यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने यूक्रेन के रक्षा मंत्री व खुफिया प्रमुख को बर्खास्त कर बर्बाद होते यूक्रेन को और अधिक निराशा के गर्त में धकेल दिया है. रक्षा मंत्री व खुफिया प्रमुख ही जेलेंस्की की ताकत के रूप में जाहिर होते रहे हैं. इन दोनों के कहने पर ही जेलेंस्की ने 6 अगस्त के दिन यूक्रेनी सेना को रूस के कुर्स्क में हमला करने की इजाजत दी थी.
विशेष सूत्रों के मुताबिक रूसी सेना द्वारा कुर्स्क में यूक्रेन के 21,673 सैनिकों को मार दिया गया है और पुतिन ब्रिगेड आर्मी व चेचन्य सेना द्वारा इस समय कुर्स्क को लगभग खाली करा लिया गया है. हालांकि कुर्स्क परमाणु संयंत्र के पास रूस द्वारा अब भी बमबारी जारी है. उधर यूक्रेन के कई जगहों पर रूसी सेना कब्जा करते हुए नाटो देशों से यूक्रेन को मिली हथियारों के ताजा खेप को तबाह कर दिया है.
जेलेंस्की ने नाटो देशों पर F-16 फाइटर जेट में अपलोड होने वाले मिसाइलों को यूक्रेन भेजने में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया है. एक इंटरव्यू में जेलेंस्की ने कहा ‘F-16 का इस्तेमाल के लिए हमारी सभी तैयारियों के बावजूद कुछ देश ये नहीं चाहते हैं कि यूक्रेन, रूसी जमीन पर हमला करे. यह सीधे तौर पर रूसी सेना की अवैध सैन्य घुसपैठ को प्रोत्साहित करना है.’
कुर्स्क व यूक्रेन के पोक्रास्क में नाटो देशों के सैनिकों की मौजूदगी से पुतिन एक बार फिर गुस्से में हैं. प्रतिक्रियास्वरूप रूसी सेना ने पोक्रास्क के उत्तरी जोन को ग्लाइडेड बमों से पाट दिया, जिसमें यूक्रेन के 880 सैनिकों की मौत हो गई है और नाटो से मिले सभी हथियार तबाह हो चुके हैं. यूक्रेन के कई युद्ध क्षेत्रों से नाटो सैनिकों के सरेंडर का समाचार है.
रूसी रक्षा मंत्री इस समय उत्तर कोरिया के दौरे पर हैं. रूस ने कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले उत्तर कोरिया निर्मित उन्नत कृषि उपकरणों को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. हालांकि पश्चिमी देशों ने रूसी रक्षा मंत्री के उत्तर कोरिया दौरे को रूस के लिए उत्तर कोरिया द्वारा निर्मित किए जा रहे सैन्य साजो सामान का निरीक्षण करने की बात कही है.
क्रेमलिन ने साफ कहा है ‘रूस, नाटो के समूल सफाये के लिए तैयार है.’ पुतिन द्वारा नाटो देश तुर्की को नाटो संगठन से तोड़कर ब्रिक्स में शामिल करने वाले मसले ने पूरी नाटो बिरादरी को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया है.
तुर्की ने आरोप लगाया है कि ‘अमरीका अपने हितों के लिए आर्थिक रूप से कमजोर देशों को पहले लुभावनी शर्तों पर करोड़ों डालर के ऋण देता है और फिर कर्ज में डूबे देश की जमीन को अपने सैन्य बेस बनाने के लिए इस्तेमाल करता है. अगर कर्जदार देश ने जमीन देने से मना कर दिया तो अमरीका उनका हाल ईराक, अफगानिस्तान और यूक्रेन की तरह बना देता है. यहां तक कि इजरायल में जो तबाही मची हुई है उसके लिए भी अमरीकी नीति ही जिम्मेदार है.’
मंदबुद्धि देशों की बुद्धि ठिकाने लगायेंगे पुतिन
फादर आफ आल बम्ब (FOB) यानि बमों का बाप लील जायेगा धरती के एक खूबसूरत मुल्क को और इसके लिए जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ अमरीका होगा. अगर रूस, यूक्रेन की राजधानी कीव में 7000 किलो से ज्यादा वजन वाले इस बम को गिराता है तो इससे कीव का पूरा इलाका एक गड्ढे में तब्दील हो जायेगा. इस बम का असली नाम ‘एविएशन थर्मोबेरिक बॉम्ब ऑफ इन्क्रीज्ड पॉवर’ (ATBIP) है.
रूसी वैज्ञानिकों ने इसे साल 2006-07 में इजाद किया था. अगर अमरीका ने फादर आफ आल बॉम्ब का इस्तेमाल करने के लिए रूस को बाध्य किया तो यह शत-प्रतिशत तय है कीव में धमाके के अगले कुछ घंटों के बाद ‘मदर आफ आल बम्ब’ के ठिकाने पूरी तरह विधवा होने के कगार पर जा पहुंचेंगे. हालांकि नाटो संगठन अब युद्ध मैदान से पीछे हटने के सारे विकल्पों से हाथ धो चुका है.
ईरानी मीडिया के मुताबिक अमरीकी राष्ट्रपति बाइडेन ने जेलेंस्की से देश छोड़ने के लिए कहा है. इस पर जेलेंस्की ने आग-बबूला होते हुए बाइडेन से कहा कि ‘मुझे गाड़ी की नहीं हथियारों की जरूरत है.’
पुतिन कभी भी हवा में भाषण नहीं देते हैं और न ही फालतू बयानबाजी करते हैं. पुतिन की धमकी नाटो देशों में यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें देने के बयान के बाद मची भगदड़ ने ब्रुसेल्स में नाटो सेनाध्यक्षों की आवाजाही को कई गुना बढ़ा दिया है, नाटो संगठन के दुर्दांत की यह नियति उसके जन्म के समय से ही तय है.
स्वयं के अभिशप्त युद्धों से अमरीका व इजरायल का अधोपतन
सबक और नसीहतों का अंबार छोड़ते हुए मुनाफे और वर्चस्व के ये युद्ध इतिहास में सिर्फ मानवद्रोही युद्ध के नाम से चस्पा हो जायेंगे. सम्राट अशोक और सिकंदर महान जैसे चक्रवर्ती सम्राटों के नामलेवा भी समय के धुंध में गुम हो चले हैं लेकिन युद्ध और विद्रोह तब भी जारी थे और आज भी जारी हैं. मानव व्यवस्थाओं द्वारा थोपे जा रहे युद्ध कम से कम अगले तीन दशकों तक कम ज्यादा तौर पर जारी रहने वाले हैं.
इन युद्धों का हल परमाणु बम धमाका नहीं है, परमाणु धमाके से सिर्फ युद्ध आगे बढ़ने से रोके जा सकते हैं, इससे दुनिया युद्ध विहीन नहीं हो सकती है. युद्ध विहीनता का सूत्र सिर्फ साम्यवादियों के पास है. माओ महान की तर्ज पर ये कि अन्यायकारी युद्धों के खात्मे के लिए न्याय चाहने वालों को युद्ध करना होगा, यही मानव जीवन का मूल्य और सत्य है. युद्धों की यह विभीषिका जब तक विशुद्ध रूप से मानवतावादी व हत्यारे खेमों के पड़ाव पर नहीं पहुंचेगी, तब तक युद्ध और विद्रोह, पूंजीवादी व्यवस्थाओं को बेतहाशा पीड़ा देते रहेंगे.
हम बात कर रहे हैं इजरायल व अमरीका की, जिन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को कम आंकने की भूल की, ऐसी भूल जिससे उनके अस्तित्व पर घने बादल मंडराने लगे हैं. एक अकेला रूस, यूक्रेन युद्ध के बहाने 32 ताकतवर नाटो देशों पर भारी है. छोटे छोटे लड़ाकू दस्तों ने इजरायल को राजनीतिक शौचालय में तब्दील कर दिया है. अमरीका को अपने सीआईए और इजरायल को मोसाद पर हमेशा घमंड रहा है लेकिन इन युद्धों ने ये साबित कर दिया है कि दुनिया का कोई भी देश दूसरे देशों की शक्ति का सही व विश्वनीय डेटा नहीं निकाल सकता है.
आज आलम ये है कि नाटो व इजरायल अब आत्मरक्षा की मुद्रा में युद्ध लड़ रहे हैं. यूक्रेन व इजरायल में सैनिकों के आंतरिक विद्रोह ने यह बता दिया है कि वैचारिक युद्धों को हथियारों से पस्त नहीं किया जा सकता है और पूंजीवाद इसी सत्य से हमेशा मुंह छिपाते फिरता है.
बहरहाल, यूक्रेन और इजरायल बारूदी बवंडरों में अपने मुल्कों के निरीह व बेबस नागरिकों के लिए जानलेवा शत्रु बन बैठे हैं, दोनों मुल्कों के नागरिक समाजों ने अंधराष्ट्रवाद की केंचुली फेंक दी है और जेलेंस्की व नेतन्याहू इस समय अपने अपने बिलों में दुबककर अपने खिलाफ अपने ही मुल्क के नागरिकों का भारी जन-प्रदर्शनों को झेल रहे हैं.
हार जीत से परे ये युद्ध अंततोगत्वा मेहनतकशों के सामने मानव अस्तित्व संकट को बचाने के लिए राजनीतिक संघर्ष के मद्देनजर एक नये नवयुग की आभा को समेटे नये सुप्रभात की तामील के लिए गोलबंद करेंगे.
- ए. के. ब्राईट
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