Home कविताएं तय करो किस ओर हो तुम ?

तय करो किस ओर हो तुम ?

0 second read
0
0
263

तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो
आदमी के पक्ष में हो या कि आदमखोर हो

खुद को पसीने में भिंगोना ही नहीं है जिन्दगी
रेंग कर मर-मर जीना ही नहीं है जिन्दगी
कुछ करो कि जिन्दगी की डोर न कमजोर हो
तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो

खोलो आंखें फंस न जाना तुम सुनहरे जाल में,
भेड़िए भी घूमते हैं आदमी की खाल में,
जिन्दगी का गीत हो या मौत का शोर हो
तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो

सूट और लंगोटियों के बीच युद्ध होगा जरूर,
झोपड़ों और कोठियों के बीच युद्ध होगा जरूर,
इससे पहले युद्ध शुरू हेा, तय करो किस ओर हो
तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो

तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो
आदमी के पक्ष में हो या कि आदमखोर हो

  • बल्ली सिंह चीमा

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

चूहा और चूहादानी

एक चूहा एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था. एक दिन चूहे ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी…