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जम्मू-कश्मीर में कुशासन चरम पर आम जनता बेहाल, इवेंट में मस्त मोदी

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मैं कई बार लिख और बोल चुका हूं कि मोदी सरकार गुजरात मॉडल पर नहीं कश्मीर मॉडल पर देश चला रही है. जम्मू-कश्मीर में जिस तरह पैमाली बढ़ी, संवैधानिक संस्थाओं को विध्वंस किया गया, राज्य के हकों पर हमला किया गया, जम्मू-कश्मीर की आम जनता को रौरव नरक में धकेला गया, यही वह रौरव नरक का मार्ग है जिस पर वे देश को ले जा रहे हैं. यह प्रक्रिया सन् 2014 में उनके सत्ता में आने के बाद से तेजगति से चल रही है. ज्ञानी लोग इस पर ध्यान ही नहीं दे रहे. विपक्ष भी नजरअंदाज कर रहा है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस मनाने जम्मू जा रहे हैं. नीचे उरी की बदहाल सड़क का फोटो देख लें. अन्य इलाकों में सड़कों की और खराब हालत हैं. बारामूला जिले की अधिकांश सड़कें टूटी पड़ी हैं. सड़कें तक नहीं ठीक रख पा रही है मोदी सरकार, बस इवेंट में मस्त हैं.

उरी की बदहाल सड़क

मोदी शासन में जम्मू-कश्मीर कर्ज में आकंठ डूब चुका है. अक्टूबर 2019 तक कर्ज बढ़कर 83,536 करोड़ हो गया है. यह सीएजी रिपोर्ट का आंकड़ा है. इसके बाद कर्ज और बढ़ा है जिसके बारे में सरकार अभी बता नहीं रही है. यह है मोदी कुशासन की शानदार उपलब्धि.

पिट चुका है ‘370 हटाओ, आतंकवाद को हराओ’ का नारा

आरएसएस-मोदी सरकार का ‘370 हटाओ, आतंकवाद को हराओ’ का नारा और एक्शन प्लान बुरी तरह पिट चुका है. जम्मू-कश्मीर के न्यूजपेपर उठाइए तो आपको प्रतिदिन कहीं न कहीं आतंकियों के सुरक्षा बलों पर हमले की खबरें पढ़ने को मिलेंगी. सड़कें बुरी तरह खराब अवस्था में हैं. अर्थव्यवस्था एकदम चौपट पड़ी है. आए दिन सुरक्षाकर्मियों पर हमले बताते हैं कि मोदी शासन में आतंकवाद खूब फल फूल रहा है.

ग्रेटर कश्मीर अखबार की निम्नलिखित सुर्खियों से सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि 370 हटने, जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद आतंकवाद घटा नहीं है. इस धारा से आतंकवाद का कोई संबंध नहीं था लेकिन देश को गुमराह किया गया.

  1. Arms and ammunition recovered in north Kashmir’s Karnah: police.
  2. Militants open fire at minority guard picket in Shopian, no injury reported.
  3. Cop killed, another injured in Pulwama militant attack.
  4. Newly recruited TRF militant arrested in north Kashmir’s Bandipora: police.
  5. Gunfight breaks out in south Kashmir’s Kokernag. The number of trapped militants was not immediately known.
  6. A soldier committed suicide at the J&K Light Infantry (JAKLI) centre in the Rangreth area last night, officials said on Friday.
  7. Two Army soldiers killed, 2 injured as cab on way to Shopian encounter site overturns

जम्मू-कश्मीर में मोदी की मूर्खता

जम्मू-कश्मीर में पग-पग पर मोदी सरकार की मूर्खताएं और गलत फैसले बिखरे पड़े हैं. कोई चाहे तो महाभारत से भी मोटी किताब लिख सकता है. मोदी की सताने वाली बुद्धि का एक नमूना देखें -जम्मू-कश्मीर में हरेक दुकानदार से कहा गया है कि वह अपनी दुकान पर निगरानी के लिए जासूसी कैमरा (सीसीटीवी कैमरा) लगाए लेकिन छोटे दुकानदारों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे कैमरा लगा सकें और उसकी मेंटीनेंस का खर्चा उठा सकें. मोदी सरकार स्वयं यह व्यवस्था क्यों नहीं करती. यह तो छोटे दुकानदारों को सताने वाला फैसला है, इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए.

फिसड्डी हुआ आयुष्मान भारत योजना

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना जिसे आयुष्मान भारत योजना भी कहते हैं. इस योजना के तहत जम्मू-कश्मीर के 68 करोड़ रुपए के बिलों का भुगतान आज तक नहीं हुआ है. ये बिल उन अस्पतालों के हैं जो सरकारी पैनल में हैं. फाइल उपराज्यपाल के यहां अटकी पड़ी है. जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय का निर्देश है कि इस स्कीम के तहत आए बिलों का भुगतान 15 दिन के भीतर कर दिया जाना चाहिए. खबर है 24 अप्रैल को पीएम जम्मू-कश्मीर जा रहे हैं. क्या वे स्वयं अपने ही नियमों की खुली अवहेलना को देखकर तुरंत भुगतान का आदेश देंगे ?

जम्मू कश्मीर में आयुष्मान योजना के तहत बजाज एलाएंज बीमा कंपनी के पास बीमा के भुगतान का ठेका दिया हुआ है लेकिन सरकार ने इस कंपनी को स्वास्थ्य बीमा का सरकार द्वारा दिया जाने वाला प्रीमियम अभी तक नहीं मिला है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रधानमंत्री किस तेज गति से जम्मू-कश्मीर में काम कर रहे हैं !

दूसरी मजेदार बात यह कि सरकार और बीमा कंपनी का समझौता विगत 15 मार्च, 2022 को समाप्त हो गया. सरकार को इस समझौते को रिन्यू करने, पेमेंट देने आदि की कोई चिंता नहीं है. यह नमूना है मोदी के कुशासन का. इसका परिणाम यह है कि जम्मू-कश्मीर में जिनके पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड है, उन कार्डधारकों के कार्ड को अधिकांश अस्पताल स्वीकार ही नहीं कर रहे. उल्लेखनीय है इस योजना के तहत तकरीबन 66 लाख लोगों के कार्ड जारी किए गए हैं.

पुलिस ने जारी किया कश्मीर फाईल्स के विरोध में 57 सेकेंड का विडियो

कश्मीर फाइल्स की जनप्रियता से प्रभावित होकर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जम्मू-कश्मीर की अनकही कहानी के नाम से 57 सैकेण्ड का एक शानदार वीडियो जारी किया है. इस वीडियो को एक तरह से कश्मीर फाइल्स का काउंटर वीडियो भी कह सकते हैं. कश्मीर फाइल्स में तो सिर्फ कश्मीरी पंडितों पर दिखाया गया था, लेकिन पुलिस का यह वीडियो बताता है कि चरमपंथियों के हमलों से सभी रंगत के कश्मीरी प्रभावित हुए थे. कायदे से प्रधानमंत्री को और आरएसएस को इस वीडियो को देखना चाहिए. पूरी खबर पढ़ें-

Following the roaring success of ‘The Kashmir Files’, a film based on the exodus of Kashmiri Pandits in 1990s, the Jammu and Kashmir Police released a short video highlighting that all Kashmiris irrespective of their faith suffered due to militancy.

The 57-second video is titled ‘The Untold Kashmir Files’. The clip contains various scenes depicting the period of militancy, including women in mourning. The background score features poet Faiz Ahmad Faiz’s “Hum Dekhenge”, an iconic poem that was also used in ‘The Kashmir Files’.

“Miltants barged in the house of SPO Ishfaq Ahmed and killed him along with his brother Umer Jan” and “these killings are in a series of cold-blooded murders of peace-loving Kashmiris,” read two texts in the video.

Another frame has a text reading “Kashmir has lost 20,000 lives to these targeted killings. It’s time we speak up”.
The video ends with the text “Hum Kashmir Hain, Hum Dekhenge (We are Kashmir, we will see).”

The video was posted on Twitter by the Jammu and Kashmir Police on March 31 and has garnered 1.64 lakh views. Incidentally, on April 4, the Kashmir Valley witnessed a fresh spurt in attacks on migrants and Kashmiri Pandits.
Released in March, ‘The Kashmir Files’, directed by Vivek Agnihotri, was endorsed by a number of Union ministers and granted tax-free status in most BJP-ruled states. Prime Minister Narendra Modi had also endorsed ‘The Kashmir Files’, saying it is incumbent upon those who fight for the truth to ensure that all efforts to present history in the right context are supported. (स्टेट टाइम्स)

मोदी ने नहीं किया ध्वस्त सिद्धा मंदिर का पुनर्निर्माण

ध्वस्त सिद्धा मंदिर
ध्वस्त सिद्धा मंदिर

जम्मू में चरमपंथियों ने सिद्धा मंदिर की तोड़फोड़ की थी. इस घटना को हुए काफी समय गुजर गया. चरमपंथी मूर्तियां तक ले गए, लेकिन मोदी सरकार ने इस मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए कोई पहल आज तक नहीं की है. यहां तक कि तथाकथित राष्ट्रीय मीडिया में भी यह खबर गायब रही है जबकि पाकिस्तान में मंदिर तोड़े जाने की खबर तुरंत फैला दी जाती है.

सवाल यह है मोदी सरकार अभी तक सिद्धा मंदिर तोड़ने वालों को पकड़ क्यों नहीं पाई और यह मंदिर अभी तक दोबारा बनाया क्यों नहीं गया जबकि अब तो मोदी-आरएसएस का देश में एकच्छत्र शासन है.

ऑडिट ऑफिस का निर्माण अभी तक नहीं

जम्मू-कश्मीर में कुशासन चरम पर है, आम जनता बेहाल है. इसका एक नमूना और देखें – मोदी सरकार ने हर जिले में ऑडिट ऑफिस (डायरेक्टोरेट ऑफ ऑडिट एंड इन्सपेक्शन) बनाने का फैसला लिया. यह फैसला उपराज्यपाल की प्रशासनिक कमेटी ने 28 अक्टूबर, 2021 को लिया लेकिन आज तक जिलों में ऑडिट ऑफिस नहीं बनाए गए हैं.

इस संस्थान की कोई चालू बेवसाइट तक नहीं है. इसमें 54 पद हैं जो खाली पड़े हैं जबकि प्रशासन के लिए इन दफ्तरों का हर जिले में होना बेहद जरुरी है. कोई नहीं जानता ये ऑफिस अब तक क्यों नहीं बन पाए जबकि इन ऑफिसों का निर्माण तेजगति से किया जाना चाहिए. सरकार की इंटर्नल ऑडिट में इन ऑफिस की केन्द्रीय भूमिका है लेकिन सरकार अभी तक ऑफिस ही नहीं बना पाई है.

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ROHIT SHARMA

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