्हीकल्स पर रोक लगाकर, आधुनिक सरकारी वाहन व्यवस्था का इंतजाम करें, हमारे देश में फलफूल रहे तरह तरह के अपराधों पर, बलात्कारों पर, महिला छेड़छाड़ पर, दहेज हत्या पर, दहेज की मांग की बढ़ती महामारी पर, समुचित रोक लगाए.

आज हमारे देश को ऐसी नीतियों की जरूरत है कि जो अमीरी और गरीबी का भेद दूर करें, सुपर रिच पर टैक्स लगाएं, गरीब जनता को टैक्स में राहत दें, किसानों की फसलों का वाजिब दाम दें, मजदूरों को न्यूनतम वेतन दें और समाज में नफरती भाषण देकर जनता की एकता तोड़ने वालों और गंगा जमुनी तहजीब की सभ्यता और संस्कृति को तोड़ने वालों और संविधान और कानून के शासन को रौंदने वालों, नफरती भाषण बोलने वालों को तुरंत सख्त से सख्त सजा दें.

और हमारे समाज में हजारों साल से फैले अंधविश्वास, धर्मांधता, अज्ञानता और पाखंडों के साम्राज्य को खत्म करके, पूरे देश में ज्ञान विज्ञान और वैज्ञानिक संस्कृति का प्रचार प्रसार करें और पूरे देश में ज्ञान विज्ञान और वैज्ञानिक संस्कृति का साम्राज्य खड़ा करें. मगर सरकार ऐसा न करके वह सब काम कर रही है जिससे जनता का कोई हित होने वाला नहीं है, उसे कोई रोजगार मिलने वाला नहीं है, उसे सस्ती दवाई मिलने वाली नहीं है. उसका स्वास्थ्य ठीक होने वाला नहीं है.

उसकी गरीबी दूर होने वाली नहीं है, उसे रोजगार मिलने वाला नहीं है, समाज में आकंठ फैले भ्रष्टाचार पर कोई रोक नहीं लगेगी. समाज में व्याप्त अन्याय का कोई खात्मा नहीं होगा. अतः देश हित में, समाज हित में और मानवता के हित में भारत की केंद्र सरकार और राज्य सरकारी खर्च पर दीये न जलाकर, मूर्ति न बनाकर, मंदिर मस्जिद न बनाकर, जनता के कल्याण के मुद्दों को पर ध्यान दें और उनकी समस्याओं को दूर करें. वर्तमान सरकार का यही सबसे जरूरी काम है. शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ सार्वजनिक निर्माण जैसे काम करके ही सबका विकास संभव है.

नफरती भाषणों के खिलाफ कार्यवाही करना शासन प्रशासन की जिम्मेदारी है

हम पिछले काफी समय से भारत में नफरती भाषणों में आई बाढ़ देख रहे हैं. कोई साधु सन्यासी हो, साम्प्रदायिक ताकतों का कोई पदाधिकारी हो, कोई सांसद हो, हिंदू मुस्लिम एकता को तोड़ रहे हैं, गंगा जमुनी तहजीब को मिट्टी में मिला रहे हैं और यह नफरती अभियान जानबूझकर, एक साजिश के तहत चलाया जा रहा है.
इससे समाज में हिंदू मुसलमान का बंटवारा होता है, हिंदुओं में मुसलमानों के खिलाफ नफरत का जहर फैलाया जाता है और फिर यह जहर वोट के रूप में निकलता है, जिससे नफरती भाषाओं का प्रयोग करने वाले सामाजिक राजनीतिक संगठनों को संसद, विधायक और दुसरे पदाधिकारी बनने में मदद मिलती है और इसी साजिश के तहत यह क्रम पिछले काफी समय से जारी है.

भारत की बहुत सारी संस्थाएं पिछले काफी समय से नफरती भाषणों के खिलाफ आवाज उठाती आ रही हैं, इनके खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं, इनका विरोध कर रही हैं और कुछ लोगों ने तो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में इनके खिलाफ मुकदमे भी दायर कर दिए हैं और बहुत सारे लेखक, कवि बुद्धिजीवी अपने लेखों में, अपनी कविताओं में, अपने भाषणों में, अपनी कहानियों में और अपने नाटकों में इनके खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं और इनके खिलाफ जनता को जागृत करते रहे हैं.

जनता में इस मुहिम का फायदा होता हुआ दिख रहा है. इन नफरती भाषणों का विरोध करने वाले लोग शुरू से ही मांग करते चले आ रहे हैं कि इन नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ तुरंत कानूनी कार्यवाही की जाए, इन्हें जेल में भेजा जाए और इनके खिलाफ दूसरी उचित कार्रवाई की जाएं. लगता है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने नफरती बोल बोलने वालों के खिलाफ, आवाज उठाने वालों की, आवाज सुन ली है.

अब सुप्रीम कोर्ट ने शासन प्रशासन और पुलिस के जिम्मेदार अधिकारियों से कहा है कि नफरती भाषण देने वालों को गिरफ्तार करो और अगर इनके खिलाफ कोई शिकायत भी नहीं की गई है तो भी पुलिस प्रशासन को इनके खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए और इन्हें गिरफ्तार करके जेल में भेज देना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शासन-प्रशासन को नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ, स्वत संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए. इनके खिलाफ किसी के द्वारा की जाने वाली शिकायत का इंतजार नहीं करना चाहिए.

अब प्रशासन, अगर कोई आदमी नफरती बोल बोल रहा है तो अपने आप ही उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता है, उसे गिरफ्तार करके जेल भेज सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा है कि अगर शासन प्रशासन या पुलिस अधिकारी इन नफरती बोल बोलने वालों के खिलाफ समय से, समुचित कार्रवाई नहीं करते हैं तो इसे न्यायालय की अवमानना माना जाएगा और उनके खिलाफ पुलिसकर्मियों के खिलाफ और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ न्यायालय अवमानना कार्रवाई करेगा. इंडियन पेनल कोड के हिसाब से नफरती बोल बोलने वालों के खिलाफ धारा 153 ए, 153 बी, 295 ए, 511 और 505 धाराओं में समुचित कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं.

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के इन आवश्यक आदेशों के साथ-साथ, हम यह भी मांग करेंगे कि नफरती बोल बोल कर समाज में अशांति और नफरत फैलाना, कानून को तोड़ना कानून के शासन का उल्लंघन करना और भारतीय संविधान की आवश्यक प्रस्तावनाओं का निषेध करना, एक संगीन जुर्म है, सामाजिक और राजनीतिक अपराध है, अतः हम यहां मांग करेंगे कि नफरती बोल बोलने वालों के खिलाफ चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए, इन लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी जाए, इन को मिलने वाली तमाम सरकारी सुविधाएं, पैंशन आदि बंद कर देनी चाहिएं और इन्हें कोई भी सरकारी नौकरी नहीं दी जानी चाहिए.

इसी के साथ, हम यही कहेंगे कि समाज को जागरूक होकर ऐसे लोगों के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार का प्रयोग करना चाहिए और समाज को यह संदेश देना चाहिए कि जो भी आदमी, समाज में हिंदू मुसलमान के नाम पर नफरत और हिंसा फैलायेगा, भारतीय संविधान की अवमानना करेगा, कानून के शासन को तोड़ेगा, उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा, उसको किसी भी सामाजिक गतिविधि में नहीं बुलाया जाएगा और ना ही उसके यहां लोग जाएंगे.

अगर समाज ऐसा करेगा, सरकार और अदालतें इनके खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर समुचित कानूनी कार्रवाई करती हैं और इनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाती है और उन्हें और इन्हें तमाम सरकारी सुविधाओं, पैंशन आदि से वंचित कर दिया जाता है तो हमारा मानना है कि इन नफरती बोल बोलने वालों पर रोक लगाई जा सकती है और इस प्रकार कानून के शासन का और भारत के संविधान के जरुरी प्रावधानों की रक्षा की जा सकेगी.

केवल तभी भारत में ऐसा समाज कायम किया जा सकेगा कि जहां पर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी और सब जातियों के लोग मिलजुलकर आपसी भाईचारे से रहेंगे, एक दूसरे के दुःख दर्द में काम आएंगे और संविधान के मूल्यों को आगे बढ़ाया जा सकता है और 21वीं सदी के नए भारत का और सांप्रदायिक सद्भावना पर आधारित नए भारत का और नए समाज का निर्माण किया जा सकेगा.

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