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आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, तमाम धार्मिक आतंकवाद का विरोध करो

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मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति अनवर सादात के हत्यारे से न्यायाधीश ने पूछा – ‘तुमने प्रेजिडेंट को क्यों मारा ?’
वो बोला – ‘क्योंकि वह धर्मनिरपेक्ष था !’
न्यायाधीश ने पूछा – ‘धर्मनिरपेक्ष का क्या अर्थ है ?’
हत्यारे ने कहा – ‘मुझे नहीं पता !’

मिस्र के दिवंगत लेखक नागुइब महफौज़ की हत्या के प्रयास के मामले में न्यायाधीश ने उसके हत्यारे से पूछा – ‘तुमने उसे चाकू क्यों मारा ?’
आतंकवादी बोला – ‘उसके उपन्यास ‘हमारे पड़ोस के बच्चे’ की वजह से.’
जज ने पूछा – ‘क्या आपने यह उपन्यास पढ़ा है ?’
हत्यारा – ‘नहीं !’

एक अन्य जज ने मिस्र के लेखक फ़राज़ फ़ौदा की हत्या करने वाले आतंकवादी से पूछा – ‘तुमने फ़राज़ फ़ौदा की हत्या क्यों की ?’
आतंकवादी बोला – ‘क्योंकि वह काफ़िर है !’
न्यायाधीश ने पूछा – ‘तुम्हें कैसे पता चला कि वह काफिर था ?’
आतंकवादी बोला – ‘उसकी लिखी किताबों के अनुसार !’
जज ने कहा – ‘उनकी कौन-सी किताब ने आपको यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि वह काफ़िर थे ?’
आतंकवादी – ‘मैंने उसकी कोई किताब नहीं पढ़ी है !’
जज – ‘क्या !?’
आतंकवादी ने जवाब दिया – ‘मैं पढ़ या लिख ​​नहीं सकता !’

घृणा ज्ञान से नहीं बल्कि हमेशा अज्ञानता से उपजती और फैलती है.

1

राजस्थान में जान की कीमत भी मृतक और हत्यारे की जाति एवं धर्म देखकर तय की जाती है –

  • कन्हैया (हिन्दू) – 2 मुस्लिमों ने मारा इसलिए तुरंत 50 लाख + नौकरी + मुख्यमंत्री का दौरा
  • जितेन्द्र (दलित) – हिंदुओं ने मारा इसलिए 5 लाख मुआवज़ा
  • अफ़राजुल (मुस्लिम) – एक हिंदू ने मारा और कोई उचित मुआवज़ा नहीं बल्कि शम्भु के सम्मान में रैली निकली और उदयपुर कोर्ट पर भगवा लहराया गया.
  • कांकरी डूँगरी आंदोलन (आदिवासी) – दो आदिवासी युवा सरकारी बंदूक़ से मारे गये कोई उचित मुआवज़ा नहीं और बदले में हज़ारों आदिवासी युवाओं पर एफआईआर

यह है सरकारी दोगलापन.

2

उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या बेशक धार्मिक आधार पर किया गया आतंकवादी कृत्य है. धर्म के आधार पर किसी की हत्या करना आतंकवाद है. अखलाक को घर में घुसकर मारना आतंकवाद था. अखलाक के हत्यारे के मरने पर उस पर तिरंगा झंडा लपेटना और श्रद्धांजलि देने सरकार के मंत्री का जाना भी आतंकवादी गतिविधि थी.

पहलू खान अपनी डेयरी के लिए गाय लेकर जा रहे थे. राजस्थान में गो-गुंडों द्वारा उनकी पिटाई भी करके हत्या कर देना आतंकवाद की हरकत थी. राजस्थान के भाजपाई गृह मंत्री द्वारा उस घटना के बारे में दिया गया बयान भी आतंकवादी घटना थी. हत्यारों के जेल से बाहर आने पर भाजपा के मंत्री द्वारा उन्हें फूल माला पहनाना आतंकवादी घटना थी. जुनेद तबरेज और 200 अन्य मुस्लिम की लिंचिंग आतंकवादी घटनाएं थी.

आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता. सरकार को धार्मिक आतंकवाद पर तुरंत रोक लगानी चाहिए. बिना यह देखे कि आतंकवाद हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ व्यक्ति कर रहा है या मुस्लिम धर्म से जुड़ा हुआ, धार्मिक आतंकवाद का विरोध करो.

3

ऐसा नहीं है कि मोदी भक्त बेवकूफ है और भक्त अपनी मूर्खता के कारण मोदी की हर गलती का समर्थन करते हैं. नहीं, भक्त बहुत मेहनत से तैयार किये जाते हैं. भक्त बनाने की एक लम्बी प्रक्रिया होती है. भक्त बनाने का एक पूरा राजनीति शास्त्र होता है. भक्त बनाने के पीछे राजनीतिक फायदे का पूरा गणित होता है.

हिटलर ने भी भक्त बनाये थे. जब हिटलर नें एक करोड़ दस लाख लोगों की हत्या की, तब उसके भक्त हिटलर की जयजयकार कर रहे थे. हिटलर ने अपने भक्तों के दिमाग में बैठा दिया था कि ‘यहूदी हमारी नौकरी खा रहे हैं. हमारी सारी समस्या की जड़ यहूदी है. यहूतियों को मार डालेंगे तो हम सुखी हो जायेंगे.’

इसके बाद हिटलर ने बूढ़ों, औरतों, बच्चों समेत एक करोड़ से ज़्यादा लोगों को मारा, जिसमें साठ लाख यहूदी और पचास लाख दूसरे लोग भी थे. आइये अब भारत की बात करते हैं.

भारत में संघ ने आज़ादी के पहले से ही मुसलमानों, इसाइयों और दलितों के विरुद्ध नफरत फैलाने का अभियान शुरू कर दिया था. बड़ी जातियां जो भारत में हमेशा से पैसा और सत्तावान थीं, वे संघ की जन्मदाता थी. इनका उद्देश्य यह था कि भारत की आज़ादी के बाद भी पैसे और सत्ता पर हमारा ही कब्ज़ा रहना चाहिये.

पिछली चार पीढ़ियों से भक्त तैयार करने का काम अब इस मुकाम पर पहुंच गया कि इन लोगों ने भारत की सत्ता पर कब्ज़ा करने में सफलता पा ली है. भक्त दो भावनाओं से भरा हुआ रहता है – मुसलमानों के प्रति नफरत और मुसलमानों से डर. और मुसलमानों के प्रति नफरत और डर की सबसे सशक्त अभिव्यक्ति का माध्यम होता है मुसलमानों के खिलाफ दंगा. दंगा ही इस डर और नफरत की ऑक्सीजन है.

लंबे समय तक दंगा ना हो तो भक्त के दिमाग से मुसलमानों के प्रति डर और नफरत दोनों खत्म हो जायेगी इसलिये संघ बीच-बीच में दंगा करवाता रहता है. मोदी जैसा बनावटी करिश्माई नेता इसलिये तैयार किया जाता है ताकि लोगों को नेता की भक्ति के नशे में डाल कर देश की अर्थव्यवस्था और शासन पर कब्ज़ा किया जाय और जब देश को लूटा जाय तो नशे में डूबे हुए लोग कोई आपत्ति ना करें.

नफरत और डर में डूबे हुए भक्त मोदी को सिर्फ इसलिये भगवान मानते हैं क्योंकि मोदी नें दो हज़ार मुसलमानों को मारा और मुसलमानों को यह दिखा दिया कि हिन्दु डरने वाली कौम नहीं है. भक्त मानते हैं कि मुगलों के शासन में अपना आत्मसम्मान खो चुकी हिन्दु अस्मिता मोदी ने वापिस दिला दी.

भक्त यह भी मानते हैं कि अब अगर मोदी किसी भी मुद्दे पर नीचा देखते हैं तो उसका अर्थ होगा कि हमारे शाश्वत दुश्मन मुसलमान जीत जायेंगे. मुसलमानों से हार जाने का काल्पनिक भय ही भक्तों को मोदी की हर गलत बात का समर्थन करने के लिये मजबूर करता है. साम्प्रदायिकता की राजनीति का यही दोष है. इसमें जनता अपना भला बुरा नहीं सोच पाती.

साम्प्रदायिकता के नशे में डाल कर जनता का खूब शोषण किया जा सकता है इसलिये हम आम जनता को और युवाओं को साम्प्रदायिकता की राजनीति के चंगुल से निकालने के लिये काम करते हैं. ना हम रुकेंगे, ना हम डरेंगे.

  • हिमांशु कुमार

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