पेलाजो ब्राशची…मुसोलिनी की फासिस्ट पार्टी का मुख्यालय हुआ करता था, फासिस्ट आर्किटेक्चर का एक अनुपम उदाहरण है. तस्वीर में यह त्रिकोणीय भवन, फिलहाल 1934 के इलेक्शन के लिए सज धजकर तैयार है. भवन के सामने एक इटली- श्रेष्ठ इटली का नारा देने वाला, ‘आटरकी’ अर्थात आत्मनिर्भरता के प्रबल समर्थक प.पू. वेनिटो जी मुसोलिनी की तस्वीर लगी है.
जी हां, 1921 से ही सत्ता में आ चुके मुसोलिनी जी, लोकतंत्र के प्रबल पक्षधर थे. हर 5 वर्ष में इलेक्शन होता था, जिसमें उनकी पार्टी जनता के अभूतपूर्व समर्थन से बारंबार विजयी होती थी.
आएगा, तो मुसोलिनी ही…यह जनता जानती थी. क्योंकि विपक्ष मुक्त इटली तो 1924 में ही बन चुका था. देयर वाज नो अल्टरनेटिव…
फोटो में आपको ‘SI’ दिखेगा. इसके दो मतलब हैं. इटालियन में ‘SI’ का मतलब है – हां, यस, या सहमति…तो आगे के इलेक्शन वेनिटो जी को हां कहने का सुझाव है.
दूसरा, फासिस्ट पार्टी का सिंबल फासी था, फासी याने फरसा, याने परशु. परशु में होता है एक डंडा, जो इसमें ‘I’ है, और उसका धारदार फल ‘S’ है. तो ‘SI’ देखने पर एक फरसे की तरह दिखता है. है न गज्जब का सिम्बोलिज्म !!!
तिकोने भवन के मामले में भी सिमिट्री का केंद्रीय महत्व है. अगर बीचोंबीच से आप एक रेखा खींचे तो उसके दोनों ओर एक-एक फरसा बनेगा.
अखण्ड इटली अभियान के तहत, अफ्रीका में मुसोलिनी ने कब्जा किया. उनका राज मौजूदा सोमालिया पर भी था, जिसे सोमालिया इटालियाना कहते थे.
मगर जैसा कि आप जानते हैं, वेनिटो जी लोकतंत्र के प्रेमी थे, इसलिए मोगादिशु में उन्होंने फासिस्ट पार्टी का तिकोना हेडक्वार्टर बनवाया.
आगे चलकर सोमालिया जब आजाद हुआ तो इसी भवन में हेर फेर करके अपना पार्लियामेंट भवन बनाया. इस तरह सोमालियन पार्लियामेंट फासिस्ट आर्किटेक्चर का अनुपम उदाहरण थी.
‘थी’ का मलतब यह कि जल्द ही सोमालिया में गृहयुद्ध हुआ. सत्ता के विरुद्ध हुए विद्रोह में सबसे पहले सत्ता के केंद्र यानी, संसद पर बमबाजी हुई.
फासिस्ट निर्माण कला के अनुपम नमूने याने सोमालिया की ओल्ड पार्लियामेंट के अब ध्वंसावशेष ही शेष हैं. फिर भी गूगल कीजिए, पुरानी तस्वीर तो दिख ही जाएगी.
आजकल भारत में वाइरल हो रही है, जहां परशु, परशुवादी विचारधारा, और परशुवाद आर्किटेक्चर का स्वर्णयुग चल रहा है.
- मनीष सिंह
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